पटना। बिहार प्रशासनिक सेवा के दो युवा IAS अधिकारी-योगेश कुमार सागर और अभिलाषा कुमारी शर्मा-आज राज्य की नौकरशाही के भीतर छिपे उस खेल के केंद्र में आ गए हैं जिसकी चर्चा पहले सिर्फ दफ्तरों की फुसफुसाहटों में होती थी। अब जब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ मनी लांड्रिंग के मामले में कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है तो सवाल यह उठने लगा है कि आखिर यह सब कब और कैसे हुआ।

ED का पत्र और जांच की तेज़ रफ्तार

19 नवंबर को ED ने बिहार की स्पेशल विजिलेंस यूनिट (SVU) को एक विस्तृत पत्र भेजा। इसमें दोनों अधिकारियों से जुड़ी शुरुआती जानकारियां साझा की गईं और SVU से सभी दस्तावेज़, रिकॉर्ड और वित्तीय गतिविधियों से जुड़े कागज़ मांगे गए। ED की कार्रवाई PMLA 2002 के तहत हो रही है जिससे मामले की गंभीरता खुद-ब-खुद स्पष्ट हो जाती है।

योगेश कुमार सागर: BUDCO कार्यकाल पर फोकस

2017 बैच के IAS योगेश सागर ने अररिया में SDO के रूप में शुरुआत की और बाद में भागलपुर नगर आयुक्त रहे। 7 मार्च 2024 से 17 फरवरी 2025 तक वे BUDCO के प्रबंध निदेशक रहे-और ED का फोकस सबसे ज्यादा इसी कार्यकाल पर है। शक इस बात का है कि कुछ वित्तीय फैसले नियमों के दायरे से बाहर गए हों।

अभिलाषा कुमारी शर्मा: प्रशासनिक कुशलता पर अब जांच की तलवार

2014 बैच की IAS अभिलाषा शर्मा, जो सीतामढ़ी की DM से लेकर वित्त विभाग की संयुक्त सचिव और अब ग्रामीण विकास विभाग में अतिरिक्त CEO हैं, उन पर भी कई पदों पर फैसलों की पारदर्शिता को लेकर जांच शुरू हो सकती है।

आगे क्या?

SVU की रिपोर्ट मिलते ही ED पूछताछ नोटिस या अन्य कानूनी कदम उठा सकती है। बिहार की नौकरशाही में यह मामला सिर्फ दो अफसरों की कहानी नहीं बल्कि सिस्टम में बनी उस खामोश परत का खुलासा भी है जहां फैसले कभी-कभी फाइलों में दर्ज नहीं होते लेकिन उनके असर जनता तक पहुँचते हैं।