खुशबू ठाकरे, रायपुर। आज शो मैन राजकपूर 95वा जन्म दिन है. भारतीय सिनेमा को नायाब फिल्मों की सौगात देने वाले राजकपूर एक अभिनेता, निर्माता- निर्देशक, और एक अच्छे संगीतज्ञ भी थे. 14 दिसम्बर 1924 को पेशावर (पाकिस्तान) में जन्में पृथ्वीराज कपूर के बेटे राजकपूर बचपन से ही अभिनेता बनना चाहते थे. उनका मन पढ़ाई में कम ही लगता था. मैट्रिक की परीक्षा में एक सब्जेक्ट में फेल होने के बाद उन्होंने अपने पिता पृथ्वीराज कपूर से फिल्मों में काम करने की बात कही.

सन 1935 में 11 वर्ष की उम्र में उन्होंने बाल कलाकार के रुप में फ़िल्म ‘इकलाब’ में काम किया. उसके बाद बॉम्बे टॉकिज स्टूडियों में वे सहायक और बाद में क्लैपर बॉय का भी काम किया. इसके बाद उनकी बतौर हीरो पहली फिल्म 1947 में ‘नीलकमल’ प्रदर्शित हुई इस फिल्म उनकी हिरोइन थी मधुबाला जो उनकी कई फिल्मों में उनकी अभिनेत्री रही. सबसे ज्यादा फिल्मे अभिनेत्री नरगिस के साथ रही. इनकी जोड़ी को लोगों ने काफी पसंद किया. 1948 में इस जोड़ी की पहली फिल्म बरसात थी.

इसके बाद अंदाज, जांन – पहचान, आवारा, अनहोनी, अंबर, पापी, श्री 420, जागते रहो, और चोरी – चोरी जैसी फिल्मों में साथ काम किया. इनकी सबसे प्रसिध्द फिल्म रही श्री 420 और आवारा इस फिल्म ने उनकी लोकप्रियता को विदेशों तक पहूचाया. सन् 1951 में प्रदर्शित ‘आवारा ‘ हिन्दी सिनेमा के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुआ। इसने राज कपूर को नायक के रूप में नयी और अलग पहचान दी। ‘आवारा’ ने ही फिल्मकार के रूप में उनको एक नया दृष्टिकोण दिया; और ‘आवारा’ ने ही फिल्मों को सामाजिक यथार्थ के धरातल पर ला खड़ा किया. उनकी फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ नायक के रूप में अभिनीत अंतिम फिल्म थी. उनके द्वारा बनायी गई सभी फिल्में आज भी देखी जाती है.

वे भारतीय सिनेमा के एक ऐसे कलाकार थे, जिनकी तुलना अन्य किसी कलाकार से नहीं की जा सकती है. सिनेमा का कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है, जिसका ज्ञान और अनुभव उन्हें नहीं रहा हो। सिनेमा उनमें बसता था और वे खुद सिनेमा को जीते थे, यही कारण है कि वे एक मिसाल बन गए. उनकी कामयाबी और ऊँचाई तक कोई भी पहुँच नहीं पाया है.