रायपुर- भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, अजय चन्द्राकर, शिवरतन शर्मा, नारायण चंदेल ने राज्य सरकार पर प्रदेश के जनजातियों, आदिवासियों को प्रताड़ित व उपेक्षित करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस सरकार के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि 1 जून 2019 को तेंदूपत्ता संग्राहकों के बीमा का नवीनीकरण क्यों नहीं हुआ ? बीमा की कोई दूसरी योजना नहीं होने के कारण हजारों वनवासी-आदिवासी परिवार प्रभावित हुए है. इस अवधि में जितने परिवार में आकस्मिक निधन, एक्सीडेंट विपदा आई उस पीड़ित हुए परिवारों का क्या होगा ? उन्हें किस योजना के तहत लाभ दिया जाएगा? किस योजना के तहत सहायता राशि दी जाएगी? जब सरकार की दूसरी योजना की तैयारी ही नहीं तो बीमा योजना क्यों बंद किया गया?  इस सब पर सरकार श्वेत पत्र जारी कर वस्तुस्थिति स्पष्ट करे.

भाजपा विधायकों ने कहा कि श्रम विभाग की ‘‘असंगठित कर्मकार सामाजिक सुरक्षा योजना को प्रारंभ करने की बात सरकार कर रही है, वह योजना 2010 से हीलागू है. पंजीकृत तेंदूपत्ता संग्राहकों को इस योजना का भी लाभ शासन की अन्य योजनाओं के साथ ही साथ मिल रहा था. विधायकों ने कहा कि तेंदूपत्ता संग्राहकों को बीमा, बोनस व लाभांश देने में यह सरकार पूरी तरह असफल अक्षम व आदिवासी विरोधी रही है. सरकार ये क्यों छुपा रही है कि उन्होंने 1 जून 2019 तक बीमा का नवीनीकरण नहीं कराया. बोनस की 597 करोड़ रूपए की राशि का वितरण नहीं किया. समितियों को 432 करोड़ लाभांश वितरित नहीं दिया गया. तेंदूपत्ता संग्राहकों के बच्चों को छात्रवृत्ति दो सत्र की नहीं दी. इस सबका जवाब कौन देगा ? गरीब आदिवासियों के हक के पैसे को रोककर रखने का दोषी कौन है? दोषियों के खिलाफ क्यों कार्यवाही नहीं हो रही है, इसलिए तो इस सरकार के नियत पर संदेह स्वाभाविक है.

भाजपा विधायकों ने कहा कि 1 जून 2019 से तेंदूपत्ता श्रमिकों की सभी योजना बंद है, जो 16 करोड़ का प्रावधान सरकार बता रही हैं वह श्रम विभाग को देना है. यह जो पैसा बता रहे हैं, यह उसी गरीब आदिवासियों की मेहनत का पैसा है, इसे सरकार को माफ करना चाहिए. पिछली सरकार में श्रम विभाग के योजनाओं के लिए तेंदूपत्ता सग्रहकों को कोई राशि नही लगती थी. विधायकों ने कहा जनवरी 2020 में छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ के संचालक मंडल में यह प्रस्ताव आया था कि आदिवासी तेंदूपत्ता संग्रहण कर्ताओं का बीमा कराया जाए, उसके बाद 22 मई 2020 के छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ के संचालक मंडल की बैठक में बीमा और पंजीयन करने के लिए 16 करोड़ का प्रावधान किया गया है. उन्होंने कहा कि एक बात समझ नहीं आई जनवरी में प्रस्ताव आया, मई में पास हुआ, राशि स्वीकृत हुई. फिरअब तक आदिवासी संग्रहण कर्ताओं के बीमा देने के लिए श्रम विभाग में पंजीयन क्यों नहीं कराया गया? यह तो घोर लापरवाही है. लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर आप कार्यवाही क्या कर रहे है.

भाजपा विधायको ने कहा कि तेंदूपत्ता संग्राहकों की बीमा योजना 50 वर्ष तक की आयु के तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए कन्वर्जन प्रधानमंत्री जीवन ज्योति एवं प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना थी. इसमें सामान्य मृत्यु पर 2 लाख रूपये तथा दुर्घटना मृत्यु पर 2 लाख रूपये का अतिरिक्त अर्थात 4 लाख रूपये सहायता राशि का प्रावधान था. प्रीमियम प्रति संग्राहक=342 रुपये, केन्द्र शासन 50%=171 रूपये, राज्य शासन 37.5%=128.25 रुपये, लघु वनोपज संघ 12.5%=42.75 रुपये, 1 मार्च 2018 को बीमित संग्राहक संख्या =4,71,027 थी, जिनका नवीनीकरण नहीं कराये जाने के कारण 1 जून 2019 से बीमा पॉलिसी बंद हो गई है. 51 से 59 तक की आयु के संग्राहकों के लिए आम आदमी बीमा योजना थी. इसमें 30 हजार रुपये से लेकर 75 हजार रूपये तक सहायता के प्रावधान है. प्रीमियम प्रति संग्राहक =200रुपये, केन्द्र शासन 50%=100 रुपये, राज्य शासन 37.5%=75रूपये, लघु वनोपज संघ12.5%=25 रूपये, 1मार्च 2018 को बीमित संग्राहक संख्या =2,07,497, (दो लाख सात हजार चार सौ सनतानबे), नवीनीकरण नहीं कराये जाने के कारण 1 जून 2019 से बीमा पॉलिसी बंद हो गई है.

भाजपा विधायकों ने कहा कि वर्तमान में दिनांक 1 जून 2019 से नवीनीकरण नहीं कराये जाने के कारण उक्त बीमा योजना बंद हो गई है. इसे केन्द्र सरकार द्वारा बंद करना बताया जा रहा है जो की एकदम गलत है. वर्तमान में उक्त योजना बंद है, परंतु राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ पुरानी योजना में शामिल होने के कारण 1 जून 2019 को नवीनीकरण हेतु पात्र था. बीमा निगम लगातार पत्राचार करता रहा. वास्तविकता यह है कि सरकार व विभाग संघ संग्राहकों की जानकारी समय पर तथा आज तक भी एकत्रित नहीं कर पाया है. राज्य सरकार द्वारा भी अपने हिस्से की राशि नहीं दी गई जिसका परिणाम प्रदेश के लाखो आदिवासी परिवार बीमा की सुविधा से वंचित हो गए और सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही.

भाजपा विधायकों ने राज्य सरकार से पूछा कि पूर्व की बीमा योजनाओं में संग्राहको को कितनी राशि बीमा के किस-किस नियमों के तहत् किन-किन योजनाओं में मिलता था व श्रम विभाग की योजना में उन्हें कितनी-कितनी किन-किन योजनाओं से राशि मिलेगी