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बिलासपुर। छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. के.एन. चौधरी के खिलाफ जारी वसूली आदेश को हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि वसूली गई समस्त राशि उन्हें तत्काल वापस की जाए।
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क्या है मामला?
डॉ. के.एन. चौधरी, जो पारिजात कैसल, रिंग रोड-2, बिलासपुर के निवासी हैं, 30 जून 2023 को 65 वर्ष की आयु पूर्ण करने के बाद सेवानिवृत्त हुए थे। पांच माह बाद, बिना किसी पूर्व सूचना या कारण बताओ नोटिस के, डीन, सिम्स बिलासपुर द्वारा उनके खिलाफ वसूली आदेश जारी कर दिया गया। यह आदेश उनके सेवाकाल में वेतन नियमन में त्रुटि के कारण अधिक वेतन भुगतान का हवाला देकर दिया गया था।
हाईकोर्ट में दी गई चुनौती
डॉ. चौधरी ने हाईकोर्ट में अधिवक्ता अभिषेक पांडेय और स्वाति सराफ के माध्यम से रिट याचिका दायर कर इस आदेश को चुनौती दी। उन्होंने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में मध्यप्रदेश मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन बनाम मध्यप्रदेश शासन (2022) और स्टेट ऑफ पंजाब बनाम रफीक मसीह (2015) के मामलों में यह सिद्धांत प्रतिपादित किया है कि यदि वेतन नियमन में गलती से अधिक वेतन भुगतान हुआ है और वह आदेश की तारीख से पांच वर्ष या उससे अधिक पुराना है, तो सेवानिवृत्ति के बाद उसकी वसूली नहीं की जा सकती।
हाईकोर्ट का फैसला
हाईकोर्ट ने डॉ. चौधरी के तर्क को स्वीकार करते हुए वसूली आदेश को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बिना कारण बताओ नोटिस जारी किए इस प्रकार की वसूली अवैध है और यह सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्णयों के खिलाफ है। न्यायालय ने डॉ. चौधरी से वसूली गई राशि को तत्काल लौटाने का निर्देश दिया।
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