रायपुर। भाजपा नेता अजय चंद्राकर ने कांग्रेस सरकार के चंदखुरी को माता कौशल्या की जन्मस्थली बताए जाने पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि मुझे कांग्रेस नेताओं की सोच और जानकारी पर तरस आता है. उन्होंने कहा कि चंदखुरी माता कौशल्या की जन्मस्थली ही नहीं है, वहां केवल माता कौशल्या का मंदिर है.

प्रदेश के पूर्व संस्कृति मंत्री अजय चंद्राकर ने कहा कि ऐसा माना जाता है कि बिलासपुर के पास स्थित कोसला जमीदारी दक्षिण कौशल की राजधानी हुआ करती थी. दक्षिण कौशल के राजा भानुमति की पुत्री कौशल्या का विवाह उत्तर कौशल के राजा दशरथ से हुआ था, चंदखुरी में माता कौशल्या का मंदिर है ना कि उनकी जन्मस्थली. कांग्रेस माता कौशल्या के नाम पर बेवजह राजनीति कर रही है.

बता दें छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के दो साल का कार्यकाल पूरा होने पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित अऩ्य मंत्रियों ने चंदखुरी स्थित माता कौशल्या के मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना कर प्रदेश की खुशहाली की कामना की थी. कांग्रेस चंदखुरी को माता कौशल्या की जन्मस्थली बताते हुए वहां स्थित माता कौशल्या के मंदिर को भव्य स्वरूप देने का एलान किया है. इस दिशा में कार्य भी शुरू हो गया है.

माता कौशल्या के अस्तित्व को नकार रहे

कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह ने पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि जो लोग कल तक राम के नाम पर चंदे और वोटों के धंधे का कारोबार करते थे, आज माता कौशल्या के जन्म स्थान पर प्रश्न खड़ा करके उनके अस्तित्व को ही नकार रहे हैं. बहुत संभव है कल को अजय चंद्राकर यह भी दावा कर दें कि प्रभु राम का जन्म अयोध्या में नहीं हुआ था. आरपी सिंह ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णु देव साय से यह पूछा है क्या अजय चंद्राकर के उक्त बयान में इन तीनों की सहमति भी शामिल है?

क्या चंदखुरी मंदिर का नहीं किया जीर्णोद्धार

आरपी सिंह ने कहा कि माता कौशल्या के जन्म स्थान पर सवाल खड़ा करके भारतीय जनता पार्टी ने छत्तीसगढ़ के विद्वान इतिहासकारों की विद्वता पर सवाल खड़े कर दिए हैं. इसके साथ ही साथ उन्होंने जाहिर कर दिया है कि माता कौशल्या के प्रति उनके मन में कितनी आस्था है. डॉ रमन सिंह को प्रदेश की जनता को यह जवाब देना चाहिए कि क्या माता कौशल्या के प्रति भाजपा के मन में आस्था नहीं रहने के कारण ही अपने 15 वर्षों के कार्यकाल में उन्होंने चंदखुरी स्थित मंदिर का जीर्णोद्धार नहीं किया?