मथुरा. बांके बिहारी कॉरिडोर (Shri Banke Bihari Corridor) विवाद को लेकर भाजपा सांसद हेमा मालिनी का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि “मुझे बहुत खुशी हुई कि सुप्रीम कोर्ट ने बांके बिहारी कॉरिडोर बनाने के आदेश दे दिए हैं क्योंकि बांके बिहारी के दर्शन के लिए दिन-प्रतिदिन श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ रही है, जिससे श्रद्धालु दर्शन भी नहीं कर पाते. ऐसे में दुखी समाचार बार-बार सुनने को मिलते है. इससे सभी को फायदा ही होने जा रहा है. हमारी सरकार सभी को देखते हुए काम करती है. गोस्वामी समाज जो मंदिर में पूजा-पाठ करते हैं और रख रखाव का कार्य करते हैं, उन्हें भी इससे फायदा है. मेरा अनुरोध है कि इस काम को हरी झंडी दिखाएं, इसे रोके नहीं”.

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बता दें कि ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर कॉरिडोर बनाने के लिए 5 एकड़ भूमि खरीदा जाना है. जमीन की खरीदी मंदिर के कोष में जमा पैसे से की जानी है. ऐसे में मंदिर के सेवायतों ने 22 मई को मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की पीठ के समक्ष पुनर्विचार याचिका दायर की थी. याचिककर्ताओं ने याचिका के जरिए कहा गया था कि मंदिर सेवायतों की सुनवाई नहीं की गई. मंदिर के कोष के उपयोग को लेकर एकतरफा निर्णय लिया गया.

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यूपी सरकार ने हाल ही में बांके बिहारी मंदिर में प्रस्तावित कॉरिडोर के लिए 150 करोड़ की धनराशि का प्रावधान किया है. इसके बाद सरकार ने हाईकोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल कर कॉरिडोर के लिए भूमि अधिग्रहण करने और मंदिर कोष में जमा राशि का उपयोग करने की अनुमति मांगी थी कोर्ट ने मंदिर के बैंक खाते में जमा धन का कॉरिडोर बनाने में उपयोग की अनुमति नहीं दी है. हालांकि HC ने सरकार को कॉरिडोर बनाने में बाधा बने अतिक्रमण को हटाने की अनुमति दे दी है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि सरकार अपनी प्रस्तावित योजना के साथ आगे बढ़े, लेकिन यह भी सुनिश्चित करें कि दर्शनार्थियों को दर्शन में बाधा न आए.

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कॉरिडोर का निर्माण गैर जरूरी

गौरतलब है कि बांके बिहारी मंदिर में प्रस्तावित कॉरिडोर (Shri Banke Bihari Corridor) मामले में याची अनंत शर्मा, मधुमंगल दास और अन्य की ओर से दाखिल की गई है. मंदिर के पुजारियों ने कॉरिडोर निर्माण को गैर जरूरी बताया था. चढ़ावे और चंदे की रकम देने से साफ इनकार किया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सरकार की कॉरिडोर बनाए जाने की योजना को मंजूरी दे दी है, लेकिन मंदिर से जुड़े हुए लोगों की मांग को मानते हुए चढ़ावे और चंदे की रकम का इस्तेमाल किए जाने पर रोक लगा दी थी.