रायपुर। एक समय था, जब एक साधारण लड़का दुनिया का चर्चित शख्स बना. 93 रोल्स रॉयल कारों का जखीरा था, और विश्वभर में उनके अनुयायी थे. अमेरिका में अपना एक आश्रम बनाया. आश्रम के लिए करीब 64 हज़ार एकड़ जमीन खरीद ली थी. अपने खुले रुख और विचारों से आम व्यक्ति को अपनी ओर आकर्षित करने वाले आचार्य को उनके अनुयायी ‘भगवान रजनीश’ ओशो के नाम से जानते हैं.

विचारों से विवादों का रहा गहरा नाता

भारत में तो अपने सिद्धांतों की वजह से विवादों में रहते ही थे, लेकिन वे अमरीकी सरकार के लिए भी खतरा बन चुके थे! अमेरिका की सरकार ने उन पर जालसाजी, अमेरिका की नागरिकता हासिल करने के उद्देश्य से अपने अनुयायियों को यहां शादी करने के लिए प्रेरित करने, जैसे करीब 35 आरोप लगाए थे. वर्ष 1984 में अमेरिका पर जैव आतंकी हमले में षड्यंत्रकारी गतिविधि में संलिप्त पाते हुए 26 करोड़ का जुर्माना और पांच साल की सजा सुनाई गई थी. इस घटना के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ विश्व के 21 देशों में ओशो के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया.

रायपुर के संस्कृत महाविद्यालय में दी सेवा

अपने आध्यात्मिक विचारों से क्रांति लाने वाले प्रसिद्ध दार्शनिक आचार्य रजनीश का जन्म 11 दिसंबर, 1931 को मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के ग्राम कुचवाड़ा में हुआ था. पूरी दुनिया में प्रसिद्ध ‘ओशो’ का बचपन में नाम चंद्रमोहन था. ओशो ने अपनी शिक्षा जबलपुर में पूरी की और बाद में वे जबलपुर यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर भी रहे. वर्ष 1957 में संस्कृत के लेक्चरर के तौर पर रजनीश ने रायपुर स्थित संस्कृत महाविद्यालय में सेवाएं दी. 19 जनवरी, वर्ष 1990 में ओशो रजनीश ने हार्ट अटैक की वजह से अपनी अंतिम सांस ली.

उपदेशों से कई लोगों का बदला जीवन

आज इनको भारत के साथ कई देश-विदेश के लोग एक आध्यात्मिक गुरु के रूप में जानते हैं. उनके उपदेशों से कई लोगों ने अपना जीवन धन्य बनाया है. आचार्य ओशो ने विश्वभर में अपने उपदेश दिए है. ओशो दर्शन शास्त्र के टीचर थे. उनके द्वारा समाजवाद, महात्मा गांधी की विचारधारा तथा संस्थागत धर्म पर की गई आलोचनाओं ने उन्हें विवादास्पद बना दिया. वे काम के प्रति स्वतंत्र दृष्टिकोण के भी हिमायती थे, जिसकी वजह से उन्हें कई भारतीय और फिर विदेशी मैग्जीन में ‘सेक्स गुरु’ के नाम से भी लिखा गया.

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