रायपुर. बिलासपुर हाईकोर्ट में एक पति ने अपने बच्चे की कस्टडी के लिए एक अनोखा तर्क दिया है. कोर्ट में उसने तर्क दिया है कि उसकी पत्नी जींस-टॉप पहनकर ऑफिस जाती है, जिससे उसके बच्चे पर बुरा असर पड़ता है. इसलिए बच्चे की कस्टडी पिता को सौंपी जाएं.

पति-पत्नि के तलाक के बाद बच्चें की कस्टडी को लेकर बिलासपुर हाइकोर्ट के जस्टिस ने टिप्पणी की है कि जींस-टॉप पहनने से, पुरुष सहयोगी के साथ ऑफिस में काम करने या उनके साथ काम के सिलसिलें में कही बाहर जाने से किसी भी महिला का चरित्र तय नहीं किया जा सकता है. हाइकोर्ट के जस्टिस गौतम भादुड़ी और संजय एस. अग्रवाल की बेंच ने ये भी कहा कि महिलाओं के प्रति ऐसी सोच रखने से उनके अधिकार और आजादी की लड़ाई और भी लंबी हो जाएगी.

जाने जींस-टॉप से जुड़ा क्या है पूरा मामला

महासमुंद में रहने वाले दंपती शादी के 2 साल बाद अपनी मर्जी से तलाक ले लिए. उसके बाद से बेटा मां के पास रहने लगा. पांच साल बाद पिता ने अपने बेटे की कस्टडी को लेकर फैमिली कोर्ट में अर्जी लगाई और तर्क ये दिया कि बच्चें की मां जींस-टॉप पहन कर ऑफिस जाती है, वहां पुरुष सहयोगी के साथ काम करती है उनके साथ बाहर जाती है, उसने अपनी पवित्रता खो दी है, इससे बेटे पर गलत असर पड़ रहा है. हालांकि फैमली कोर्ट ने भी इस तर्क को खारिज करते हुए मां के हक में फैसला दिया, जिसके बाद पिता ने हाईकोर्ट में इसे चुनौती दी थी.

हाइकोर्ट ने एक सिरे से नकार दिया

मामला जब हाइकोर्ट पहुंचा तो हाइकोर्ट ने इस मामलें को एक सिरे से नकारते हुए कहा कि ऐसी विचारधारा रखने वाले समाज के कुछ लोगों के प्रमाण पत्र से महिला का चरित्र तय नहीं होता. फिलहाल बेटे की कस्टडी को लेकर माता-पिता दोनो को समान रुप से मिलने जुलने और प्यार देने का अधिकार दिया गया है. बेटा मॉ के पास रहेगा और तकनीकी माध्यमों से पिता से भी लगातार संपर्क में रह सकता है.

अदालत का फैसला (प्रतीकात्मक फोटो)

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