National Handloom Day 2025: हथकरघा दिवस के मौके पर केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने देशभर के बुनकरों और हथकरघा से जुड़े कारीगरों को बधाई और धन्यवाद दिया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान की सराहना करते हुए कहा कि आज देश में पारंपरिक हस्तकला और हथकरघा उद्योग को मजबूती देने की आवश्यकता पहले से कहीं ज्यादा है।
गिरिराज सिंह ने कहा कि हथकरघा दिवस के अवसर पर मैं देशभर के सभी आर्टिजन को बधाई और धन्यवाद देता हूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि सबके हाथ मज़बूत हों, यानी उनकी आय बढ़े। हथकरघा न केवल हमारी संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है, बल्कि यह लाखों लोगों के रोजगार का स्रोत भी है।
हथकरघा क्षेत्र को आत्मनिर्भर भारत से जोड़ने का आह्वान
केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार का फोकस हथकरघा उद्योग को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने पर है। इसके तहत प्रशिक्षण, डिजिटलीकरण, डिज़ाइन अपग्रेडेशन और मार्केट लिंकेज जैसी योजनाएं चलाई जा रही हैं।
बुनकरों की मेहनत को बताया ‘राष्ट्र निर्माण की धरोहर’
गिरिराज सिंह ने कहा कि हथकरघा से जुड़े शिल्पकार भारत की पहचान हैं। उनके हाथों से बनी चीजें केवल वस्त्र या उत्पाद नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की कहानी हैं। हमें उन्हें सम्मान देना चाहिए और उनके उत्पादों को अपनाकर ‘वोकल फॉर लोकल’ को बढ़ावा देना चाहिए।
क्या है राष्ट्रीय हथकरघा दिवस?
हर साल 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जाता है, जिसकी शुरुआत 2015 में हुई थी। इसका उद्देश्य भारत के पारंपरिक हथकरघा उद्योग और उसमें लगे कारीगरों को सम्मान देना और इस क्षेत्र को बढ़ावा देना है। यह दिन 1905 में स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत की याद में चुना गया, जो देश की आत्मनिर्भरता की पहली बड़ी पहल थी।
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