कोंडागांव। नगर पालिका में फ्लोर टेस्ट में बीजेपी ने अपनी कुर्सी बचा ली है. भाजपा के 7 पार्षदों ने कांग्रेस के 8 पार्षदों के साथ मिलकर अविश्वास प्रस्ताव लाया था, जिसमें कांग्रेस को निराशा हाथ लगी, जबकि बीजेपी के किसी एक पार्षद ने कांग्रेस के समर्थन में वोटिंग कर दिया, जिससे कांग्रेस की एक संख्या बढ़ गई. बीजेपी ने 10 पार्षदों को लेकर नगर सरकार बचाने में कामयाब रही.

दरअसल, बीजेपी पार्षदों में दो फाड़ हो गया था, जिससे बीजेपी की नगर सरकार हिल गई थी. 7 बीजेपी पार्षदों ने अपने ही अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था, जिसके बाद 8 फरवरी को फ्लोर टेस्ट हुआ. उसमें 10 मत से बीजेपी ने नगर पालिका में फिर से कब्जा कर लिया.

इस फ्लोर टेस्ट में बीजेपी को 10 मत मिले, जबकि कांग्रेस को 9 मत मिले. इसमें कांग्रेस को एक वोट ज्यादा मिला, जिससे संख्या बढ़कर 9 हो गई है. इसे लेकर बीजेपी असमंजस में है कि किसने दगाबाजी की है.

ऐसे हुआ मतदान
पहले अध्यक्ष पद पर विश्वासमत के लिए हुए मतदान में 22 पाषदों में 10 ने अविश्वास पर 9 ने विश्वास मत पर दिया, तो 3 पार्षदों के मत निरस्त हो गए, जिससे भाजपा अपना अध्यक्ष बचाने में कामयाब रही. वहीं भाजपा कांग्रेस दोनों ही पार्टियां इस बात पर भी संदेह कर रही है कि उनके साथ क्रास वोटिंग में उनके पार्षद शामिल हो सकते हैं.

दावा इसलिए कर रही
भाजपा का दावा इसलिए मजबूत है कि उन्हें 14 में 14 मत क्यों नहीं मिले. 9 मत मिले 3 अगर निरस्त भी उन्हीं की पार्टी के हुए तो भी दो मत क्यों गये अविष्वास प्रस्ताव में. तो कांग्रेस का अपना दावा उनमें 8 पार्षद हैं. वोट 10 मिले, जबकि उन्होंने खुलकर अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के लिए उन्हीं सात लोगों को कहा था, जिसे चाहे बना लेना फिर भी उन्हें अब संदेह कहीं कांग्रेसी पार्षदों ने तो उनके साथ गड़बड़ी नहीं की.

भाजपा संगठन प्रभारी प्रफुल विश्वकर्मा ने कहा कि ये सब मोहन मरकाम प्रदेश अध्यक्ष का किया धरा था. हमारे पार्षद न बिके न बिकाउ हैं. रही बात पार्टी में बगावत करने वाले पार्षदों की उनके खिलाफ पार्टी सख्त निर्णय लेगी.

पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव भाजपा के ही पार्षद लाये थे. कांग्रेस के नहीं, हम पर दोषारोपण करने के पहले उन सात पार्षदों से पूछें, वो क्यों पार्टी के खिलाफ गए हैं, तो सब साफ हो जाएगा.