बिलासपुर. रेल मंत्रालय के महत्वाकांक्षी परियोजना के अंतर्गत यात्रियों को विश्वस्तरीय सुविधा प्रदान करने हेतु  “अमृत भारत स्टेशन” योजना के अंतर्गत स्टेशनों के कायाकल्प की तैयारी चल रही है. अगस्त 2023 में प्रधानमंत्री के द्वारा देश के 500 से अधिक रेलवे स्टेशनों के साथ  बिलासपुर स्टेशन के पुनर्विकास के कार्य का भी  शिलान्यास किया गया. लगभग 28 एकड़ में विस्तृत बिलासपुर स्टेशन को आने वाले 40 – 50 सालों के यात्रियों की संख्या को ध्यान में रख कर इस वृहत कार्य की योजना बनाई गई है.

 बिलासपुर रेलवे स्टेशन को विकसित करने का लक्ष्य रेल  यात्रियों को विश्वस्तरीय सुविधाएं और  बेहतर यात्रा  अनुभव प्रदान करना  है. रेलवे स्टेशन के आसपास अच्छी व्यवस्थाएं होने से आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा.

रेलवे देश की लाइफलाइन है. रेलवे लगातार यात्री सेवा को सुलभ करने के ल‍िए नवीनतम तकनीक, सुविधाओं और बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाने पर काम कर रही है.  इसी कड़ी में देशभर के रेलवे स्टेशनों की कायापलट करने पर काम क‍िया जा रहा है शहरों की पहचान भी रेलवे स्टेशनों से जुड़ी होती है. बिलासपुर शहर की इतिहास में बिलासपुर रेलवे स्टेशन महत्वपूर्ण रूप से जुड़ा हुआ है. ऐसे में जरूरी है कि रेलवे स्टेशनों को आधुनिक स्वरूप में ढाला जाए. जब बिलासपुर आधुनिक स्टेशन बनेंगा  तो इससे एक नया माहौल भी बनेगा. जब देशी विदेशी पर्यटक यहाँ पहुंचेंगे तो यहाँ की तस्वीर उसकी नजरों में यादगार बनेगी. अमृत भारत स्टेशन योजना का मकसद सुविधाओं की शुरुआत के साथ मौजूदा सुविधाओं के अपग्रेडेशन पर भी काम करना है.  योजना के तहत बिलासपुर शहर के दोनों किनारों पर उचित एकीकरण के साथ  स्टेशन को सिटी सेंटर के रूप में विकसित करने तथा शहर को दोनों तरफ से जोड़ने के लिए मास्टर प्लान तैयार किए जा रहा है. स्टेशन भवन का डिजाइन छतीसगढ़ के स्थानीय संस्कृति, विरासत और वास्‍तुकला से प्रेरित होगा. यह रेलवे स्‍टेशन बिलासपुर शहर या स्‍थान की खूबसूरती को प्रदर्शित करेगी.

 वर्तमान में बिलासपुर स्टेशन से प्रतिदिन लगभग 65800 यात्रियों का आवागमन हो रहा है, जबकि आने वाले 40 से 50 वर्षों में यात्रियों की संख्या प्रतिदिन लगभग 1 लाख 80 हजार के अनुरूप इसे विकसित किया जा रहा है. स्टेशन में प्रवेश एवं निकास के मार्ग अलग-अलग किया जा रहा है, जिससे यात्रियों को भीड़भाड़ का सामना नहीं करना पड़ेगा.

 काँन्कोर्स में एकसाथ लगभग 780 यात्रियों के बैठने के लिए 880 वर्ग मीटर  वेटिंग एरिया की व्यवस्था है. 1300 से अधिक वाहनों के लिए लगभग 31 हजार वर्ग मीटर की पार्किंग एरिया का प्रावधान किया गया है. 3 नए फुट ओवर ब्रिज पहला स्टेशन प्रवेश के लिए जिसकी लंबाई 95.4 मीटर व चौड़ाई 6 मीटर, दूसरा स्टेशन से निकास के लिए जिसकी लंबाई 81.9 मीटर व चौड़ाई 6 मीटर तथा तीसरा स्टेशन प्रवेश के लिए एक और जिसकी लंबाई 99.9 मीटर व चौड़ाई 6 मीटर का प्रावधान किया गया है.  6051 वर्ग मीटर का काँन्कोर्स का प्रावधान किया गया है, जिसमें 1700 वर्ग मीटर का कमर्शियल एरिया होगा, जिसमें व्यवसायिक प्रतिस्ठान एवं दुकाने होगी. बुजुर्गों तथा दिव्याङ्ग यात्रियों की विशेष सुविधा के लिए 31 लिफ्ट एवं 21 एस्केलेटर बनाए जाएंगे जिससे यात्रियों को एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म जाने में आसानी होगी. पार्सल सर्विस मूवमेंट को यात्री आवागमन एरिया से अलग कर एक नए भवन में शिफ्ट किया जाना है. इसके साथ ही पार्सल गोदाम को वर्तमान के 300 वर्ग मीटर से बढ़ाकर लगभग 1100 वर्ग मीटर किया जाना है.

 पर्यावरण संरक्षण के लिए क्लीन एनर्जी के महत्व को रेखांकित करते हुए स्टेशन की छतों पर 20500 वर्ग मीटर में 1200 किलोवाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्र लगाया जाना है. जल संरक्षण के दृष्टिगत स्टेशन भवन के 16 पिट्स में 97 हजार लीटर क्षमता के रेन वाटर हार्वेस्टिंग स्थापित किए जाएंगे.

 यात्रियों को दी जाने वाली जरूरी सुविधाओं में खान-पान, पीने का पानी, एटीएम, इंटरनेट, वॉशरूम, कवर शेड, स्टैंडर्ड साइनेज आदि शामिल है. बिलासपुर स्टेशन को विश्वस्तरीय रूप देते हुए ग्रीन स्टेशन का रूप दिया जा रहा है, जहां प्राकृतिक रौशनी और वेंटिलेशन का प्रावधान होगा. स्टेशन पर वरिष्ठ नागरिक एवं दिव्याङ्ग जन के अनुकूल सुविधाएं होंगी. पुनर्विकास के बाद बिलासपुर स्टेशन हाईटेक यात्री सुविधाओं के साथ टेक्नोलॉजी, स्थानीय संस्कृति और समृद्ध विरासत का आकर्षक केंद्र बनेगा. यात्रियों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ रोजगार बढ़ने की व्यापक संभावना विकसित होगी जिसका लाभ स्थानीय लोगों को मिलेगा. रेलवे स्टेशन सिटी के दोनों तरफ जुड़कर सिटी सेंटर की तरह विकसित होगा.

   दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे यात्री सुविधा एवं विकास के लिए प्रतिबद्ध है तथा भविष्य में भी उन्नत और आधुनिक यात्री सुविधा के कार्य जारी रहेंगे, जिसका एक महत्वपूर्ण प्रतीक बिलासपुर स्टेशन के पुनर्विकास के कार्य हैं.