पटना। बिहार विधानसभा अध्यक्ष पद को लेकर कई दिनों से बनी अनिश्चितता अब खत्म होने की कगार पर है। बिहार की राजनीति के गलियारों में जितनी तेज फुसफुसाहटें थीं उतनी ही तेजी से अब तस्वीर साफ होती दिख रही है। अंततः वो चेहरा आगे आया है जिसकी पहचान वर्षों के अनुभव शांत स्वभाव और सदन की कार्यशैली पर मजबूत पकड़ से बनाई जाती है।
वरिष्ठता पर बनी सहमति
एनडीए के शीर्ष नेताओं से लेकर सहयोगी दलों तक सबकी बैठकों का सार यही निकला कि इस बार सदन की कमान किसी अनुभवी हाथ में सौंपी जाए। आने वाले महीनों में सरकार कई बड़े विधायी प्रस्तावों को सदन में लाने जा रही है ऐसे में नेतृत्व ऐसा चाहिए जो टकराव कम और संवाद ज्यादा बना सके। इसी सोच ने नामों की भीड़ में एक अनुभवी नेता पर मुहर लगा दी। बीजेपी के वरिष्ठ नेता और कई बार के विधायक प्रेम कुमार का नाम पिछले कई दिनों से चर्चाओं में है। अब सूत्रों के मुताबिक उन्हें ही सर्वसम्मति से सबसे उपयुक्त माना गया है। उनके लम्बे अनुभव को देखते हुए सत्ता पक्ष यह मान रहा है कि वे 18वीं विधानसभा को स्थिरता और अनुशासन के साथ दिशा देंगे।
1 दिसंबर-सभी निगाहें एक तारीख पर
शीतकालीन सत्र के पहले दिन नए विधायकों का शपथग्रहण होगा और इसी दौरान अध्यक्ष पद का चुनाव भी होना है। चूंकि सत्ता पक्ष एकमत है इसलिए चुनाव बस एक औपचारिक प्रक्रिया जैसा दिख रहा है। विपक्ष भी फिलहाल अपनी रणनीति सामने नहीं रख रहा जिससे माहौल और शांत प्रतीत होता है। बिहार की राजनीति में लंबे समय बाद अध्यक्ष पद को लेकर इतनी स्पष्टता और सहमति देखने को मिल रही है। अब सबकी निगाहें सिर्फ 1 दिसंबर पर टिक गई हैं जहां विधानसभा एक नए नेतृत्व का स्वागत करेगी।
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