रायपुर. भारतीय जनता पार्टी कोरग्रुप की आज अहम बैठक बुलाई गई थी. इस बैठक में बीजेपी सांसदों और विधायकों को बुलाया गया था. बैठक में धरना प्रदर्शन, जुलूस पर लगाएं गए रोक को लेकर बीजेपी ने रणनीति बनाई और इसे काला कानून बताते हुए वापस लेने की मांग की. बीजेपी नेताओं ने चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि इसे वापस नहीं लिया गया तो वो जल्द जेल भरो आंदोलन करेंगे.  

 प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने बताया कि राज्य सरकार के गृह विभाग ने जो धरना प्रदर्शन जुलूस एवं अन्य आयोजनों पर रोक लगा ने का आदेश जारी किया है. जिस आदेश में अनुमति लेने के लिए 15 बिंदुओ का आवेदन भी जारी किया है. प्रदेश की आम जनता को इससे खासा परेशानी हो रही है. और इस आदेश से साफ समझ आता है कि राज्य सरकार पूरी तरह फेल हो चुकी है. राज्य सरकार विधानसभा चुनाव में जो छत्तीसगढ़ की जनता से घोषणा की वह घोषणा भी पूरा नहीं कर पा रही है.  राज्य सरकार के खिलाफ सभी लोग सड़कों पर उतर रहे हैं और इन सभी चीजों को फ्रेश करने में सरकार डर रही है इसीलिए इस तरह का कानून निकाला जा रहा है. भारतीय जनता पार्टी इसका पुरजोर विरोध करती है और आने वाले समय में एक प्रेस वार्ता कर सरकार को अल्टीमेटम जारी किया जाएगा कि तय समय पर इस काले कानून को वापस ले नहीं तो सभी जिला मुख्यालयों में भाजपा के कार्यकर्ता राज्य सरकार का पुरजोर विरोध कर उग्र आंदोलन किया जाएगा.

नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि जिस प्रकार से राज्य सरकार प्रदेश की जनता के साथ वादा खिलाफी कर रही है. सरकार के 3 साल से ज्यादा का वक्त बीत चूका है. सरकार ने प्रदेश की जनता से की हुई घोषणा आज तक पूरे नही कर पाई है और सरकार के लोग चाहते है कि उनके खिलाफ कोई प्रदर्शन न करें. कोई हड़ताल न कर पाए. राज्य सरकार काला फरमान लाकर प्रदेश के कर्मचारियों पर दबाव बना रही है. प्रदेश की कांग्रेस सरकार आपातकाल की स्तिथि बना दी है. राज्य के जनता की स्वतंत्रता के अधिकारों का हनन किया जा रहा है. राज्य सरकार के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी घोर आपत्ति दर्ज करती है. और इसी विषय पर आज हम लोग बातचीत कर सरकार के खिलाफ आंदोलन की तैयारी की है. सरकार के खिलाफ आंदोलन के लिए रूपरेखा तैयार की जा रही है. इस रूपरेखा के माध्यम से हम सरकार को चेतावनी देंगे और अगर चेतावनी में भी सरकार नहीं समझती है, तो हमारा उग्र आंदोलन होगा, चाहे उसके लिए भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को जेल जाना पड़े, लेकिन इस कानून को सरकार को वापस लेना होगा.

ये शामिल थे बैठक में

प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ रमन सिंह, संगठन मंत्री पवन साय, बृजमोहन अग्रवाल, प्रेमप्रकाश पांडेय, अमर अग्रवाल, विक्रम उसेंडी, पून्नुलाल मोहिले, अजय चंद्राकर, शिवरतन शर्मा समेत अन्य