​कुंदन कुमार/पटना । भाजपा ने रविवार को हुई संसदीय बोर्ड की बैठक में महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया। उनके नाम पर मुहर लगते ही यह साफ हो गया है कि पार्टी ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए जगदीप धनखड़ जैसे मुखर नेता की जगह सौम्य और संतुलित छवि वाले नेता को आगे किया है।

जदयू उनका समर्थन करेगा

इस फैसले का जदयू ने भी स्वागत किया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा एनडीए द्वारा श्री सीपी राधाकृष्णन जी को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने के निर्णय का स्वागत है। जदयू उनका समर्थन करेगा। उन्हें मेरी शुभकामनाएं।

राधाकृष्णन की शैली धनखड़ से अलग

साल 2022 में जब जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद के लिए चुना गया था, तब उनका चयन खास राजनीतिक संदेश देने के उद्देश्य से हुआ था। धनखड़ लंबे समय तक कांग्रेस से जुड़े रहे थे और उनकी छवि एक आक्रामक और टकराव वाली रही है। बंगाल में राज्यपाल रहते हुए उनका ममता बनर्जी सरकार से कई बार टकराव भी हुआ।

जिम्मेदारी के लिए उपयुक्त

इसके उलट, सीपी राधाकृष्णन की पहचान एक शांत, सौम्य और समावेशी नेता के तौर पर है। भाजपा मानती है कि उनका संतुलित स्वभाव उन्हें उपराष्ट्रपति पद जैसी संवैधानिक जिम्मेदारी के लिए उपयुक्त बनाता है।

दक्षिण भारत में राजनीतिक संतुलन साधने की कोशिश

राधाकृष्णन तमिलनाडु से आते हैं और ओबीसी वर्ग से ताल्लुक रखते हैं। भाजपा की रणनीति यह भी है कि उनके नाम से पार्टी को दक्षिण भारत में, खासकर तमिलनाडु जैसे राज्यों में, राजनीतिक बढ़त मिल सके। तमिलनाडु में अगले डेढ़ साल में विधानसभा चुनाव होने हैं। साथ ही, संघ से लंबे समय से जुड़े रहने के कारण राधाकृष्णन भाजपा की विचारधारा से गहराई से जुड़े हुए हैं।

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