Bihar Special Status: बिहार को विशेष राज्‍य का दर्जा नहीं मिलेगा। ‘स्पेशल स्टेटस’ पर PM नरेन्द्र मोदी(PM Narendra Modi) ने CM नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और बिहार के लोगों एक बार फिर से झटका दिया है। आर्थिक सर्वे रिपोर्ट-2024 पेश होने के बाद लोकसभा में चर्चा के दौरान वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी (Pankaj Chaudhary) ने बताया कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाना संभव नहीं है। बिहार उस कैटेगिरी के लिए फिट ही नहीं है, जिसके तहत किसी स्टेट को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाता है।

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संसद भवन में बिहार को मोदी सरकार द्वारा ‘स्पेशल स्टेटस’ का दर्जा देने से इंकार करने के बाद बिहार की सियासत में उबाल आ गया है। बिहार के पूर्व सीएम और राजद अध्यक्ष लालू यादव (Lalu Yadav) ने इस मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोला है। उन्होंने इस मामले में सीएम नीतीश कुमार से ही इस्तीफा मांगा है।

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दरअसल केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार में शामिल JDU ने सीधे-सीधे लोकसभा में अपनी ही सरकार से पूछ दिया कि क्या वह बिहार और शेष ऐसे राज्यों को विकास की मुख्य धारा में लाने के लिए विशेष राज्य का दर्जा देना चाहती है? अगर सरकार ऐसा विचार रखती है तो बताए और नहीं रखती है तो इसका कारण स्पष्ट करे। 

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वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने रामप्रीत मंडल के सवाल के जवाब में बताया- “राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) ने पहले कुछ राज्यों को योजना सहायता के लिए विशेष श्रेणी का दर्जा प्रदान किया था। उन राज्यों में कुछ विशेष परिस्थितियां थीं, जिनके आधार पर यह किया गया था। यह निर्णय उन सभी कारकों और राज्य की विशिष्ट स्थिति के एकीकृत विचार के आधार पर लिया गया था। विशेष श्रेणी के दर्जे के लिए बिहार के अनुरोध पर एक अंतर-मंत्रालयी समूह (आईएमजी) ने पहले भी विचार किया था, जिसने 30 मार्च, 2012 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। आईएमजी ने निष्कर्ष निकाला था कि मौजूदा एनडीसी मानदंडों के आधार पर बिहार को विशेष श्रेणी का दर्जा नहीं दिया जा सकता है।” 2012 में देश में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार थी। उस समय भी यही रिपोर्ट आई थी, केंद्र की मौजूदा सरकार ने उसी का हवाला दिया है।

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बिहार को आर्थिक सहयोग की जरूरतः डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी

वहीं इस पर बिहार बीजेपी के अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने कहा कि बिहार को आर्थिक सहयोग की जरूरत है। हम लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी जी और केंद्रीय वित्त मंत्री से आग्रह किया है कि बिहार को विशेष आर्थिक मदद की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और केंद्रीय वित्त मंत्री इस पर निर्णय लेंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भी लगातार आग्रह कर रहे हैं कि हमको बिहार में अतिरिक्त मदद की जरूरत है।

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सर्वदलीय बैठक में दोहराई गई थी मांग

जेडीयू नेता संजय कुमार झा ने रविवार को एक सर्वदलीय बैठक में अपनी पार्टी की मांग को उठाया था। भाजपा की सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और विपक्षी आरजेडी ने भी बैठक में यही मांग दोहराई थी। हालांकि, जेडीयू ने केंद्र को पहले ही बता दिया है कि अगर राज्य को दर्जा नहीं दिया जा सकता है तो वह विशेष वित्तीय पैकेज के लिए तैयार है। बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस ने बैठक में क्रमशः ओडिशा और आंध्र प्रदेश के लिए यही मांग की थी।

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इन श्रेणी वाले राज्‍यों को दिया गया विशेष दर्जा

इनमें पहाड़ी और कठिन भूभाग, कम जनसंख्या घनत्व या आदिवासी आबादी का बड़ा हिस्सा, पड़ोसी देशों के साथ सीमाओं पर रणनीतिक स्थान, आर्थिक और बुनियादी ढांचे का पिछड़ापन और राज्य के वित्त की गैर-व्यवहार्य प्रकृति शामिल हैं। 

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विशेष दर्जा का प्रावधान कब आया, कब खत्म हुआ
देश के किसी क्षेत्र को विशेष श्रेणी का दर्जा देने की बात पहली बार 1969 में राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) की बैठक में आई थी। इस बैठक में डीआर गाडगिल समिति ने भारत में राज्य योजनाओं के लिए केंद्रीय सहायता आवंटित करने का एक फॉर्मूला पेश किया। इससे पहले राज्यों को इस तरह से आगे बढ़ाने के लिए धन वितरण का कोई विशेष फॉर्मूला नहीं था। एनडीसी ने अनुमोदित गाडगिल फॉर्मूला ने असम, जम्मू-कश्मीर और नगालैंड जैसे विशेष श्रेणी के राज्यों को प्राथमिकता दी गई। 5वें वित्त आयोग ने 1969 में स्पष्ट किया कि विशेष श्रेणी की अवधारणा क्या रहेगी? एनडीसी ने इस स्थिति के आधार पर इन राज्यों को केंद्रीय योजना से सहायता आवंटित की थी। वित्तीय वर्ष 2014-2015 तक विशेष श्रेणी स्थिति वाले 11 राज्यों को इसका लाभ मिला। 2014 में जब केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सरकार बनी तो योजना आयोग का विघटन कर नीति आयोग का गठन किया गया। इसके प्रभाव से गाडगिल फॉर्मूला-आधारित अनुदान बंद हो गया और राज्यों को अलग-अलग श्रेणी में बांटने का प्रावधान भी खत्म हो गया। अब किसी भी नए राज्य को विशेष श्रेणी का दर्जा नहीं दिया जा रहा है, क्योंकि भारत का संविधान इस तरह के वर्गीकरण का प्रावधान नहीं करता है।

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