Birth Anniversary Balraj Sahni: बॉलीवुड एक्टर बलराज साहनी (Balraj Sahni) किसी भी पहचान के मोहताज नहीं हैं. उनके अभिनय का यह गीत ऐ मेरी जोहराजबीं, तुझे मालूम नहीं, तू अभी तक है हसीं और मैं जवान…बीते जमाने के मशहूर गाने को आज भी नहीं भूल पाए होंगे. दशकों बाद भी लोगों की जुबां पर ये गीत कायम है.

बलराज साहनी ने अपने दमदार अभिनय से दर्शकों के दिल में खास जगह बनाई है. अपने बेहतरीन अदाकारी के जरिए उन्होंने आम आदमी की कहानी को पर्दे पर दर्शाया है. अभिनेता को न सिर्फ उनकी फिल्मों, बल्कि सामाजिक सरोकारों के लिए भी याद किया जाता है.

जानिए कौन थे बलराज साहनी

बलराज साहनी का जन्म एक मई सन् 1913 में पाकिस्तान के रावलपिंडी में हुआ था. उनका असली नाम युधिष्ठिर था. बलराज साहनी लाहौर के गवर्नमेंट कॉलेज में लेखक कृष्ण चंदर और निर्देशक चेतन आनंद के सहपाठी थे. उन्होंने अंग्रेजी साहित्य में मास्टर डिग्री और पंजाब विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में स्नातक की डिग्री हासिल की थी. बलराज साहनी ही इकलौते ऐसे अभिनेता थे, जिन्होंने महात्मा गांधी से मुलाकात की थी. 13 अप्रैल सन् 1973 को एक्टर ने दुनिया को अलविदा कह दिया.

उन्हें बचपन से ही अभिनय का शौक था. अपने इसी शौक को पूरा करने के लिए उन्होंने ‘इंडियन प्रोग्रेसिव थियेटर एसोसिएशन’ (इप्टा) जॉइन कर लिया. 1946 में उन्हें नाटक ‘इंसाफ’ में अभिनय करने का मौका मिला. ये उनके एक्टिंग करियर का पहला नाटक था. ऐ मेरी जोहराजबीं” 1965 की प्रसिद्ध फिल्म वक्त का गाना है. इसे सुरों से सजाया है मन्ना डे ने व संगीतबद्ध किया है रवी ने. साहिर लुधियानवी की क़लम ने जन्म दिया है इन ख़ूबसूरत शब्दों को. फिल्म में सुनील दत्त, बलराज साहनी, साधना शिवदासानी और राज कुमार ने महत्वपूर्ण भूमिकाएं अदा की. बलराज साहनी ने हर गरीब तबके के जीवन को फिल्मी पर्दे पर जिवंत किया था. उन्होंने लगभग 135 फिल्में की थीं जिसमें से कुछ रोल तो बेहद यादगार हैं.

रिक्शावाला बनने के लिए तपती सड़क में नंगे पैर चलाया रिक्शा

बलराज साहनी हीरो होते हुए भी गाड़ी में नहीं बल्कि आम जनता के करीब रहने के लिए, उन्हें समझने के लिए घंटों नकली मूंछ और प्लास्टिक वाली नाक लगाकर रेलवे स्टेशन पर बैठे रहते थे. हिन्दी सिनेमा की ‘कल्ट क्लासिक’ फ़िल्म ‘दो बीघा ज़मीन’ (1953) में बलराज साहनी ने शंभू रिक्शेवाला का रोल किया. रिक्शे वाले का रोल करने से पहले भी बलराज साहनी ने काफ़ी रिसर्च और प्रैक्टिस की. ‘दो बीघा ज़मीन’ की शूटिंग कलकत्ता में हो रही थी. रिक्शेवाले का रोल करने से पहले बलराज साहनी एक रिक्शे वाले से मिले. वो कलकत्ता की एस्फ़ाल्ट की सड़कों पर घंटों तक नंगे पैर रिक्शा चलाते थे. जिससे उनके दोनों पैरों में छाले पड़ गए.