Bihar Election Result 2025 LIVE: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के रुझानों ने तेजस्वी यादव की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। शपथ ग्रहण की तारीख तक बताने वाले तेजस्वी के लिए आज का दिन करारा झटका लेकर आया। आरजेडी जहां 2020 में 78 सीटें लाकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, वहीं इस बार रुझानों में पार्टी मात्र 39 सीटों पर सिमटती नजर आ रही है।

200 सीटों के करीब पहुंची एनडीए

चुनाव आयोग के ताजा आंकड़े के अनुसार बीजेपी 90 और जेडीयू 80 सीटों पर आगे है। एनडीए की सहयोगी लोजपा (रामविलास) 20, जबकि हम (HAM) 4 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। एनडीए 200 सीटों के करीब पहुंचता दिख रहा है। इसके मुकाबले पूरा महागठबंधन मिलकर भी 39 सीटों पर सिमटती हुई दिख रही है।

कांग्रेस का बुरा हाल

अगर रुझान यही रूख बनाए रखते हैं, तो यह नतीजा आरजेडी के लिए 2010 की याद ताजा कर सकता है, जब जेडीयू की प्रचंड लहर में लालू प्रसाद की पार्टी 22 सीटों पर सिमट गई थी। मौजूदा स्थिति तेजस्वी यादव के राजनीतिक ग्राफ के लिए गंभीर झटका मानी जा रही है। कांग्रेस की हालत और खराब दिख रही है। राहुल गांधी ने खुद प्रचार संभाला, लेकिन 62 सीटों पर लड़कर पार्टी सिर्फ 5 सीटों पर आगे दिखाई दे रही है।

आरजेडी की कमजोर स्थिति के 5 बड़े कारण

लालू यादव का प्रचार से दूर रहना

    लालू यादव इस बार सिर्फ बैकएंड से सक्रिय रहे। सार्वजनिक रैलियों से उनकी दूरी ने कोर वोटरों में मायूसी पैदा की। वहीं विपक्ष ने ‘जंगलराज’ का मुद्दा उछालकर इसे आरजेडी के खिलाफ हथियार की तरह इस्तेमाल किया।

    तेज प्रताप यादव का अलग मोर्चा बनाना

      तेज प्रताप यादव ने अपनी अलग पार्टी बनाकर मैदान में उतरने का फैसला लिया। वे खुद पीछे चल रहे हैं, लेकिन उनकी एंट्री ने कई सीटों पर वोटों का बंटवारा कर आरजेडी को नुकसान पहुंचाया। परिवार की कलह ने पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाया, ठीक वही तस्वीर जो 2017 में यूपी की सपा में देखने को मिली थी।

      एनडीए का मजबूत कोऑर्डिनेशन

        एनडीए ने शुरू से ही संगठित और अनुशासित चुनावी रणनीति अपनाई। वक्त पर सीट बंटवारा, साझा रैलियां, और नीतीश कुमार–नरेंद्र मोदी का संयुक्त चेहरा—सब मिलकर वोटरों में भरोसा बनाते दिखे। दूसरी तरफ महागठबंधन बिखरा हुआ और कमजोर तालमेल वाला नजर आया।

        तेजस्वी के वादों पर नीतीश की योजनाएं भारी

          तेजस्वी ने हर परिवार को एक सरकारी नौकरी समेत कई बड़े वादे किए थे, लेकिन जमीन पर चल रही नीतीश कुमार की 10 हजार रुपये वाली स्कीम और अन्य सामाजिक योजनाएं मतदाताओं को ज्यादा भरोसेमंद लगीं।

          महागठबंधन में सीटों की खींचतान और ‘फ्रेंडली फाइट’

            सीट बंटवारे को लेकर आखिरी समय तक महागठबंधन में विवाद चलता रहा। करीब दर्जनभर सीटों पर ‘फ्रेंडली फाइट’ ने वोटों को बांटा और सीधा फायदा एनडीए को मिला।

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