रायपुर. 58 फीसदी आरक्षण को लेकर कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा, कांग्रेस ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ रिट दायर किया था. सुप्रीम कोर्ट ने युवाओं के पक्ष में फैसला सुनाया है. मुख्यमंत्री ने अधिकारियों के साथ बैठक लेकर भर्ती प्रक्रिया फिर से शुरू करने की बात कही है. अब राज्यपाल से भी उम्मीद करते हैं कि 76 प्रतिशत बिल पर हस्ताक्षर करे.

उन्होंने कहा, मामला 2012 से हाईकोर्ट में लंबित था. भाजपा ने ठीक से पैरवी की होती तो आरक्षण रद्द नहीं होता. भाजपा के षड्यंत्र के कारण ही राजभवन में बिल अटका हुआ है. नंदकुमार साय को वापस लाने की कोशिश में है बीजेपी, इस मामले में सुशील आनंद शुक्ला ने कहा, नंदकुमार साय के राजनैतिक कार्य के सामने भाजपा के जितने भी नेता उनका कद बौना है. नंदकुमार साय जैसे नेता पर कोई दबाव नहीं बना सकता.

सुशील आनंद ने कहा, भाजपा नंदकुमार साय जैसे वरिष्ठ नेता को लगातार प्रताड़ित कर रही थी. आदिवासी समाज का अपमान कर रही थी. इससे प्रताड़ित होकर नंदकुमार साय ने कांग्रेस प्रवेश किया. भूपेश सरकार आदिवासियों की हितैषी हैं. हमारी सरकार में सभी वर्गों का ध्यान रखा जाता है.

आरक्षण मामले में कांग्रेस नेता सुशील आनंद शुक्ला के बयान पर बीजेपी नेता श्रीचंद सुंदरानी ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा, उल्टा चोर कोतवाल को डांटे. 2011 में रमन सिंह ने विधेयक पारित कराया था. आरक्षण मामले में हाईकोर्ट में कांग्रेस ठीक से लड़ नहीं पाई. भाजपा का दबाव बना फिर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया. 58 प्रतिशत आरक्षण रमन सिंह ने अपने कार्यकाल में लागू किया था, इसका पूरा श्रेय रमन सिंह को जाता है.

नंदकुमार साय को लेकर सुशील आनंद के बयान पर श्रीचंद सुंदरानी ने कहा, नंदकुमार साय ने अपने जीवन का बहुत बड़ा पड़ाव भाजपा में पूरा किया. बीजेपी के कार्यकर्ताओं को उनसे लगाव है. उनके नेतृत्व में सबने काम किया, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि भाजपा को इससे आघात हुआ. आदिवासी वोटर भाजपा के पक्ष में हैं.