पी. रंजनदास, बीजापुर. बस्तर के सबसे उंचे नंबी जलप्रपात सैलानियों से गुलजार हो उठा है. महज दो दिन के भीतर तीन सौ से ज्यादा सैलानी नंबी जलप्रपात की खूबसूरती को करीब से निहारने पहुंचे. सहूलियत के लिए नंबी गांव के युवाओं ने समिति भी बनाई है. बतौर प्रवेश शुल्क प्रति व्यक्ति 100 रूपए निर्धारित है.

रविवार को साप्ताहिक अवकाश का दिन होने से डेढ़ सौ से ज्यादा सैलानी जलप्रपात में जुटे थे. पहली मर्तबा कि जब बीजापुर के उसूर ब्लाक के सबसे संवेदनशील नंबी गांव में बेझिझक, बेखौफ सैलानियों ने आमद दर्ज कराई. गांव से लगभग ढाई किमी के ट्रैक में जलप्रपात तक पहुंचने छोटे-बड़े पत्थर, चट्टान और जंगली बेल, बांस के झुरमुट से होकर जलप्रपात के नीचे पहुंचा जा सकता है.

ऐसे पहुंचे जलप्रपात तक

समिति की तरफ से ट्रैक से पहले प्रवेश शुल्क की पर्ची काटी जा रही है. कुछ दूर तक बाइक से पहुंचने के बाद बाइक पार्किंग के लिए व्यवस्था है. बीजापुर जिला मुख्यालय से लगभग 60 किमी दूर नंबी जलप्रपात है. नंबी गांव तक पहुंचने बीजापुर से आवापल्ली फिर उसूर और गलगम को पार करने के बाद नंबी गांव पहुंच सकते हैं. नंबी गांव तक पिछले कुछ महीनों तक ना तो सड़क थी और ना ही सुरक्षा बल के कैंप. नतीजतन यह इलाका नक्सलियों के प्रभाव में था, जिसके चलते सैलानियों का यहां पहुंच पाना संभव नहीं था.

सड़क बनने से सैलानियों की राह हुई आसान

पुलिस और प्रशासन की पहल से पहले गलगम और फिर नंबी में कैंप खुलने के बाद उसूर से नंबी तक सड़क को बहाल करने की दिशा में तेजी से काम हुआ. हालांकि सड़क अब भी कच्ची है, लेकिन चारपहिया वाहनों के आवागमन के लिहाज से इसे दुरूस्त कर दिया गया. चूंकि नंबी में सीआरपीएफ की एक कंपनी तैनात है और सड़क की सुगमता ने नंबी जलप्रपात तक सैलानियों की राह आसान हो गई.

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ऐसे सामने आई थी नंबी जलप्रपात की तस्वीर

साल 2015 में नंबी जलप्रपात की पहली तस्वीर सामने आई थी. स्थानीय पत्रकार ने जलप्रपात की तस्वीर बाहर लाई थी. यूकेश के मुताबिक नंबी की रिर्पोटिंग जोखिम भरी थी. नंबी को शूट कर लौटते वक्त गलगम के नजदीक ही इनका सामना नक्सलियों से हुआ था. आठ वर्षों तक नक्सलियों के भय से सैलानी चाहकर भी जलप्रपात का दीदार नहीं कर पा रहे थे. पहली मर्तबा जब सड़क खुली और सुरक्षा बलों के कैंप खुलने से इलाके में जैसे ही नक्सलियों का प्रभाव कम हुआ तो प्रकृति प्रेमी खुद को रोक नहीं पाए. लगभग 300 फीट की उंचाई से गिरता पानी जलप्रपात का रूप लेता है. इसकी उंचाई ही इसे बस्तर के अन्य जलप्रपातों से अलग बनाती है. उंचाई की वजह से ही नंबी को बस्तर के अन्य जलप्रपातों के मुकाबले सबसे उंचा जलप्रपात बताया जा रहा है. बहरहाल नंबी में सैलानियों की बैखौफ इंट्री से यहां पर्यटन की संभावनाओं को काफी बल मिला है. बीजापुर जिले में नंबी के अलावा नीलम सरई, लंका, बोडकम सरई जलप्रपात भी मौजूद है.

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