रायपुर- छत्तीसगढ़ विधानसभा ने आज से पहले शायद ही ऐसी तस्वीर देखी होगी जब मुख्यमंत्री की पहल पर विपक्षी सदस्यों ने भी मेज़ थपथपाई हो. आज सदन उस वक्त इसका गवाह बना, जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के एक फ़ैसले की समूचे विपक्ष ने सराहना की. मामला बस्तर के नगरनार इस्पात संयंत्र के निजीकरण की चल रही प्रक्रिया के ख़िलाफ़ सरकार के लाए गए शासकीय संकल्प से जुड़ा है. दरअसल सरकार की ओर से जैसे ही इस संकल्प को पेश किया गया, विपक्ष ने यह कहकर चर्चा टालने का अनुरोध किया कि इससे जुड़े दस्तावेज उन्हें उपलब्ध नहीं कराए गए हैं, ऐसे में चर्चा सार्थक नहीं हो पाएगी. विपक्ष की इस मांग पर तत्काल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने फ़ैसला किया और कहा कि इस विषय से जुड़े सभी दस्तावेज पहले विपक्ष के सदस्यों को दिया जाएगा फिर प्रस्ताव पेश कर चर्चा की जाएगी.
बस्तर में एनएमडीसी के नगरनार इस्पात संयंत्र के विनिवेश के नाम पर प्रस्तावित निजीकरण की प्रक्रिया को निरस्त करने को लेकर भूपेश सरकार ने आज छत्तीसगढ़ विधानसभा में शासकीय संकल्प पेश किया था, जिस पर मुख्य विपक्षी दल बीजेपी ने यह कहकर चर्चा को आगे बढ़ाने की मांग की कि इससे जुड़े दस्तावेज सदस्यों को नहीं दिए गए. चर्चा में हिस्सा लेने के लिए इससे जुड़े दस्तावेजों को अध्ययन जरूरी है. केंद्र सरकार के निजीकरण के विरोध में सदन में पेश किए गए संकल्प पर विपक्षी दलों की चर्चा को बेहद जरूरी बताते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तत्काल दस्तावेज उपलब्ध कराने की सहमति देते हुए संकल्प नए सिरे से लाने की बात कही. सदन में ऐसी तस्वीर पहली मर्तबा दिखी, जब विपक्ष की मांग के बीच मुख्यमंत्री ने संकल्प न केवल वापस लिया, बल्कि नए सिरे से पेश किए जाने का निर्णय लिया. सियासी गलिराये में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इस निर्णय़ को मास्टरस्ट्रोक कहा जा रहा है.
उद्योग मंत्री कवासी लखमा की ओर से संसदीय कार्य मंत्री रविंद्र चौबे ने संकल्प पेश किया था. बृजमोहन अग्रवाल और अजय चंद्राकर ने इस बात पर आपत्ति दर्ज की कि संकल्प पेश करने के पहले हमें दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया गया, ये महत्वपूर्ण चर्चा है. हमें दस्तावेज मिल जाए. हम अध्ययन कर ले फिर चर्चा कराई जाए. संसदीय कार्यमंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कार्यसूची कल जारी हुई थी. संकल्प आने वाला है, इसकी जानकारी कल ही आ चुकी है. विनिवेश की चर्चा आज की नहीं है. लंबे समय से इसकी चर्चा की जा रही है.
सदन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बताया कि 12 अगस्त 2017 को एनएमडीसी ने प्रेस रिलीज़ जारी कर कहा था कि नगरनार के विनिवेश को लेकर स्ट्रेटजी तैयार की गई है. एनआइएसपी के लिए विधिक कंसलटेंट नियुक्त किया गया है. उन्होंने बताया कि 17 फ़रवरी 2017 को तत्कालीन मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह ने तबके इस्पात मंत्री विरेंद्र सिंह को पत्र लिखकर विनिवेश की प्रक्रिया रद्द करने की माँग की गई थी. तब उन्होंने कहा था कि विनिवेश से नक्सलवाद बढ़ेगा.
विपक्ष के दस्तावेज माँगे जाने पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि इसे लेकर हमने भी केंद्र को पत्र लिखा है. चर्चा के लिए विपक्ष जिन दस्तावेजों को मांग रहा है, उसे उन्हें उपलब्ध करा दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण चर्चा है. हम विपक्ष को दस्तावेज उपलब्ध करा दें फिर आगे की बैठक के दिनों में इस पर चर्चा कर लेंगे. मुख्यमंत्री के प्रस्ताव के बाद आसंदी ने शासकीय संकल्प पर बाद में चर्चा कराए जाने पर सहमति दी.
विपक्ष भी भौचक रह गया
छत्तीसगढ़ विधानसभा के चालू शीतकालीन सत्र के पहले दिन जब प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी ने धान ख़रीदी और किसानों की आत्महत्या के मामले में स्थगन प्रस्ताव पेश किया था, सरकार फ़ौरन चर्चा के लिए तैयार हो गई थी. कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने स्थगन पेश करते ही आसंदी ने आग्रह किया कि इसकी ग्राह्यता पर चर्चा के लिए सरकार तैयार है. तत्काल आए इस फ़ैसले से विपक्ष भी भौचक रह गया.