रायपुर। छत्तीसगढ़ बीजेपी की प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी 2 दिवसीय बस्तर दौरे पर आ रही हैं. पुरंदेश्वरी 19 फरवरी को छत्तीसगढ़ आ रही हैं, जिससे बीजेपी ने स्वागत के लिए जोर-शोर से तैयारियां की है, लेकिन एक खबर से बीजेपी के कई बड़े नेताओं के चेहरे पर पसीना आ गया है. राजधानी से किसी बड़े नेता को बैठक में नहीं बुलाया गया है, जिससे अब कई चेहरों की चमक उड़ गई है. यूं कहें कि इस खबर से सभी की सांसें हलक पर अटकी हुई है.

  दरअसल, छत्तीसगढ़ बीजेपी की प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी बस्तर दौरे पर रहेंगी. इस बीच वो जगदलपुर, दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर में स्थानीय नेताओं से बातचीत करेंगी. वहां नेताओं के साथ बैठक करेंगी, लेकिन बड़े नेताओं को इस बैठक में बुलावा नहीं दिया गया है. इस बैठक में केवल स्थानीय नेता और कार्यकर्ता शामिल होंगे.

मिली जानकारी के मुताबिक डी पुरंदेश्वरी बीजेपी नेताओं में शिकायत और आपसी खटास को मिटाने के लिए पहुंची हैं.  डी पुरंदेश्वरी 20 तारीख को कोंडागांव, नारायणपुर और कांकेर में स्थानीय नेताओं की बैठक लेंगी. जहां वो उनसे उनकी समस्याओं को सुनेंगी. मिशन 2023 के लिए नई ऊर्जा देंगी. मिली जानकारी के मुताबिक बड़े नेताओं की शिकायतें भी इस बार डी पुरंदेश्वरी से होने वाली है. बैठक में सिर्फ प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय के शामिल होने की खबर है.

डी पुरंदेश्वरी बस्तर में स्थानीय कार्यकर्ता और पदाधिकारियों से चर्चा कर राजधानी रायपुर भी आ सकती हैं. जहां वे बीजेपी के बड़े नेताओँ के साथ मीटिंग कर सकती हैं, लेकिन अभी इसकी पुष्ट जानकारी नहीं है. इस बैठक को लेकर सियासी बाजार गर्म है. बड़े नेताओं को नहीं बुलाए जाने से कई सवाल पैदा हो रहे हैं.

चिंतन शिविर में भी दरकिनार !

बता दें कि इसके पहले छत्तीसगढ़ बीजेपी ने बस्तर में तीन दिवसीय ‘चिंतन शिविर’ का आयोजन किया था. इस चिंतन शिविर में बीजेपी मिशन 2023 के लिए चिंतन की. शिविर में कई बड़े चेहरे शामिल हुए और कई बड़े चेहरे नदारद रहे. गायब चेहरों में पूर्व मंत्री भी शामिल थे. अब इस बार फिर से बड़े नेताओं को नहीं बुलाया गया है, जिससे सियासी गलियारे में हलचल तेज हो गई है.

ये बड़े चेहरे रहे शिविर से नदारद

चिंतन शिविर में BJP नेता गौरीशंकर अग्रवाल, अमर अग्रवाल, राजेश मूणत, सुभाष राव समेत कई नेता शामिल हैं. ये नेता बरसों से संगठन के कर्ताधर्ता रहे हैं, लेकिन उन्हें बुलावा नहीं भेजा गया. इन नेताओं को जैसे ही चिंतन शिविर में न्यौता नहीं मिलने की जानकारी लगी, तो नेताओं के खूब हाथ-पांव मारा, लेकिन नियम कायदे कहां काम आने वाले थे. नेताओं को बड़े नेताओं के पास से खाली हाथ ही लौटना पड़ा. मीटिंग में शामिल नहीं होने से इन दिग्गजों के मन में मलाल तो जरूर होगा, लेकिन डी. पुरंदेश्वरी के फरमान के सामने कहां टिकने वाला था.

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