वीरेन्द्र गहवई, बिलासपुर। छत्तीसगढ़ की समृद्ध लोक संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित करने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ी समाज द्वारा आयोजित “सुआ नाच महोत्सव प्रतियोगिता” का आयोजन 25 और 26 अक्टूबर को देवकी नंदन दीक्षित सभागार के मैदान में किया जा रहा है। रोज शाम 5 बजे से रात 10 बजे तक जारी रहने वाले इस सांस्कृतिक आयोजन में प्रदेशभर से आए कलाकारों और लोक-संस्कृति प्रेमियों की विशेष भागीदारी देखी जा रही है। आज कार्यक्रम के पहले दिन महिला मंडलियों ने पारंपरिक नृत्य और गीतों से समा बांध दिया। इस दौरान कार्यक्रम देखने आए दर्शक भी झूम उठे।

बता दें कि इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य छत्तीसगढ़ की लोक धरोहर, विशेषकर महिलाओं द्वारा वर्षों से निभाई जा रही पारंपरिक सुआ नाच को नई पीढ़ी तक पहुँचाना और इसकी महत्ता को उजागर करना है। मोर चिनहारी छत्तीसगढ़ी सर्व छत्तीसगढ़िया समाज के द्वारा आयोजित इस महोत्सव में प्रतिभागियों को पारंपरिक छत्तीसगढ़ी गीत और नृत्य प्रस्तुत करने का अवसर मिला।
प्रतियोगिता के नियमों के अनुसार, केवल छत्तीसगढ़ी परंपरा पर आधारित सुआ गीत ही प्रस्तुति के लिए मान्य हैं। यदि किसी प्रतिभागी ने स्वयं सुआ गीत लिखा है, तो उसका लिखित रूप आयोजकों को जमा करना अनिवार्य है। इसके अलावा, प्रतिभागियों के लिए पारंपरिक छत्तीसगढ़ी पहनावा और आभूषण पहनना अनिवार्य रखा गया। हर टीम को अपने समूह का नाम और पंजीकरण समिति के नाम पर करना था। प्रतियोगिता एक ही दिन में संपन्न हुई और सभी प्रतिभागियों की उपस्थिती अनिवार्य थी।
इस अवसर पर क्षेत्र की महिला मंडलियों ने पारंपरिक वेशभूषा में सजा-संवर कर सुआ गीतों के माध्यम से लोक नृत्य की अद्भुत प्रस्तुति दी, जिससे दर्शकों ने आनंद लिया। आयोजक समिति ने प्रदेशवासियों, कलाकारों और सांस्कृतिक प्रेमियों से अपील की है कि वे इस तरह के कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर भाग लें और छत्तीसगढ़ की लोक परंपरा को जीवित रखने में योगदान दें।
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महोत्सव का माहौल सांस्कृतिक उत्साह और परंपरागत संगीत की मिठास से भरपूर रहा। आयोजन में शामिल दर्शक और कलाकार दोनों ही छत्तीसगढ़ की धरोहर को आधुनिक संदर्भ में बनाए रखने की सराहना कर रहे थे।
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