सुधीर दंडोतिया, भोपाल। मध्यप्रदेश में सत्ता और संगठन की बेहतर जुगलबंदी का परिणाम सामने आ रहा है। भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव पूर्व तैयारी, चुनाव अभियान के दौरान की गतिविधियां, यानी दो स्तरों पर गंभीरतापूर्वक योजना बनाई थी। यदि संगठन की अंदरुनी कार्यप्रणाली पर ध्यान दिया जाए तो प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश और प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद की कैमेस्ट्री ने बारीक से बारीक चीजों का अध्ययन करते हुए योजना पूर्वक एक-एक कार्यकर्ता की मनोस्थिति और एक-एक क्षेत्र की परिस्थिति का गहन अध्ययन करवाया। उस अध्ययन के आधार पर सरकार के कौन से काम को किस क्षेत्र में कितने प्रभाव से ले जाना है, इसकी बेहतरीन योजना पार्टी और पार्टी के मोर्चों के साथ लेकर क्रियान्वित की गई।
चुनाव अभियान के दौरान किए गए प्रयोग सफल
प्रदेश में जब कांग्रेस पार्टी आरोप-प्रत्यारोपों में व्यस्त थी तब बीजेपी का यह प्रचारक कैडर बारीक से बारीक विषयों को सकारात्मक दिशा देने की योजना पर काम कर रहा था। निश्चित ही प्रदेश अध्यक्ष के रूप में पार्टी को वीडी शर्मा का युवा नेतृत्व होने के कारण गतिविधियों के क्रियान्वयन में ऊर्जा दिखाई दी। बीजेपी संगठन ने चुनाव अभियान के दौरान भी जो प्रयोग किए वे सफलतम साबित हुए। जैसे नरेंद्र सिंह तोमर को चुनाव अभियान का संयोजक बनाते ही यह माहौल बना कि उनकी गंभीरता और उनकी क्षमता बड़ा परिणाम लेकर आएगी।
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अमित शाह की संगठनात्मक बैठकों ने भरा जोश
इसके बाद गृहमंत्री अमित शाह की संगठनात्मक बैठकों ने एक नये प्रकार का जोश और आत्मविश्वास कार्यकर्ताओं में भर दिया। चुनाव प्रभारी और सह प्रभारी बनाए गए। भूपेंद्र यादव और अश्विनी वैष्णव की अपनी-अपनी कार्यशैली ने इस चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भूपेंद्र यादव ने सुबह से शाम तक कार्यालय में पर्याप्त समय देकर आने वाले लगभग हर कार्यकर्ता से भेंट की, जिसके कारण कार्यकर्ताओं के छोटे मोटे गुबार निकलते रहे। यह बहुत बड़ा काम था।
भूपेंद्र यादव, अश्विनी वैष्णव ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
गृहमंत्री अमित शाह की कार्यशैली को नजदीक से समझने वाले भूपेंद्र यादव ने उसके अनुरूप चीजों को ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को मध्य प्रदेश के कार्यकर्ताओं ने एक अत्यंत शालीन, हंसमुख और परिपक्व नेता के रूप में अपने बीच में पाया, उनकी जेंटलमेंट छवि ने मीडिया में सकारात्मक सोच पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कुल मिलाकर कहे तो सरकार के बेहतरीन कामों को, बेहतरीन ढंग से जनता के बीच ले जाने के लिए जो बेहतरीन संगठनात्मक तैयारियां थी, उसमें संगठन के इन प्रमुख लोगों की गंभीरता का निर्याणक योगदान रहा है।
VD शर्मा ने सबसे छोटी इकाई ‘बूथ’ पर बनाई पकड़
भारतीय जनता पार्टी की केंद्र और राज्य सरकार ने जो काम किए उन कामों को जनता तक पहुंचाने के लिए संगठन और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने सबसे छोटी इकाई बूथ को मजबूत करने का जो माइक्रो मैनेजमेंट किया, उस मैनेजमेंट की इन परिणामों में महत्वपूर्ण भूमिका दिखाई दे रही है। बीजेपी संगठन ने चुनाव की तैयारी 1 वर्ष पूर्व से ही प्रारंभ कर दी थी। सोची समझी रणनीति के तहत संगठन ने बूथ विस्तारक अभियान का अभिनव प्रयोग किया।
PM मोदी ने की थी तारीफ
इस प्रयोग के तहत हर बूथ पर कम से कम 15 से 20 कार्यकर्ताओं की समितियां बनाई गई। बूथ अध्यक्ष, बूथ सचिव और बीएलओ जैसी रचना करके पार्टी ने सबसे छोटी इकाई को मजबूत करने का अभियान चलाया। ध्यान रहे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं इस अभियान की तारीफ की थी। भाजपा जब बूथ स्तर पर डिजिटल वेरिफिकेशन कर रही थी तब भी कांग्रेस को समझमें नहीं आया कि इसके परिणाम इतने बड़े हो सकते हैं।
मेरा बूथ सबसे मजबूत
बूथ समिति बनने के बाद भावनात्मक उठाओ देने के लिए मेरा बूथ सबसे मजबूत जैसा प्रचंड कार्यक्रम प्रधानमंत्री जी की मौजूदगी में भोपाल में हुआ। प्रत्येक मंडल पर विस्तारक भेजे गए, आकांक्षी विधानसभाएं यानी जो विधानसभाएं 2018 के चुनाव में बीजेपी हारी थी, वहां विशेष प्रभारी बनाकर उन्हें प्रशिक्षण देकर इस चुनाव में जीत सुनिश्चित करने का टास्क दिया गया था। दूसरे प्रदेशों के विधायकों को भी इन क्षेत्रों में भेज कर उनके अनुभवों का लाभ लिया गया। फरवरी माह में रविदास महाकुंभ के लिए जो समरसता यात्राएं पूरे प्रदेश से निकाली गई, उन यात्राओं में संगठन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाकर अनुसूचित जाति वर्ग में भारतीय जनता पार्टी के प्रति और अधिक विश्वास पैदा किया।
सभी मोर्चों पर एक्टिव रहने का लक्ष्य
मार्च आते आते बूथ अध्यक्षों के सम्मेलन जैसा बड़ा कार्यक्रम भारतीय जनता पार्टी ने किया और प्रत्येक बूथ पर अध्यक्ष को हर हालत में बूथ जीतने की जिम्मेदारी दी गई। पार्टी के सभी मोर्चों को सक्रिय करते हुए उन्हें अपने-अपने वर्गों में सरकार के कामों और पार्टी के विचार को ले जाने के लक्ष्य दिए गए। पार्टी ने 30 मई से 30 जून तक विशेष संपर्क अभियान चलाया, जिसमें ओपिनियन मेकर सोसायटी से संपर्क कर भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने का बड़ा काम किया। 27 जून को डिजिटल रैली हुई थी, वह चुनावी राजनीति में नवाचार का बेहतरीन उदाहरण था।
बीजेपी सरकार ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में किए बड़े प्रयोग
भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में लाड़ली बहना और लाड़ली लक्ष्मी योजना जैसे जो बड़े प्रयोग किए थे, उन्हें समाज के भीतर जाने के लिए महिला मोर्चे की राष्ट्रीय स्तर तक पदाधिकारियों को जिला स्तर तक मैदान में उतारा। जब कांग्रेस को चुनाव का होशो हवास नहीं था तब अगस्त माह में ही भारतीय जनता पार्टी पूरे 230 विधानसभाओं के सम्मेलन कर चुकी थी। इससे पूर्व जुलाई में ही चुनाव के महत्वपूर्ण टूल सोशल मीडिया की कार्यशालाएं सम्पन्न हो गईं।
एमपी के मन में मोदी अभियान
अगस्त में ही शक्ति केंद्रों की कार्यशाला, बूथ शक्ति सम्मेलन सम्पन्न कराकर प्रत्येक बूथ पर 22 करणीय कार्य बूथ समितियों को सौंप दिए गए थे। भारतीय जनता पार्टी संगठन ने चुनाव घोषणा पत्र बनाने से पहले घोषणा पत्र समिति के प्रवास तय किए, जिससे प्रबुद्ध वर्ग में भाजपा के कार्यों के प्रति अपनी हिस्सेदारी का भाव जागृत हुआ। अगस्त में ही गरीब कल्याण महाभियान एवं एमपी के मन में मोदी अभियान चलाकर दो करोड़ लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य पूरा किया गया। इन कार्यों की परिणिति 25 सितंबर को कार्यकर्ता महाकुंभ में उमड़े लाखों कार्यकर्ताओं के चेहरे पर आए उत्साह में साफ-साफ दिखाई दे रही थी।
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