कुंदन कुमार, पटना. भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री ऋतुराज सिन्हा ने आज सोमवार (11 अप्रैल) को भारत रत्न डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती के अवसर पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि, डॉ. अंबेडकर ने हमेशा एक समतामूलक समाज का सपना देखा, जहां ना जाति, ना धर्म के आधार पर कोई भेदभाव हो। डॉ. भीमराव अंबेडकर ने जिस समता के सपने को संविधान के माध्यम से संजोया था, वह तो आज भी, आजादी के 77 साल भी लागू नहीं होने दिया गया।

कांग्रेस ने अंबेडकर को तिरस्कृत करने में कोई कसर नहीं छोड़ा

ऋतुराज सिन्हा ने कहा कि, कांग्रेस ने डॉ. अंबेडकर के जीते जी उन्हें तिरस्कृत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनके जाने के बाद उनके समतावादी विचारों को तोड़-मरोड़ कर कांग्रेस और इंडी एलायंस वालों ने सिर्फ राजनीतिक लाभ हेतु उनके नाम का दुरुपयोग किया है। ‘समता प्राप्त कराने’ की जो बात अंबडेकर निर्मित संविधान की प्रस्तावना में है, वह सिर्फ कांग्रेस की तुष्टिकरण की नीति से आज तक लागू नहीं हो सकी पर उनके आदर्शों को चलकर आज भाजपा का हर कार्यकर्ता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उनके सपने को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध है।

उन्होंने कहा कि, अजीब बात यह है कि डॉ. अंबेदकर के प्रति आस्था जताने का दावा करने वाली कांग्रेस समेत कई पार्टियां उनके समतावादी विजन के खिलाफ जाकर उसके विरोध में खड़ी नजर आ रही है। डॉ. अंबेदकर के विजन का विरोध कर रहे इन दलों और इनके नेताओं को देश देख रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव से लेकर अब तक राहुल गांधी जी लाल रंग की एक छोटी डायरी के साथ संविधान की रक्षा का दावा करते फिर रहे हैं, किंतु कांग्रेस पार्टी का संविधान के साथ जो वास्तविक इतिहास रहा है, उसे भी भूलना नहीं चाहिए।

कांग्रेस ने 88 बार किया संविधान का उल्लंघन

ऋतुराज सिन्हा ने कहा कि, इतिहास इस बात का भी साक्षी है कि कांग्रेस पार्टी ने 88 बार संविधान का उल्लंघन करते हुए विभिन्न राज्यों में निर्वाचित सरकारों को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाया। ऐसे में आज जब राहुल गांधी संविधान के रक्षक होने का दावा करते हैं, तो यह प्रश्न उठता है कि क्या वे वास्तव में इतिहास से परिचित हैं? अंबेडकर जी के दृष्टिकोण के विपरीत, पंडित नेहरू हिंदू कोड बिल लेकर आए, जिसमें हिन्दू और मुसलमानों के लिए अलग-अलग कानून बनाए गए। इससे दोनों नेताओं के बीच कई विषयों पर मतभेद उत्पन्न हुए — जैसे धारा 370, कश्मीर को विशेष दर्जा देने का मुद्दा, और भारत के अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण को लेकर।

इसलिए राहुल गांधी जी को चाहिए कि वे खासकर बिहार जैसे राजनीतिक रूप से जागरूक राज्य में, जहां जनता न केवल बुद्धिजीवी है बल्कि राजनैतिक चेतना से भी भरपूर है, संविधान जैसे गंभीर विषय पर वक्तव्य देने से पहले अध्ययन करें। अन्यथा मंच से ही उनका खंडन होना स्वाभाविक है।

सिन्हा ने कहा कि, डा भीमराव अंबेडकर जी की जयंती के इस अवसर पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि उनके बताए मार्ग पर जिस तरह से केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार चलते हुए उनके सपनों को साकार कर रही है। वहीं प्रतिबद्धता हमें दिखाते हुए अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए।

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