रायपुर. पूर्व केंद्रीय मंत्री और देश में सबसे वरिष्ठ आदिवासी नेताओं में से एक अरविंद नेताम ने बिरसा मुंडा को भारत रत्न देने की मांग की है. नेताम ने कहा कि देश में आज़ादी की पहली लड़ाई 1857 में हुई. लेकिन आदिवासियों ने उससे पहले आदिवासियों ने जल-जंगल-ज़मीन की ऐसी लड़ाई लड़ी कि अंग्रेज घुटने टेकने पर मजबूर हो गए. उन्हीं से प्रेरणा लेकर बिरसा मुंडा ने लड़ाई लड़ी. अरविंद नेताम ने कहा कि बिरसा जैसा त्यागी और क्रांतिकारी समाज में कम ही पैदा हुए हैं. इसलिए उनका सम्मान करते हुए उन्हें भारत रत्न देना चाहिए.
उन्होने इस बात पर चिंता जाहिर की है कि आदिवासी समाज के प्रति देश के की सोच सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से थोड़ा अलग है.
गौरतलब है कि देश का आदिवासी समाज लंबे समय से बिरसा मुंडा को भारत रत्न देने की मांग करता रहा है लेकिन ये मांग मुख्यधारा में सुनाई नहीं पड़ती.

कौन थे बिरसा मुंडा

बिरसा मुंडा का जन्म 1875 के दशक में छोटा नागपुर में मुंडा परिवार में हुआ था. मुंडा एक जनजातीय समूह था जो छोटा नागपुर पठार में निवास करते थे.

1897 से 1900 के बीच मुंडाओं और अंग्रेज सिपाहियों के बीच युद्ध होते रहे और बिरसा और उसके चाहने वाले लोगों ने अंग्रेजों की नाक में दम कर रखा था। अगस्त 1897 में बिरसा और उसके चार सौ सिपाहियों ने तीर कमानों से लैस होकर खूंटी थाने पर धावा बोला. 1898 में तांगा नदी के किनारे मुंडाओं की भिड़ंत अंग्रेज सेनाओं से हुई जिसमें पहले तो अंग्रेजी सेना हार गयी लेकिन बाद में इसके बदले उस इलाके के बहुत से आदिवासी नेताओं की गिरफ़्तारियाँ हुईं।

जनवरी 1900 में डोमबाड़ी पहाड़ी पर एक और संघर्ष हुआ था जिसमें बहुत सी औरतें व बच्चे मारे गये थे. उस जगह बिरसा अपनी जनसभा को सम्बोधित कर रहे थे. बाद में बिरसा के कुछ शिष्यों की गिरफ़्तारियाँ भी हुईं. अन्त में स्वयं बिरसा भी 3 फरवरी 1900 को चक्रधरपुर में गिरफ़्तार कर लिये गये. बिरसा ने अपनी अन्तिम साँसें 9 जून 1900 को रांची जेल में लीं. बिरसा के प्रभाव की वृद्धि के बाद पूरे इलाके के मुंडाओं में संगठित होने की चेतना जागी. आज भी बिहार, ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल के आदिवासी इलाकों में बिरसा मुण्डा को भगवान की तरह पूजा जाता है।

बिरसा मुण्डा की समाधी राँची में कोकर के निकट डिस्टिलरी पुल के पास स्थित है. वहीं उनका स्टेच्यू भी लगा है. उनकी स्मृति में रांची में बिरसा मुण्डा केन्द्रीय कारागार और बिरसा मुंडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है.