सुप्रिया पांडेय, रायपुर। जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) की बैठक में तवज्जों नहीं दिए जाने से विपक्षी दल के विधायक-सांसद की नाराजगी खुलकर सामने आ गई है. भाजपा विधायक ने इस बात पर आपत्ति जताई कि बैठक के लिए बुलाते हैं, लेकिन अधिकारी एजेंडे की जानकारी तक नहीं देते हैं. उन्हें यह तक नहीं बताया जाता की कौन से काम स्वीकृत हुए है. यही वजह रही कि डीएमएफ की बैठक को लेकर भाजपा के सांसद-विधायक की नाराजगी सामने आई.

डीएमएफ शासी परिसद की बैठक की शनिवार को प्रभारी मंत्री रविन्द्र चौबे की अध्यक्षता में हुई. बैठक की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि अनेक मुद्दों पर चर्चा हुई. कई एजेंडों पर, सुझाव पर, सहमति भी व्यक्त की गई. इंफ्रास्ट्रक्टर व रूरल इंफ्रास्ट्रक्टर डेवलपमेंट के लिए जनप्रतिनिधियों की मांगों को कार्ययोजना में शामिल किया गया.

उन्होंने कहा कि पिछली बार भी निर्णय लिया था कि कोविड के चलते जितनी भी आवश्यकताएं होंगी, उसे डीएमएफ से पूरा किया जाएगा. 6 स्थानों पर ऑक्सीजन प्लांट लगाना पड़ेगा, जिसमें जरूरत के हिसाब से  मेनपावर की स्वीकृति दी गई है. डीएमएफ की शेष राशि जनप्रतिनिधियों से लेकर विकास कार्यों की सहमति व स्वीकृति दी जाएगी.

बिना जानकारी के हो रहा काम

डीएमएफ की बैठक से अनुपस्थित रहे विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने अधिकारियों पर निशाना साधते हुए कहा कि बैठक के लिए जो एजेंडा भेजते हैं, उसमें डिटेल्स नहीं भेजते हैं, इसलिए वह डिटेल्स अधिकारी भेजें. विधायक इसलिए भी नाराज है कि क्योंकि बिना उनकी जानकारी के कुछ काम उनके विधानसभा में स्वीकृत हो गए हैं, इसलिए उनकी जानकारी में काम होना चाहिए.

स्थाई कार्यों में हो फंड का खर्च

उन्होंने कहा कि हमने सुझाव दिए हैं कि डीएमएफ के मदद से जो निर्माण के काम किए जा रहे हैं, वह स्थाई काम होना चाहिए. इसमें अस्थाई कामों में पैसे खर्च कम से कम करना चाहिए, क्योंकि इसमें मैक्सिमम पैसे कोविड-19 के लिए खर्च होने चाहिए. इसलिए स्थाई निर्माण के कामों में पैसे खर्च ज्यादा से ज्यादा हो क्योंकि बहुत से काम सरकार नहीं करवा पा रही है.

सांसद को नहीं दिया न्यौता

सांसद सुनील सोनी ने भी बैठक को लेकर अपनी आपत्ति जाहिर की. उन्होंने कहा कि भारत सरकार के गजट पत्र के अनुसार सड़क सुरक्षा समिति की बैठक सांसद की अध्यक्षता में होगी, इसकी 2 बैठकें ली जा चुकी हैं. 21 दिसम्बर 2020 में छत्तीसगढ़ सरकार का एक नया आदेश जिसमें बैठक कलेक्टर की अध्यक्षता में होगी. डीएमएफ फण्ड को लेकर भी केंद्र की गाइड लाइन है, जिसमें सांसद डीएफएफ फंड समिति का सदस्य हैं, लेकिन लेकिन राज्य सरकार शामिल नहीं कर रही है. इस मामले की केंद्र सरकार से शिकायत करेंगे.