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रायपुर. भारतीय जनता पार्टी ने नक्सल मुद्दे पर प्रदेश की नई सरकार को विरोधाभासों से घिरा हुआ बताकर निशाना साधा है. पार्टी ने कहा कि इस मद्दे पर रोज नए और विरोधाभासी बयानों से कांग्रेस सरकार की साख तो दांव पर है. वहीं ऐसा प्रतीत हो रहा है कि इस मुद्दे से निबटने की इस सरकार के पास न तो नीति है, न नीयत है और न ही नेतृत्व की इच्छा शक्ति है.
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता व विधायक शिवरतन शर्मा ने मंगलवार को कहा कि नक्सल मुद्दे पर नई राज्य सरकार रोज अपने बयानों से पलटती नजर आ रही है. मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के तुरंत बाद नक्सलियों के मामले में बघेल ने कहा था कि वे बंदूक से बंदूक का हल नहीं चाहते. नक्सलियों से बातचीत कर इसके समाधान का संकेत देने वाले मुख्यमंत्री बघेल ने बाद में कहा कि वे इस समस्या को खत्म करने के लिए पहले इससे पीडि़त आदिवासियों से बात करेंगे.
हर रोज बदल रहा है सरकार का बयान
शिवरतन शर्मा ने कहा कि इसके बाद मुख्यमंत्री का बयान आया कि बस्तर से अर्द्ध- सैनिक बलों की वापसी नहीं होगी और पीडि़त सभी पक्षों से बात करेंगे, नई नीति बनाएंगे. इसी बीच नवनियुक्त डीजीपी दुर्गेश माधव अवस्थी ने सोमवार को बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस में कहा है कि गोली के जवाब में गोली चलाएंगे. वहीं मंगलवार को मंत्रिमंडल के शपथ समारोह के तुरंत बाद नए मंत्री कवासी लखमा ने कह दिया कि नक्सली समस्या के समाधान के लिए बातचीत का रास्ता अपनाया जाएगा.
समर्थन पाने नक्सलियों को कहा क्रांतिकारी
शर्मा ने सवाल करते हुए कहा कि नक्सलियों को क्रांतिकारी बताने वाले कांग्रेस स्टार प्रचारक राज बब्बर के बयान का खंडन कांग्रेस ने किया नहीं, क्या जानबूझ कर नक्सलियों का समर्थन प्राप्त करने ऐसा कहा गया था? प्रदेश सरकार इस मामले में यह साफ करे कि वह नक्सलियों को नक्सली समझकर बात करेगी या क्रांतिकारी मानकर?
भाजपा प्रवक्ता ने पूछा कि आखिर प्रदेश को नक्सल मुक्त करने के लिए कांग्रेस सरकार क्या करना चाहती है? यह स्पष्ट होना चाहिए कि नक्सलियों के खिलाफ सरकार कुछ करना भी चाहती है या फिर सिर्फ जुबानी जमा-खर्च करके अपना समय बिताना चाह रही है?
कांग्रेस नेताओं को अब कुछ सूझ नहीं रहा
शिवरतन शर्मा ने कहा कि दरअसल, नीति, नीयत और नेतृत्व के अभाव में सत्ता हासिल होने के बाद अब कांग्रेस नेताओं को सूझ ही नहीं रहा है कि उन्हें कहना क्या है और करना क्या है? विरोधाभासों से घिरी ऐसी सरकार प्रदेश में शांति, सुरक्षा और कानून-व्यवस्था के मामले में कोई ठोस पहल नहीं कर पाएगी.