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रायपुर. एक तरफ सत्ता में आने के बाद भूपेश बघेल की सरकार नरवा, घुरुवा, गरुवा और बाड़ी के नारे को बुलंद करते हुए ग्राम विकास की नई इबारत लिखने की बात कह रही है, वहीं दूसरी ओर ग्राम प्रतिनिधि अनूठे प्रयोग कर इस योजना को पलीता लगाने में जुटे हुए हैं.
नवागढ़ ब्लॉक के ग्राम पंचायत अमलडीहा में नरवा, घुरवा योजना के तहत चेकडेम के निर्माण के लिए मनरेगा के तहत तीन लाख 70 हजार रुपए स्वीकृत हुए. कायदे से चेकडेम की मजबूती के लिए पंचायत को पत्थर डालकर सीमेंट-कांक्रीट का बेस तैयार करना था, लेकिन सरपंच ने इतने पैसे में इस तरह का निर्माण होना मुश्किल देख ट्रैक्टर से सड़क से उखाड़े गए डामर को टुकड़े को इकट्ठा कर पत्थर की जगह उसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया.
इस तरह के अनूठे निर्माण को देख अचंभित ग्रामीणों से यह बात पत्रकारों से होते हुए अधिकारियों तक पहुंची. अधिकारी भी इस तरह से निर्माण को जान तत्काल काम देख रहे इंजीनियर से संपर्क किया. इंजीनियर से फिर सरपंच से जब जानकारी ली, तो उसने डामर के टुकड़ों को पत्थर की तरह मजबूत बताते हुए निर्माण की गारंटी तक ले डाली, लेकिन स्वयं अपने जीवन में इस तरह के प्रयोग को पहली बार देख रहे इंजीनियर ने हाथ खड़े कर दिए. लिहाजा, सरपंच ने काम को वहीं पर बंद कर दिया.
सरपंच काम की गारंटी लेने को तैयार
ग्राम पंचायत अमलडीहा के सरपंच विजय कुमार वर्मा ने लल्लूराम डॉट कॉम से चर्चा करते हुए बताया चेकडेम निर्माण के लिए स्वीकृत राशि में आरसीसी के जरिए निर्माण संभव नहीं है, इसके लिए सड़क से उखाड़े गए डामर का उपयोग किया जा रहा था. यह भी पत्थर की तरह मजबूर रहेगा, जिसकी मैं लिखित में गारंटी देने को तैयार हूं. लेकिन इंजीनियर ने मना कर दिया है, जिसके बाद काम बंद है.