बिलासपुर। प्रदेश सरकार ने 400 यूनिट तक मिलने वाली बिजली बिल की छूट को समाप्त कर दिया है. जो अगले माह की बिलिंग से शुरू होगी. उसके पहले ही बाबूओं की मेहरबानी से लोगों को अभी भी उसका लाभ मिलना बंद हो गया है . नेहरू नगर जोन में ऐसा पहला मामला है. अब उपभोक्ता की शिकायत के बाद प्रकरण बनाकर प्रकरण ईई ऑफिस को भेजा जाएगा.

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1 मार्च 2019 से बिजली बिल घरेलु उपभोक्ताओं को 400 यूनिट तक बिजली खपत करने पर सीधे 50% की छूट दी जा रही थी. प्रदेश सरकार ने अब उसको समाप्त कर दिया है. जो एक अगस्त से लागू होगी. इसलिए उपभोक्ताओं को बिजली बिल में मिलने वाली छूट सितंबर माह के बिलिंग में नहीं मिलेगी. लेकिन नेहरू नगर जोन के बाबूओं द्वारा टैरिफ में बदलाव करने के कारण उपभोक्ता को एक माह पहले ही शासन से मिलने वाली पचास प्रतिशत छूट का लाभ मिलना बंद हो गया है.

यह मामला कुदुदण्ड से सामने आया है. वहां रहने वाले आरएस ठाकुर के मकान में लगे मीटर का उपभोक्ता ने रीडिंग किया. इसके बाद बिल दे दिया. उनके मकान में लगे 3 मीटर में से 2 के बिल में 50% छूट का लाभ मिला. वहीं एक मीटर में शासन से मिलने वाली छूट का लाभ नहीं दिया गया. बिल अधिक आने पर उपभोक्ता का ध्यान गया. उनके द्वारा इसकी शिकायत नेहरू नगर जोन कार्यालय में की गई. वहां भी छूट नहीं मिलने का मामला पाया गया. इसलिए उक्त प्रकरण को बिल में सुधार कर छूट का लाभ देने के लिए कार्यपालन अभियंता कार्यालय, पश्चिम डिवीजन को भेजा गया है. जहां से स्वीकृति मिलने के बाद ही उपभोक्ता को छूट का लाभ मिल सकेगा.

युक्तियुक्तकरण के बाद भी शिक्षकों की कमी से जूझ रहे सरकारी स्कूल

बिलासपुर। शिक्षक युक्तियुक्तकरण के बाद भी सरकारी स्कूलों को पर्याप्त शिक्षक नहीं मिले हैं. अभी भी कई स्कूलों में शिक्षकों की कमी है. वहीं कई स्कूलों में दर्ज संख्या के हिसाब से अधिक शिक्षकों की पोस्टिंग कर दी गई है. शहर से लगे शासकीय मिडिल शाला गतौरी मात्र एक शिक्षक के भरोसे चल रहा है. वहां छात्रों की दर्ज संख्या 82 है. सत्र शुरू होने के बाद से ग्रामीण, शिक्षकों की मांग कर रहे है. इसके बाद भी कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है.

राज्य सरकार ने शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए युक्तियुक्तकरण किया. इसमें अतिशेष शिक्षकों को शिक्षक विहीन स्कूलों में भेजना था. जिले के शिक्षा अधिकारियों ने शासन की महत्वपूर्ण योजना में चेहेतों को बचाने के लिए जमकर खामियां की. इसके कारण युक्तियुक्तकरण के बाद भी जिले के कई स्कूल, शिक्षकों की कमी से जूझ रहे है. शहर से गांव भेजे गए अतिशेष शिक्षकों ने अभी तक ज्वाइनिंग नहीं की है. इसलिए स्कूलों में पोस्टिंग के बाद भी शिक्षक नहीं मिले है. ढाई माह बाद भी ऐसे शिक्षकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. इसका खामियाजा सरकारी स्कूलों के छात्रों को उठाना पड़ रहा है.

शहर से लगे बिल्हा ब्लॉक के शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला, गतौरी में मात्र एक विज्ञान शिक्षक पदस्थ है. वहां एक प्रधान पाठक भी है. जिन्हें कार्यालयीन कार्य के साथ संकुल बैठक, शासकीय योजनाओं, मध्यान्ह भोजन, शालेय अनुशासन सहित कई कार्य करने होते हैं. ऐसे में एक शिक्षक को तीन कक्षाओं को पढ़ाना पड़ रहा है. गौरी स्कूल में अंग्रेजी, गणित और संस्कृत पढ़ाने वाले शिक्षकों की कमी है. युक्तियुक्तकरण के दौरान गतौरी स्कूल शिक्षकों का पद रिक्त था, पर काउंसलिंग में जानकारी प्रदर्शित नहीं की गई. शिक्षा अधिकारियों की उक्त गलती का खामियाजा छात्रों को उठाना पड़ रहा है.

रेंजरों के रहते डिप्टी रेंजरों को परिक्षेत्र प्रभार देने से नाराजगी

बिलासपुर। रेंजर के रहते डिप्टी रेंजरो को परिक्षेत्र अधिकारी का प्रभार देने से छत्तीसगढ़ फॉरेस्ट रेंजर्स एसोसिशन नाराज है, इस संबंध में संगठन की ओर से वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अवर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर वरिष्ठ अधिकारी के रहते कनिष्ठ अधिकारी को प्रभार नहीं दिए जाने की मांग की गई है, संगठन की मांग को नजर अंदाज किए जाने पर अपने अधिकारों के संरक्षण में उच्च न्यायालय जाने के चेतावनी दी गई है.

छत्तीसगढ़ फॉरेस्ट रेंजर्स एसोसिशन द्वारा लिखे गए पत्र में बताया गया है कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा विभिन्न पत्रों के माध्यम से एवं बिलासपुर हाईकोर्ट व नैनीताल के निर्णय के निर्देशों के तहत वरिष्ठ आधिकारी के रहते किसी भी कनिष्ठ अधिकारी को प्रभार नहीं दिए जाने के संबंध में निर्देश दिया गया है, बावजूद इसके वृत्त स्तर संभाग स्तर वन मंडल एवं जिला स्तर पर वन क्षेत्रपाल के रहते हुए भी उपवन क्षेत्रपाल को प्रभार दिया जा रहा है.

रेंजर्स एसोसिशन का कहना है कि उक्त निर्देशों का आज तक पालन नहीं किया जा रहा है. हाईकोर्ट एवं शासन के निर्देशों की अवहेलना की जा रही है, संगठन ने उपवन क्षेत्रपाल को प्रभार दिए जाने के संबंध में वृत्त एवं वन मंडल स्तर पर की गई कार्रवाई की निंदा करते हुए शासन से मांग की है कि जितने उपवन क्षेत्रपाल वर्तमान में किसी वन परिक्षेत्र के प्रभार में है उन्हें तत्काल पृथक कर वरिष्ठ वन परिक्षेत्र अधिकारी को प्रभार देने की मांग की गई है.

छत्तीसगढ़ फॉरेस्ट रेंजर्स एसोसिएशन के प्रांताध्यक्ष धनलाल साहू, प्रदेश महासचिव विक्रांत कुमार, प्रदेश उपाध्यक्ष सुनीत साहू सहित सभी सदस्यो की ओर से कहा गया है कि संगठन की मांग को नजर अंदाज करते हुए कोई निर्णय लिया जाएगा तब की स्थिति में उच्च न्यायालय जाने हेतु बाध्य होंगे.

डिजिटल क्रॉप सर्वे में पचपेड़ी प्रदेश में अव्वल

बिलासपुर। राजस्व विभाग के लिए यह किसी कटु सत्य से कम नहीं कि वर्षों से जिस काम पर करोड़ों रुपए खर्च होते रहे और सरकारी अमला हर साल ढोल- नगाड़ा बजाकर अधूरे आंकड़े पेश करता रहा, डिजिटल क्रॉप सर्वे योजना के तहत पचपेड़ी तहसील ने पूरे प्रदेश में अव्वल रहते हुए 50 हजार से अधिक खसरों का सर्वे पूरा कर लिया है.

यह उपलब्धि सरकारी कर्मचारियों की कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़ा करती है. खरीफ सीजन के पहले हर साल डिजिटल क्रॉप सर्वे किया जाता यह जिम्मेदारी संबंधित हलका नम्बर के पटवारी को दी जाती है. पिछले दिनों में पटवारी संघ अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए थे. ऐसे में डिजिटल क्रॉप की जिम्मेदारी गांव के शिक्षित बेरोजगार युवकोx को दी गई. जिसे युवाओं ने बखूबी निभाया ही नही बल्कि कीर्तिमान स्थापित कर लिया. वहीं लगातार निर्देश के बावजूद संतोष जनक आंकड़े सामने नही आ पाते.

आखिर क्यों सरकारी अमला हर साल इस काम को रचनात्मक और सटीक तरीके से नहीं कर पाता इसको लेकर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं. जबकि बेरोजगार युवाओं के पास न तो नौकरी की गारंटी और नही पर्याप्त संसाधन और न ही अनुभव फिर भी आंकड़े बताते रहे है कि बेराजगार युवाओं ने डिजिटल क्रॉप सर्वे में पचपेड़ी के युवाओं ने सफलता हासिल कर ली. वहीं दूसरी तरफ सरकारी अमले का हाल यह है कि बारिश का बहाना, फाइलों का बोझ और ड्यूटी टाइम का हवाला देकर काम को टालते टालते आंकड़ों की खानापूर्ति कर दी जाती है.