दिल्ली. भारतीय जनता पार्टी ने जम्मू कश्मीर में पीडीपी के साथ अपना गठबंघधन समाप्त कर दिया है. बीजेपी नेता राम माधव ने अन्य पार्टी नेताओं के साथ एक प्रेस कांफ्रेंस कर इसकी घोषणा की है. प्राप्त जानकारी के मुताबिक बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह द्वारा बुलाई गई महत्वपूर्ण बैठक के बाद यह फैसला लिया गया है. इसके लिए बीजेपी ने राज्यपाल को भी समर्थन वापसी की चिट्ठी है.इसके बाद महबूबा मुफ्ती ने भी मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है.

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों में कश्मीर में जो परिस्थिति बनी है जिसे लेकर बैठक हुई. सभी से इनपुट लेने के बाद प्रधानमंत्री मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह व अन्य ने फैसला लिया है कि भाजपा के लिए जम्मू-कश्मीर में इस सरकार के साथ आगे चलना संभव नहीं होगी.

राम माधव ने आगे कहा कि राज्य में हम परिस्थिति को सुधारने के लिए साथ आए थे वो पूरा नहीं हो पाया है. कश्मीर में हालात चिंताजनक हो गए हैं. श्रीनगर में सरेआम पत्रकार की हत्या और राज्य के हालात चिंताजनक हैं. हमारे मंत्रियों के पास जो मंत्रालय थे उनमें वो विकास के काम करने की कोशिश करते रहे लेकिन 3 साल तक पीडीपी के साथ रहने के बाद हालात में सुधार नहीं हुआ. इसे देखते हुए इस गठबंधन को आगे चलाना सही नहीं होगा.

माधव ने कहा कि घाटी में आतंकवाद, रेडिकलिज्म बढ़ा है और आम लोगों के अधिकारों पर खतरा मंडराता नजर आ रहा है. शुजात बुखारी की हत्या इसका उदाहरण है. जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है. देश की सुरक्षा और अखंडता को ध्यान में रखते हुए, राज्य में पैदा हालात पर नियंत्रण पाने के लिए राज्य की सत्ता राज्यपाल के हाथ में देना उचित रहेगा. अगर राज्य में राज्यपाल शासन जारी रहता है तो भी केंद्र सरकार के आतंक के खिलाफ ऑपरेशन जारी रहेंगे.

उन्होंने कहा कि केंद्र ने घाटी के लिए काफी कुछ किया. हमने संघर्ष विराम पर अंकुश लगाने का प्रयास किया लेकिन पीडीपी अपने वादे पूरे करने में कामयाब नहीं हो पाई. हमारे नेताओं को घाटी में विकास कार्य करने में पीडीपी की तरफ से भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था.

बता दें कि राज्य में पीडीपी की 28 सीटें हैं वहीं भाजपा के पास 25 सीटें हैं. दरअसल बीजेपी ने पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान पीडीपी से गठबंधन किया था. लेकिन जम्मू-कश्मीर में हाल के हालातों को देखते हुए दोनों के बीच तनातनी चल रही थी. जिसके कारण बीजेपी ने आज पीडीपी के साथ गठबंधन तोड़ लिया है.

वहीं 89 विधानसभा वाली जम्मू-कश्मीर में बहुमत के लिए 45 सीटों की जरूरत थी. जिसमें कांग्रेस के पास 12 ,नेशनल कांफ्रेस के पास 15, जबकि अन्य के पास 9 सीटें थी. ऐसे में अब ये देखने वाली बात होगी की राज्य में सियासी समीकरण क्या होते हैं.