Bilaspur Train Accident Investigation: वीरेंद्र गहवई. बिलासपुर. लालखदान में मंगलवार को मेमू पैसेंजर और मालगाड़ी की टक्कर ने 11 जिंदगियां छीन लीं. अब कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी बीके मिश्रा (B.K. Mishra) ने दूसरे दिन पूछताछ की कमान संभाली. पहले दिन 27 में से सिर्फ 7 कर्मचारियों के बयान लिए. मेडिकल, रिलीफ, लोको और कंट्रोल रूम के अफसरों से सवाल-जवाब हुए. आज सिग्नल, ऑपरेशन और ट्रैक टीम की बारी. सबकी नजरें असिस्टेंट लोको पायलट रश्मि राज और गार्ड शैलेश चंद्र यादव पर हैं. दोनों अभी सिम्स अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं. सूत्र बताते है कि “इनके बयान से पता चलेगा कि डेंजर सिग्नल क्यों नजरअंदाज हुआ?”. सीआरएस जीएम को छोड़ किसी को भी तलब कर सकते हैं. जांच का हर सवाल पूछ रहा कि- क्या यह सिर्फ चूक थी या सिस्टम फेल?

Also Read This: CG Accident News : दो ट्रकों में आमने-सामने की भिड़ंत… ड्राइवर और क्लीनर की मौके पर ही मौत, 2 घायल

Bilaspur Train Accident Investigation
Bilaspur Train Accident Investigation

वहीं इस रेल दुर्घटना की जॉइंट फाइंडिंग की रिपोर्ट को लेकर सवाल उठने लगे है. एआईएलआरएसए ने ट्रेन दुर्घटना की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में तथ्यात्मक त्रुटियों का आरोप लगाया है. जिसमें घटना के लिए ट्रेन के चालक दल को जिम्मेदार ठहराया गया है. पांच रेलवे विशेषज्ञों द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में मेमू ट्रेन के चालक दल को हादसे के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है, जिसमें कहा गया है कि वे लाल सिग्नल पर ट्रेन को नियंत्रित करने में विफल और फिर मालगाड़ी से टक्कर हो गई.

ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन (एआईएलआरएसए) ने आरोप लगाया कि प्रारंभिक जांच काल्पनिक विवरणों पर आधारित है और रिपोर्ट में गलत सिग्नल संख्याएं दर्ज की गई हैं. एआईएलआरएसए बिलासपुर के जोनल महासचिव वीके तिवारी ने दावा किया कि रिपोर्ट पूर्वाग्रहपूर्ण तरीके से तैयार की गई थी, ताकि चालक दल पर दोष मढ़ा जा सके और रेलवे प्रशासन की अन्य कमियों को छुपाया जा सके. तिवारी ने कहा, हमारा संगठन बिना किसी तथ्यात्मक जांच के रेलवे प्रशासन की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट पर गंभीर आपत्ति जताता है. यूनियन ने सिग्नल फेल होने की संभावना जताई है और कहा कि मेमू चालक दल ने तकनीकी खराबी के कारण हरा सिग्नल देखा होगा.

Also Read This: आवारा कुत्तों पर ‘सुप्रीम फैसला’: छत्तीसगढ़ समेत सभी राज्यों से शीर्ष न्यायालय बोला- नसबंदी करके सभी कुत्तों को शेल्टर होम में रखें, एक भी सड़कों पर न दिखें

ट्रेन की रफ्तार के फ्लो चार्ट को लेकर उठाए सवाल

एआईएलआरएसए के महासचिव अशोक कुमार राउत ने कहा कि मेमू ट्रेन की गति का फ्लो चार्ट देखने से पता चलता है कि स्थानीय मेमू चालक दल ने एक सिग्नल 42 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से पार किया. अगर उन्होंने अगला सिग्नल लाल देखा होता, तो वे गति 42 किमी प्रति घंटे से बढ़ाकर 73 किमी प्रति घंटे क्यों करते?. ऐसा लगता है कि सिग्नल हरा था और इसलिए उन्होंने गति बढ़ा दी?. उन्होंने कहा मुझे लगता है कि जब उन्होंने आगे मालगाड़ी देखी, तो उन्होंने रोकने के लिए आपातकालीन ब्रेक लगाए, लेकिन रुकने से पहले ही मालगाड़ी से टक्कर हो गई. स्पीड फ्लो चार्ट टक्कर से पहले आपातकालीन ब्रेक लगाने को दर्शाता है. एआईएलआरएसए सदस्यों ने जोर देकर कहा कि रेलवे का प्रारंभिक निष्कर्ष अंतिम नहीं है, क्योंकि यह पर्यवेक्षी अधिकारियों का है. लोको पायलट यूनियन ने कहा, जब तक रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) अंतिम रिपोर्ट नहीं दे देते, किसी को भी दोषी ठहराना गलत है. सीआरएस ने अभी जांच शुरू ही की है.

चालक को दोषी ठहराना उचित नहींः अटल (Bilaspur Train Accident Investigation)

वहीं दूसरी तरफ कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव ने कहा कि गतौरा रेल दुर्घटना का कारण मृतक लोको पायलट को बताने का प्रयास रेल अधिकारियों द्वारा जल्दी में लिया गया निर्णय है. रेल अधिकारी जवाबदारी से बचने के लिए मृत लोको पायलट को दोषी ठहरा रहे हैं. यह उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि मृत लोको पायलट की पत्नी, बच्चे एवं परिवार अभी सदमे से बाहर भी नहीं आए हैं और 24 घंटे के अंदर प्रारंभिक जांच में यह कह देना कि सीधे लोको पायलट इसके लिए जवाबदार था, यह मानवता नहीं है. श्रीवास्तव ने कहा कि रेलवे जोन के अधिकारी यह अच्छी तरह से समझ लें की दुर्घटना के जांच मे किसी प्रकार के लीपापोती या किसी को भी इसका दोषी करार दिए जाने का विरोध होगा. उन्होंने निष्पक्षता से तकनीकी टीम द्वारा जांच कर कर अंतिम रिपोर्ट पेश करने की बात कहीं.

Also Read This: CG News : इस जिले में कलेक्टोरेट के 100 मीटर क्षेत्र में धरना-प्रदर्शन और लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर लगी रोक, आदेश जारी