दिल्ली. कांग्रेस का मजबूत गढ़ माने जाने वाले पुणे लोकसभा सीट से भाजपा ने अपने मौजूदा सांसद का टिकट काट दिया है, जबकि कांग्रेस ने भी 2014 के चेहरे को बदल दिया है जिससे यहां दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है और चुनाव प्रचार में स्थानीय मुद्दे हावी हैं।

पश्चिमी महाराष्ट्र का यह लोकसभा सीट कांग्रेस का मजबूत गढ़ माना जाता था, लेकिन 2014 में मोदी लहर में भाजपा के अनिल शिरोले ने यहां से कांग्रेस के विश्वजीत कदम को हराया था। शिरोले 2014 में तीन लाख से अधिक मतों से विजयी हुए थे।

अब पांच साल बाद इस शहरी सीट पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है कयोंकि भाजपा ने मौजूदा सांसद शिरोले की जगह महाराष्ट्र सरकार में मंत्री गिरीश बापट को मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस ने भी इस बार विश्वजीत कदम के बदले मोहन जोशी को टिकट दिया है। लोकसभा चुनाव में 2014 में यहां से भाजपा की जीत के बाद पार्टी ने सभी छह विधानसभा क्षेत्रों में जीत हासिल की थी। प्रदेश में विधानसभा चुनाव उसी साल बाद में कराए गए थे। 2017 में भाजपा ने एक बार फिर पुणे नगर निगम चुनाव में एनसीपी व कांग्रेस को झटका देते हुए जीत दर्ज की।

बापट पुणे शहर के कसबा पेठ से पांच बार विधायक रह चुके हैं। यह विधानसभा क्षेत्र पुणे लोकसभा के अंतर्गत आता है। इस लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा की छह सीटे हैं। इनमें कसबा पेठ, शिवाजीनगर, कोठरूड, पुणे छावनी, पार्वती एवं वडगांव शेरी शामिल हैं।

उम्मीदवार बदलने के बावजूद भाजपा इस सीट पर बड़े अंतर से जीत के प्रति आश्वस्त है। पुणे लोकसभा सीट पर 1980 के बाद भाजपा यहां केवल तीन बार जीत दर्ज कर सकी है। सन 1991 में अन्ना जोशी, 1999 में प्रदीप रावत और 2014 में शिरोले ने जीत दर्ज की।