अभिषेक समेर,तखतपुर। स्वच्छ भारत मिशन में स्वच्छता का अलख जगाने के लिए जिम्मा नगर निगम और नगर पालिका को मिला है. नगर पालिका आज स्वच्छता और शौचालय दोनों को लेकर जद्दोजहद में जूझ रहा है. लेकिन इस योजना पर निगम पालिक के लिए “दिया तले अंधेरा” की कहावत एकदम सटीक बैठती है. बिलासपुर जिले की तखतपुर नगर पालिका शौचालय अभियान में खुद को ओडीएफ मुक्त का तमगा लगाकर अपनी पीठ थपथपाते नहीं थकती है. लेकिन आश्चर्य की बात तो यह है नगर पालिका दफ्तर में ही शौचालय की व्यवस्था नहीं है. जबकि नगर पालिका के आधे से अधिक पार्षद महिला और अधिकारी भी महिला है. ऐसे में दफ्तर में शौचालय ना होना केंद्र सरकार की ड्रीम प्रोजेक्ट को ठेंगा दिखाने का उदाहरण बना हुआ है.

पूरे तखतपुर नगर ओडीएफ मुक्त बनाने की होड़ में व्यस्त है, लेकिन नगर पालिका ने मीडिया के हस्तक्षेप के बाद हाल ही में दफ्तर प्रांगण पर महिला और पुरुष के उपयोग के लिए नवनिर्मित शौचालय भवन तैयार किया है. इस शौचालय में दुर्भाग्य की बात यह है कि पुरुष प्रसाधन में ठेकेदारों के कबाड़ के सामान और महिला प्रसाधन में ताला लटक रहा है. ऐसे में शौचालय और मूत्रालय के लिए लाखों खर्च कर तैयार किए गए. लेकिन शौचालय का उपयोग नहीं हो पा रहा है और विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों समेत जनप्रतिनिधियों को मुंह चिढ़ा रहा है.

ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि नगर पालिका के दावे ओडीएफ मुक्त तखतपुर की कितनी सच्चाई है. अपने दफ्तर के ही शौचालय को उपयोग के लायक नहीं बनाया है, तो शहर में शौचालय की स्थितियां क्या होंगी ? इस संबंध में मुख्य नगर पालिका अधिकारी शीतल चन्द्रवंशी ने कहा कि फिलहाल नगर पालिका का शौचालय निर्माणाधीन है. इस वजह से शुरू नहीं हो पाया है, इसे जल्द ही प्रारम्भ किया जाएगा.

गौरतलब है कि तखतपुर मुख्य नगर पालिका अधिकारी के इस बयान से ये प्रतीत होता है कि नगर पालिका के ठेकेदार को संरक्षण अधिकारी दिए हुए है. यही वजह है कि ठेकेदार निर्धारित समय सीमा के भीतर कार्यालय को हैंडओवर नहीं किया हुआ है और शौचालय को कबाड़ के रूप में उपयोग कर रहा है. हालांकि पार्षद और जनप्रतिनिधियों ने ठेकेदार को दिए संरक्षण को लेकर नाराजगी जाहिर की है, लेकिन विभाग के अधिकारियों के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है.