रायपुर। कांग्रेस पार्टी न सरकार के तौर पर काम कर रही है, और न ही पार्टी के तौर पर काम कर रही है. फील्ड में कहीं पर भी कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता दिखाई नहीं दे रहे हैं, पूरी तरह गायब हैं. आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए केंद्र सरकार ने 2 महीने का मुफ्त में राशन दिया है, लेकिन इसका ठीक तरीके से वितरण नहीं हो रहा है. यह बात पूर्व मंत्री और भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल ने कोरोना काल में राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कही.

बृजमोहन अग्रवाल ने लल्रूराम डॉट कॉम से चर्चा करते हुए कहा कि बेरोजगार मजदूरों को हरियाणा की सरकार ने हर महीने 5-5 हजार रुपए देने का निर्णय लिया है. छत्तीसगढ़ जैसा छोटा राज्य रजिस्टर्ड श्रमिक को आर्थिक रूप से सहयोग करने के लिए कुछ पैसा उपलब्ध नहीं करा सकता है. आज किसानों को राजीव गांधी (अ)न्याय योजना का पैसा देने की बात कही गई है. छोटे किसान, जिन्हें 10 से 20 हजार रुपए तक मिलना है, उनको 4 किश्तों में देने के बजाए इस कोरोना काल मे एक किश्त में क्यों नहीं दे सकते हैं. ये कोई बहुत बड़ी राशि नहीं है. ये सरकार खाली बात कर रही है. पेपरों में छप रही है. वास्तविकता में छत्तीसगढ़ की जनता को राहत पहुंचाने के लिए कोई काम नहीं कर रही है.

5 लाख वैक्सीन का पैसा देकर छपा रहे बड़े विज्ञापन

कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर भाजपा नेता ने कहा कि सरकार के पास में 18 से 44 के जवानों का जीवन बचाने के लिए पैसा नहीं है. वैक्सीनेशन कंपनियों को एडवांस में पैसा नहीं दे रही है. स्वास्थ्य मंत्री ने स्वयं कहा है कि जितनी जल्दी हम पैसा देंगे, उतनी जल्दी हमें वैक्सीन मिलेगी. ऐसा लगता है छत्तीसगढ़ सरकार का वैक्सीनशन का प्रोग्राम भी किसानों को राजीव गांधी किसान (अ)न्याय योजना का पैसा 4 किश्तों में देने की तरह चल रहा है. राज्य सरकार को ये जनता के सामने साफ करना चाहिए कि 18 से 44 साल के लोगों के लिए केंद्र सरकार ने तो अपना काम पूरा कर दिया है. उन्होंने कहा कि लगभग 70 लाख लोगों को छत्तीसगढ़ में 45 साल से ऊपर के लोगो को वैक्सीन लगना है, उसमें से 65 लाख वैक्सीन केंद्र सरकार उपलब्ध करा चुकी है. छत्तीसगढ़ में लगभग 1 करोड़ 35 लाख नौजवानों को वैक्सीन लगना है. उसके लिए लगभग 3 करोड़ वैक्सीन चाहिए, उसमें सरकार के हाथ-पैर फूल रहे है. 5 लाख वैक्सीन का पैसा देकर समाचार पत्रों में बड़े-बड़े विज्ञापन छपवा रही है.

वैक्सीनेशन के नाम पर नौजवानों को बांटने की कोशिश

उन्होंने कहा कि यहां तक नौजवानों में भी सरकार वर्ग विभेद कर के आपस में बांटने की कोशिश कर रही है. एक तरफ जहां अंत्योदय के, बीपीएल के जितने वैक्सीनशन सेंटर्स बनाए है, वो खाली पड़े है, और एपीएल के वैक्सीनेशन सेंटर पर लंबी-लंबी लाइनें लगी हैं. नौजवान 3-3 बजे से जाकर लाइन लगे हैं. नौजवानों को निराश होकर घर लौटना पड़ता है, और ये खुद दुष्प्रचार करके नौजवानों को वैक्सीनशन लगाने के लिए रोक रही है. जो इनका आधार है कि अंत्योदय और बीपीएल के लोगों के पास मोबाइल नही है. सेंटर में आकर कूपन लेंगे, सेंटर पर आकर उन्हें वैक्सीन लग जाएगा, तो ये सब कार्य करने की उन्हें आवश्यकता ही नही है. ये देश का अजूबा राज्य है. केंद्र सरकार ने इसके लिए एक गाइडलाइन तय की है. केंद्र सरकार की गाइड लाइन के आधार पर वैक्सीन लगाना है. उस गाइडलाइन का ये सरकार पालन क्यों नहीं कर रही है.

वैक्सीन खरीदने पर कार्ययोजना नहीं बना पाई सरकार

वैक्सीन का सवा करोड़ के पहले भी बोले कि 75 लाख का आर्डर दिए हैं, लेकिन पैसे कितने दिए हैं. केंद्र ने वैक्सीन सेंटरों को एडवांस में दिए हैं, ये सरकार ने कितना एडवांस दिया है. 100-200 की 500 करोड़… कितना एडवांस दिया है. खाली गाल बजाने से काम नहीं चलेगा. केंद्र सरकार ने इस बात को 25 अप्रैल को कहा था. 25 अप्रैल के बाद से आज 11 मई तक छत्तीसगढ़ राज्य में वैक्सीन खरीदने के मामले मे कोई कार्ययोजना और नीति नहीं बना पाई है. पिछले एक सप्ताह से मौसम बिगड़ने की वजह से लाखों किसानों की फसल बर्बाद हुई है. खलियान की फसल बर्बाद हुई है. उन किसानों को आरबीसी 6-4 के तहत मुआवजा देने का नियम है. उसके लिए तुरंत निर्णय लेना चाहिए, और गर्मी के धान को बेचने के लिए किसान परेशान है. अगर शराब की घर-घर डिलीवरी करा सकते हैं, तो गर्मी के धान को खरीदने के लिए कोई फैसला क्यों नहीं ले सकते हैं. मंडियों को खोलकर किसानों के गर्मियों के धान को खरीदने की सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए.

आदिवासियों पर खर्च करे लघु पनोपज संघ का पैसा

लघु वनोपज खरीदी को लेकर सवाल उठाते हुए बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि आज इमली सड़ रही है. आदिवासी फेंकने के लिए मजबूर हैं. कोटा तय होता है 1 लाख 15 हजार टन का और खरीदते 65 हजार टन है. जबकि इमली खरीदनी है ये भी लाफ़ेड के लिए खरीदनी है. आज सरकार के पास में लघुवनोपज संघ में 1 हजार करोड़ रुपए उपलब्ध है. इस रकम को खर्ज कर वनवासी क्षेत्रों में घर-परिवार को ऑक्सीमीटर उपलब्ध कराया जा सकता है, वहां थर्मा मीटर और मेडिकल उपकरण उपलब्ध कराया जा सकता है. लेकिन ये सरकार जितने भी पैसे है, चाहे वो शराब के सोर्स से आ रहे हो, चाहे हो आपदा प्रबंधन और डीएमएफ से मिले हुए पैसे हों, सब पैसों को ठेका टेंडर के माध्यम से स्वयं का व्यक्तिगत लाभ अर्जित करना चाहते हैं. इसीलिए इन पैसों को कोरोना के संक्रमण के लिए खर्च नहीं करना चाहते हैं.

खाद का रेट बढ़ा है तो राज्य सरकार दे सब्सिडी

खाद के रेट बढ़ाए जाने के सवाल पर बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि यह तो जो प्राइवेट कंपनियां है, वह अपने मूल्य को निर्धारण करेंगे और जब केंद्र सरकार के नॉलेज में यह बात आएगी कि उन्होंने गलत तरीके से रेट बढ़ाया है. उसके बारे में केंद्र सरकार चर्चा करेगी. राज्य सरकार को अपनी तरफ से सब्सिडी खाद्य के मूल्य में देनी चाहिए, वह नहीं दे रही है. केंद्र सरकार से जो सब्सिडी आ रही है. सरकार को लगभग 300 से 400 करोड़ रुपए विभिन्न मदों में पैसा मिलता है. सब्सिडी के लिए पिछले 2 सालों से किसानों को ड्रिप सिस्टम नहीं मिल रहा है, नेट सेट हाउस नहीं मिल रहा है, जो इक्विपमेंट्स मिलने चाहिए वह नहीं मिल रहा है. वह सरकार के खाते में पैसे पड़े हुए हैं. राज्य सरकार केंद्र सरकार से पैसे आता हैं तो उनको वापस कर देती है. गरीबों के 6 लाख मकानों के पैसे वापस कर दिए हैं. आखिर छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए किसकी जिम्मेदारी है राज्य की या केंद्र की. हर चीज को केंद्र के ऊपर में थोपना. अगर प्राइवेट कंपनियां रेट बढ़ा रही है तो राज्य सरकार को सब्सिडी देने से कौन रोक रहा है.