पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के बीच अब राजनीतिक बयानबाजी ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की बिहार इकाई ने कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के खिलाफ राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी से औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है। भाजपा का आरोप है कि राहुल गांधी ने हाल ही में एक चुनावी सभा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपमानजनक, व्यक्तिगत और असंसदीय टिप्पणी की, जो न केवल आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है बल्कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धाराओं का भी उल्लंघन करती है।

भाषण मर्यादा से परे था भाषण

भाजपा नेताओं ने अपनी शिकायत में कहा है कि चुनाव प्रचार लोकतांत्रिक मर्यादाओं के भीतर होना चाहिए, लेकिन राहुल गांधी का भाषण मर्यादा से परे था। पार्टी ने आयोग से मांग की है कि राहुल गांधी को इस बयान के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया जाए, उनसे सार्वजनिक रूप से बिना शर्त माफी मंगाई जाए और उन्हें एक निश्चित अवधि के लिए चुनाव प्रचार करने से रोका जाए ताकि लोकतांत्रिक शालीनता और चुनावी मर्यादा की पवित्रता बनी रहे।

लोकतांत्रिक परंपराओं के खिलाफ

भाजपा नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी लगातार प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं। भाजपा प्रवक्ताओं का तर्क है कि लोकतंत्र में असहमति व्यक्त करना सबका अधिकार है लेकिन किसी भी जनप्रतिनिधि या संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के लिए अपमानजनक भाषा का प्रयोग लोकतांत्रिक परंपराओं के खिलाफ है।

कांग्रेस ने कही ये बात

वहीं कांग्रेस ने भाजपा की इस शिकायत को चुनावी मुद्दों से ध्यान भटकाने की चाल बताया है। कांग्रेस प्रवक्ता और वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा ने भाजपा पर पलटवार करते हुए कहा कि यह दिखाता है कि भाजपा के पास बिहार चुनाव में न कोई मुद्दा है, न कोई विज़न न ही कोई रिपोर्ट कार्ड। जनता से जुड़े असली सवालों पर जवाब देने की बजाय वह अब शब्दों पर राजनीति कर रही है। खेड़ा ने तंज कसते हुए कहा जिस पार्टी के प्रधानमंत्री खुद चुनावी मंचों से मुजरा जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हों, वह अब ‘नाच’ जैसे शब्द पर आपत्ति जता रही है। यह भाजपा की दोहरी मानसिकता और हताशा को दिखाता है।

असली सवालों से भाग रही है बीजेपी

कांग्रेस नेताओं का कहना है कि भाजपा जनता के असली सवालों से भाग रही है बेरोजगारी, महंगाई, किसानों की स्थिति, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दे उनके एजेंडा से गायब हैं। ऐसे में वह विपक्षी नेताओं के भाषणों को तोड़-मरोड़ कर मुद्दा बना रही है। दूसरी ओर भाजपा का कहना है कि कांग्रेस नेताओं को चुनावी सभाओं में शब्दों का चयन सोच-समझकर करना चाहिए, क्योंकि यह आम जनता के बीच लोकतंत्र की भाषा को तय करता है। भाजपा प्रवक्ताओं ने कहा कि लोकतांत्रिक मर्यादा सभी के लिए समान है और आयोग को इस मामले में सख्त रुख अपनाना चाहिए।

निगाहें चुनाव आयोग पार्टी

इस विवाद ने बिहार के राजनीतिक माहौल को और गरमा दिया है। एक ओर जहां भाजपा इसे प्रधानमंत्री के अपमान का मामला बता रही है, वहीं कांग्रेस इसे मुद्दों से भागती भाजपा की बौखलाहट कह रही है। अब सबकी निगाहें चुनाव आयोग पर हैं कि वह इस मामले में क्या कदम उठाता है क्या राहुल गांधी को नोटिस भेजा जाएगा या यह मामला केवल राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तक सीमित रहेगा।