रायपुर। भारतीय जनता पार्टी ने कोरोना संकट के चलते लॉकडाउन में फँसे पैदल लौट रहे प्रवासी मजदूरों के नाम पर अपनी ओछी राजनीतिक मानसिकता का परिचय देने पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम पर जमकर निशाना साधा है। भाजपा ने कहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर निष्क्रियता का आरोप मढ़ने से पहले कांग्रेस अध्यक्ष को अपनी पार्टी और अपनी प्रदेश सरकार के दागदार दामन में झाँक लेना चाहिए।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी ने कहा कि कोरोना संकट के इस भयावह दौर में रास्वसं के स्वयंसेवकों ने हर प्रभावित परिवार तक पहुँचकर सहायता मुहैया कराई है। प्रवासी मजदूरों को त्रासदी में धकेलकर केंद्र सरकार को बिलावजह कोसने वाले कांग्रेस के नेताओं को अपनी काली करतूतों से मुँह चुराने के लिए रास्वसं को घसीटने पर शर्म महसूस करनी चाहिए। दिल्ली, पंजाब, महाराष्ट्र आदि राज्यों की सरकारों ने झूठ बोलकर लॉकडाउन के दौर में अपने राज्यों से बाहर निकल जाने के लिए उकसाया और संबंधित राज्यों को बताए बिना उन प्रवासी मजदूरों को उनके प्रदेशों की सीमा पर परेशान और प्रताड़ित होने के लिए छोड़ दिया। उसेंडी ने कहा कि केंद्र सरकार ने जब इन प्रवासी मजदूरों की वापसी के लिए विशेष ट्रेनें चलाने की तैयारी दिखाई तो कांग्रेस के मुख्यमंत्री समेत तमाम नेता घिनौनी सौदेबाजी करके अपने राजनीतिक चरित्र का परिचय देने लगे थे। कांग्रेस अध्यक्ष मरकाम पहले अपनी सरकार की कलंक-कथा पढ़ लें, उसके बाद रास्वसं के सेवा कार्यों पर कोई टिप्पणी करने की सोचें। मजदूरों को सड़कों पर उतरने और पैदल चलकर अपने प्रदेशों में जाने के लिए कांग्रेस और उसके गठबंधन की सरकारें ज़िम्मेदार हैं।

भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व संसद सदस्य रामविचार नेताम ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों ने देश के हर संकटकाल में सेवा-कार्यों की जो मिसाल पेश की है, कांग्रेस के लोग तो उसकी कल्पना तक नहीं कर सकते। कोरोना संकट के मौजूदा दौर में भी देशभर में संघ के इन सेवा कार्यों की लॉकडाउन प्रभावितों ने जी भरकर प्रशंसा की है। लोकसभा टीवी पर कोरोना संकट में संघ के सेवा-कार्यों पर एक विस्तृत वृत्त भी प्रसारित हुआ था। नेताम ने कहा कि रास्वसं के सरसंघचालक मोहन भागवत से सवाल करने से पहले कांग्रेस अध्यक्ष मरकाम अपने केंद्रीय नेतृत्व से यह सवाल करें कि मजदूरों को रास्ते में रोककर बातें करने की सियासी ड्रामेबाजी करके राहुल गांधी क्या साबित कर रहे थे? क्या कांग्रेस के नेताओं की भी यह सामाजिक ज़िम्मेदारी नहीं बनती कि वे इन मजदूरों की त्रासदी को कुछ कम करें? कांग्रेस के लोग क्या प्रवासी मजदूरों को सड़क पर उतारकर सिर्फ राजनीतिक तमाशा खड़ा करने के लिए ही हैं? छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और उसकी प्रदेश सरकार घर-घर शराब पहुँचाने के लिए कोचियागिरी तक पर उतर आई है और मजदूरों की चिंता करने के बजाय रास्वसं पर बेज़ा टिप्पणी कर रही है।