सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने शुक्रवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए देशभर के आवारा कुत्तों(Stray dogs) को गलियों से हटाने पर रोक लगा दी है. अदालत ने कहा कि कुत्तों को उनके मूल स्थान से नहीं हटाया जाएगा. हालांकि इसके लिए डॉग लवर्स और NGO को कुछ शर्तों का पालन करना होगा, जैसे उनकी देखभाल और टीकाकरण सुनिश्चित करना. लेकिन बीजेपी नेता विजय गोयल इस फैसले से सहमत नहीं दिखे. उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा, “इस फैसले के बाद दिल्ली कुत्तों का शहर बन जाएगा. इंसान घरों में चले जाएंगे और कुत्ते आजादी से सड़कों पर घूमेंगे.” उनका कहना है कि पहले से ही राजधानी में कुत्तों के काटने की घटनाएं बढ़ रही हैं और ऐसे हालात में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आम जनता की मुश्किलें और बढ़ा सकता है.
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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को देशभर के आवारा कुत्तों को गलियों से न हटाने का आदेश देते हुए उनके संरक्षण की बात कही. अदालत ने कहा कि कुत्तों को उनके मूल स्थान से नहीं हटाया जाएगा, लेकिन साथ ही शर्त रखी कि डॉग लवर्स और एनजीओ को उनकी नसबंदी और टीकाकरण सुनिश्चित करना होगा.
फैसले को लेकर बीजेपी नेता विजय गोयल ने आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा: “मैं सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का स्वागत करता हूं, लेकिन इसका पालन करना बहुत मुश्किल है. देश में 12 करोड़ से ज्यादा और अकेले दिल्ली में 10 लाख से ज्यादा कुत्ते हैं. रोजाना 2000 कुत्ते के काटने के मामले सामने आते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हर कुत्ते की नसबंदी और टीकाकरण होना चाहिए. अगर कुत्ते काटते हैं, तो क्या इसकी जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट की होगी या उन NGO की, जिन्होंने शोर मचाया कि इन आवारा कुत्तों को सड़कों पर ही रहना चाहिए?” गोयल का मानना है कि इस फैसले के बाद इंसान घरों तक सीमित हो जाएंगे और कुत्ते स्वतंत्र रूप से सड़कों पर घूमते रहेंगे. उनका कहना है कि पहले से ही कुत्तों के हमलों की घटनाएं चिंता का कारण हैं और ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला लोगों की मुश्किलें और बढ़ा सकता है.
उन्होंने आगे तंज कसते हुए कहा: “आखिरकार, उन्होंने इंसानों से ज्यादा इन आवारा कुत्तों को अहमियत दी है. इंसान बच्चों को जन्म देने से डरते हैं, लेकिन कुत्ते एक बार में 4-4 पिल्लों को जन्म देते हैं. आने वाले समय में यह कुत्तों का शहर बन जाएगा. इंसान डर के मारे अपने घरों में चले जाएंगे और कुत्ते सड़कों पर आजादी से घूमेंगे.” गोयल का कहना है कि पहले से ही राजधानी में कुत्तों के काटने की घटनाएं बढ़ रही हैं, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आम जनता की दिक्कतों को और बढ़ा सकता है.
शुक्रवार को अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि 11 अगस्त को दो-न्यायाधीशों की पीठ द्वारा दिए गए उस निर्देश पर फिलहाल रोक लगाई जाती है, जिसमें आवारा कुत्तों को सड़कों से उठाकर स्थायी रूप से आश्रयों में भेजने को कहा गया था. न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजानिया की पीठ ने स्पष्ट किया कि जिन कुत्तों को पकड़ा जाएगा, उनकी नसबंदी, कृमिनाशक दवाई और टीकाकरण किया जाएगा. इसके बाद उन्हें उसी स्थान पर वापस छोड़ा जाएगा, जहां से उन्हें उठाया गया था.
बेंच ने यह भी स्पष्ट किया कि यह आदेश उन कुत्तों पर लागू नहीं होगा जो रेबीज से संक्रमित हैं, रेबीज से संक्रमित होने के संदेह में हैं, या आक्रामक व्यवहार दिखाते हैं. कोर्ट ने आगे कहा कि आवारा कुत्तों की पूरी आबादी को पकड़ने के लिए कोई भी व्यापक निर्देश देने से पहले, नगर निगमों की मौजूदा बुनियादी ढांचा और मानव संसाधन क्षमता का आकलन करना आवश्यक है.
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