बिलासपुर। गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय को नैक द्वारा भले ही ए ग्रेडिंग प्राप्त है, लेकिन यहां पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं को मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. यहां की हालत यह है कि जरा सी बारिश में क्लास रूम में पानी भर जाता है, जिससे विद्यार्थी परेशान हो रहे हैं.
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गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय में सबसे ज्यादा परेशानी पुराने यूटीडी भवन में है. यहां के बी विंग की हालत इन दिनों बदतर होती जा रही है. गर्ल्स कॉमन रूम और उससे लगे क्लास रूम में हर बारिश के साथ जलभराव की स्थिति बन रही है, जिससे छात्राओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

क्लास व कॉमन रूम की दीवारों में सीलन और फर्श पर पानी जमा होने के चलते न केवल कक्षाएं बाधित हो रही हैं, बल्कि स्वास्थ्य और स्वच्छता को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. छात्रों ने बताया कि हल्की बारिश में भी पानी अंदर घुस आता है, जिससे फर्नीचर और बैठने की व्यवस्था भी प्रभावित होती है.
पानी भरने के साथ ही बाधित होती है पढ़ाई
सबसे गंभीर बात यह है कि ए ग्रेड की महत्वपूर्ण रैंकिंग वाली यूनिवर्सिटी में मूलभूत सुविधाओं की अनदेखी की जा रही है. जल निकासी की कोई समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण यह स्थिति हर मानसून में दोहराई जाती है, लेकिन प्रबंधन की ओर से कोई स्थायी समाधान नहीं किया गया. छात्रों की मांग है कि जल्द जल निकासी और मरम्मत की उचित व्यवस्था की जाए.
सांप-बिच्छुओं का भी बना रहता है डर
केंद्रीय विश्वविद्यालय के विवेकानंद हॉस्टल सहित अधिकांश भवनों के आसपास पेड़-पौधे और झाड़ियां उगी हुई हैं, जिनकी नियमित सफाई नहीं कराई जाती. बारिश के मौसम में यहां कीड़े-मकोड़ों के साथ-साथ सांप-बिच्छुओं का खतरा भी बढ़ जाता है. छात्र-छात्राओं का कहना है कि परिसर में कई बार सांप घूमते हुए देखे गए हैं, जिससे डर का माहौल बना रहता है.
कॉलेजों में अब शुरू हुआ ओपन एडमिशन का दौर
बिलासपुर। जिले के विभिन्न कॉलेजों में अब ओपन एडमिशन की प्रक्रिया शुरू हो रही है. पहली, दूसरी और तीसरी मेरिट सूची के बाद भी बड़ी संख्या में सीटें खाली रहने से कॉलेजों ने अब सीधे प्रवेश देना शुरू कर दिया है. इससे वे छात्र-छात्राएं लाभान्वित हो रहे हैं जो पिछली सूची में शामिल नहीं हो पाए थे.
शासकीय कॉलेजों में अब भी लगभग 30 प्रतिशत सीटें खाली हैं, जबकि निजी कॉलेजों में 45 प्रतिशत सीटें अब भी विद्यार्थियों का इंतजार कर रही हैं. खास बात यह है कि इस बार साइंस, कॉमर्स और लॉ विषयों में छात्रों का रुझान अधिक देखा जा रहा है. ओपन एडमिशन की प्रक्रिया शुरू होते ही कॉलेज परिसरों में फिर से चहल-पहल लौट आई है. इधर छात्रसंघ भी उनकी मदद के लिए हेल्प काउंटर लगाकर बैठे हैं.
बीएएलएलबी, बीकॉम, बीएससी में अधिक भीड़
बीएससी (विज्ञान), बीकॉम (कॉमर्स) और बीएएलएलबी (कानून) जैसे पाठ्यक्रमों में इस बार सीटें तेजी से भर रही हैं. बीएससी में खासतौर पर बायोलॉजी और मैथ्स ग्रुप में अधिक मांग देखने को मिल रही है. वहीं, बीकॉम में सीए और बैंकिंग क्षेत्र में करियर की संभावनाओं को देखते हुए छात्र रुचि दिखा रहे हैं.
सेंट जेवियर्स हाई स्कूल को मिला ब्रिटिश काउंसिल से प्रतिष्ठित रिड्स अवार्ड
बिलासपुर। सेंट जेवियर्स हाई स्कूल, व्यापार विहार को ब्रिटिश काउंसिल द्वारा वर्ष 2024 के लिए प्रतिष्ठित आरआईडीएस (Recognition of International Dimension in Schools) अवार्ड से समानित किया गया है.
वर्ष भर में स्कूल ने आठ अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों का सफलतापूर्वक आयोजन किया, जिनमें मिस्र और युगांडा के स्कूलों के साथ तीन सहयोगी परियोजनाएं शामिल थीं. इन पहलों ने न केवल हमारे छात्रों की सोच का विस्तार किया, बल्कि सांस्कृतिक आदान-प्रदान और अंतरराष्ट्रीय समझ को भी सशक्त किया. चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. जीएस पटनायक, डायरेक्टर लेखाश्री पटनायक, सीईओ डॉ. बीबी मेहता, प्रबंधन सदस्य दिव्याश्री पटनायक और सुप्रिया एपी, सीएफओ पीवी मिस्त्री, प्रिंसिपल जेएस हुंदलने समस्त टीम के सदस्यों को शुभकामनाएं दी हैं.
फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र से सरकारी नौकरी, 20 अगस्त तक बोर्ड में परीक्षण का आदेश
बिलासपुर। फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र के सहारे सरकारी नौकरी कर रहे लोगों के खिलाफ अब हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. सभी संदिग्ध कर्मचारियों को 20 अगस्त 2025 तक राज्य मेडिकल बोर्ड से दिव्यांगता का अनिवार्य भौतिक परीक्षण कराने के निर्देश कोर्ट ने दिए हैं.
कोर्ट ने कहा है कि जो भी कर्मचारी जांच नहीं कराएंगे, उन्हें स्पष्टीकरण देना होगा कि उन्होंने मेडिकल बोर्ड के समक्ष परीक्षण क्यों नहीं कराया. कोर्ट ने चेताया है कि यदि तय समयसीमा के भीतर जांच नहीं कराई जाती, तो संबंधितों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. हाईकोर्ट ने सभी विभागों के इंचार्ज अधिकारियों को 20 अगस्त को कोर्ट में उपस्थित रहने के निर्देश दिए हैं.
संबंधित अधिकारी की जिम्मेदारी
कोर्ट ने कहा कि संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे सुनिश्चित करें कि उनके विभाग में कार्यरत सभी संदिग्ध कर्मचारी निर्धारित तिथि तक मेडिकल जांच कराएं. अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो संबंधित अधिकारियों की भूमिका भी जांची जाएगी. उल्लेखनीय है कि दिव्यांग संघ भी पिछले तीन वर्षों से इस मुद्दे को उठा रहा है. संघ का आरोप है कि कई ऐसे लोग सरकारी नौकरी में चयनित हुए हैं जो असल में दिव्यांग नहीं हैं, लेकिन फर्जी प्रमाणपत्र के जरिए उन्होंने आरक्षण का लाभ उठाया.
इनकी नियुक्ति पर हैं सवाल
व्याख्याता मनीषा कश्यप, टेक सिंह राठौर, रवीन्द्र गुप्ता, पवन सिंह राजपूत, विकास सोनी, अक्षय सिंह राजपूत, गोपाल सिंह राजपूत, योगेन्द्र सिंह राजपूत. शिक्षक मनीष राजपूत, सहायक शिक्षक नरहरी सिंह राठौर, राकेश सिंह राजपूत तथा श्रम विभाग के सहायक ग्रेड-2 कर्मचारी नरेन्द्र सिंह राजपूत के साथ कृषि विभाग में कार्यरत ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों प्रभा भास्कर, अमित राज राठौर, धर्मराज पोर्ते, नितेश गुप्ता, विजेन्द्र नार्गव, टेकचंद रात्रे, निलेश राठौर, सुरेन्द्र कश्यप, गुलाब सिंह राजपूत, बृजेश राजपूत सहित प्रयोगशाला सहायक भीष्मराव भोसले भी इसमें शामिल है. जिला योजना एवं सांख्यिकी विभाग के सहायक ग्रेड-2 सत्यप्रकाश राठौर, उद्यान विभाग की ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी पूजा पहारे और सतीश नवरंग, तथा पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के विकास विस्तार अधिकारी राजीव कुमार तिवारी भी इस सूची में हैं.
लोरमी ब्लॉक में सर्वाधिक फर्जीवाड़ा
मुंगेली जिले के लोरमी ब्लॉक के सारधा, लोरमी, सुकली, झाफल, फुलझर, विचारपुर, बोड़तरा गांव के लोगों के बने सभी दिव्यांग प्रमाण-पत्रों पर सवाल उठ रहे हैं. बात सामने आई है कि अकेले 53 लोग कृषि विभाग में ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के पद पर पदस्थ हैं. वहीं तीन लोग कृषि शिक्षक के पद पर काबिज हैं. उल्लेखनीय है कि राज्य शासन की ओर से दिव्यांगों की विशेष भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया था.