पटना। बिहार में शिक्षा व्यवस्था को पारदर्शी और विश्वसनीय बनाने के लिए निगरानी अन्वेषण ब्यूरो द्वारा बड़े पैमाने पर शिक्षकों के शैक्षणिक और प्रशिक्षण से जुड़े प्रमाण-पत्रों की जांच की जा रही है। यह जांच पटना हाई कोर्ट के आदेश सी.डब्ल्यू.जे.सी.सं.-15459/14 व निगरानी जांच बी.एस.-08/15) के तहत वर्ष 2006 से 2015 के बीच नियुक्त शिक्षकों-शिक्षिकाओं पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य उन शिक्षकों की पहचान करना है जिन्होंने फर्जी प्रमाण-पत्रों के आधार पर नौकरी प्राप्त की।
हजारों कांड दर्ज
निगरानी ब्यूरो के डीजी जितेंद्र सिंह गंगवार के अनुसार 30 दिसंबर 2025 तक कुल 6,56,395 प्रमाण-पत्रों का सत्यापन पूरा किया जा चुका है। जांच में कई दस्तावेज फर्जी पाए गए जिनसे जुड़े 1,711 कांड दर्ज हुए है जबकि 2,916 अभियुक्तों को चिन्हित किया गया है।
2025 में लगातार सामने आते रहे मामले
जनवरी से दिसंबर 2025 के बीच कुल 130 नए मामले दर्ज किए गए। महीने वार आंकड़ों में जनवरी में 15 मार्च में 21 अगस्त में 12 और नवंबर में 15 मामले प्रमुख रहे। यह साफ दिखाता है कि पूरे वर्ष जांच अभियान सक्रिय रहा। फर्जी दस्तावेज पाए जाने पर संबंधित शिक्षकों के विरुद्ध FIR दर्ज कर कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई है। सरकार का लक्ष्य है कि भविष्य में कोई भी व्यक्ति असत्य प्रमाण-पत्र के आधार पर नियुक्ति न पा सके।
पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम
यह अभियान न केवल दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का संकेत है बल्कि विद्यार्थियों के हित में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल भी है। निगरानी जांच आगे भी जारी रहेगी।
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