रायपुर. एक तरफ पर्यावरण है और दूसरी तरफ कोयला. एक तरफ भूपेश बघेल हैं और दूसरी तरफ अशोक गहलोत.  फैसले के लिए मामला अब कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास पहुंच चुका है. दो कांग्रेस शासित राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ के बीच कोयले के लिए कश्मकश चल रही है. मामला हसदेव अरंड क्षेत्र के कोल ब्लॉक को लेकर है. राजस्थान सरकार ने छत्तीसगढ़ स्थित कोल ब्लॉकों को शीघ्र मंजूरी दिलवाने के लिए कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है.

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी को लिखे अपने पत्र में आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ शासन वहां स्थित परसा कोल ब्लाक के खनन के लिए मंजूरी में देरी कर रही है. इससे राजस्थान में बिजली की समस्या पैदा हो रही है. राजस्थान सरकार का कहना है कि छत्तीसगढ़ सरकार दो कोल ब्लॉक शुरु करने और दो अन्य खदानों में उत्पादन बढ़ाने की उसकी योजना को रोक रही है.  राजस्थान सरकार का कहना है कि छत्तीसगढ़ में आवंटित कोल ब्लॉक में अब तक हुए खनन से कोयला खत्म होने के कगार पर परसा कोल ब्लॉक से खनन की मंजूरी केंद्रीय कोयला और वन मंत्रालय ने तो दी है, लेकिन भूपेश सरकार ने मामले को लटका दिया है. इस संबंध में राजस्थान सरकार ने केंद्र सरकार से भी हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है.

गौरतलब है कि परसा में राजस्थान सरकार को पहला कोल ब्लॉक आवंटित हुआ था. जिसे उसने खोदने के लिए अडानी को दे दिया था. इस खदान से 15 साल तक कोयला निकालना था लेकिन इसे 8 साल में ही पूरा कर लिया गया. इसके बाद दूसरी खदानों से खुदाई के लिए अनुमति मांगी गई. लेकिन इस बीच डब्ल्यूआईआई की एक रिपोर्ट आ गई जिसमें उसने इस क्षेत्र में खनन को जैव विविधता के लिए खतरनाक बताया. इस रिपोर्ट को लेकर भूपेश बघेल सरकार ने अपने रुख सख्त कर लिये.

परसा कोल ब्लॉक राजस्थान राज्य विद्युत निगम को आबंटित की गई थी, जिसके संचालन के लिए राजस्थान सरकार ने अडानी कंपनी के साथ अनुबंध किया है. केंद्र सरकार द्वारा परसा कोल ब्लाक में खनन के अगले चरण के लिए हरी झंडी मिलने के बाद से छत्तीसगढ़ के स्थानीय आदिवासियों तथा पर्यावरण विशेषज्ञों द्वारा चिंताएं व्यक्त की जा रही थीं. हाल ही में हसदेव क्षेत्र के आदिवासियों ने छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर तक पदयात्रा कर राज्यपाल को केंद्र के नाम ज्ञापन सौंपकर खनन की अनुमति दिए जाने का विरोध किया था. तब छत्तीसगढ़ सरकार ने आदिवासियों को आश्वस्त किया था कि राज्य सरकार द्वारा उनके हितों की रक्षा की जाएगी.

गौरतलब है कि राजस्थान के कोल ब्लॉक छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में परसा, परसा पूर्व, केते बासन और कांटे एक्सटेंशन में हैं. इनमें से तीन ब्लॉक 2015 में राजस्थान को 4,340 मेगावाट उत्पादन क्षमता को बढ़ावा देने के लिए आवंटित किए गए थे. गहलोत की दलील है कि यदि बाहर से कोयला मंगाने की नौबत आती है तो इससे राज्य में विद्युत की दरें प्रभावित होंगी.