रायपुर। किसानों की मांगों और कांग्रेस सरकार की वादाखिलाफी पर भारतीय जनता पार्टी ने राजधानी के साथ अन्य जिला मुख्यालयों में एक दिवसीय धरना दिया. धरने के दौरान भाजपा नेताओं ने अपने उद्बोधन में प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर ताबड़तोड़ हमले करते हुए किसानों से वादाखिलाफी का आरोप लगाया. राजधानी में धरने के बाद भाजपा नेताओं ने धान खरीदी की सुचारू व्यवस्था के लिए शासन को निर्देशित करने राज्यपाल अनुसुईया उइके को ज्ञापन सौंपा.

राजधानी के धरना स्थल पर भाजपा के धरना में प्रदेश अध्यक्ष विष्णु देव साय, रायपुर सांसद सुनील सोनी, पूर्व मंत्री व विधायक बृजमोहन अग्रवाल, पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर, पूर्व मंत्री राजेश मूणत, पूर्व विधायक नंदे साहू, भाजपा जिला अध्यक्ष श्रीचंद सुन्दरानी सहित अन्य भाजपा नेता व कार्यकर्ता मौजूद रहे. धरने के दौरान वक्ता प्रदेश का कांग्रेस सरकार पर जमकर बरसे. इसके बाद राज्यपाल अनुसुईया उइके से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा, जिसमें धान खरीदी की राशि का किसानों को एकमुश्त भुगतान करने, प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान खरीदी करने की मांग की है.

इसके अलावा एक नवंबर से धान खरीदी शुरू करने, किसानों को दो वर्ष के बकाया बोनस का शीध्र भुगतान करने, धान का रकबा कम करने की कवायद बंद करने, भंडारण-परिवहन के नाम पर किसानों को परेशान नहीं करने के अलावा नकली कीटनाशक की वजह से फसल नुकसान होने पर आत्महत्या करने वाले दुर्ग जिले के किसान दुर्गेश निषाद के परिजनों के साथ अन्य पीड़ित किसानों को उचित मुआवजा देने की मांग की है.

धरना को संबोधित करते हुए पूर्व मंत्री व विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि जब हम किसानों के हितों की लड़ाई लड़ रहे हैं, तब कांग्रेस के लोग हाथरस पर धरना दे रहे हैं। क्या इन्हें छत्तीसगढ़ के सरगुजा का बलरामपुर नहीं दिख रहा, क्या इन्हें बस्तर का कोंडागांव नहीं दिख रहा? कैसी संवेदनहीन सरकार है! प्रदेश सरकार और कांग्रेस के नेता पहले अपना प्रदेश देखें, बाद में अन्य राज्यों के मुद्दों पर धरना दें। श्री अग्रवाल ने कहा कि जब हमारी पार्टी की सरकार थी, तब हम 01 नवम्बर से धान खरीदी करते थे ताकि दीपावली से पहले किसान भाई के घर धान का पैसा मिल जाये। ये सरकार दिसंबर में खरीदी की बात करते हैं। प्रदेश के किसानों को पिछले वर्ष के धान का भुगतान नहीं हुआ है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने जो किसानों के हित में कानून लाया है उसमें तो इस सरकार को जेल में होना चाहिए। इस क़ानून में किसानों को उनकी उहज के मूल्य का 72 घंटे में भुगतान का प्रावधान है और प्रदेश की यह कांग्रेस सरकार इस किसान हितैषी बिल का विरोध कर रही है। श्री अग्रवाल ने कटाक्ष किया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हरेली मनाने की बात करते हैं, लेकिन पहले हमारे किसान भाई के घर-घर में, गाँव-गाँव में हरेली मननी चाहिए। उसके खाते में उसकी उपज के मूल्य की पूरी राशि पहुंचनी चाहिए तब प्रदेश में असली हरेली होगी। गिरदावरी में किसान का रकबा कम करने वाली सरकार किसानों के साथ अन्याय कर रही हैं। भूपेश सरकार केवल शोषण करने वाली सरकार है। श्री अग्रवाल ने कहा कि रेत खनन के लिए प्रदेश सरकार का क्या नियम, क्या क़ानूनून हैं? कोई कानून नहीं! जब कांग्रेस के कार्यकर्ता को पैसा चाहिए तब खनन कर रहे हैं।

प्रदेश के पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने धरना को संबोधित करते हुए कहा कि गंगाजल की कसम खाने वाले गंगा जल को भूल गए हैं। आज पूरा प्रदेश पूछ रहा है कि क्या किसानों के साथ, युवाओं, महिलाओं किसी के साथ न्याय हुआ? छत्तीसगढ़ में लगातार दुष्कर्म की घटनाएँ हो रही हैं लेकिन इस विषय पर बोलने के बजाय कांग्रेस के नेता हाथरस पर धरना दे रहे हैं। आज राजधानी में बेख़ौफ़ जुआ-सट्टा और अफ़ीम-कोकीन के नशे का काला करोबार चल रहा है। यह कांग्रेस की कैसी सरकार है? श्री मूणत ने हुँकार भरी कि भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता मैदान में उतर चुका है। इस प्रदेश सरकार को दोहरी मानसिकता वाली बताते हुए श्री मूणत ने कहा कि कांग्रेस के कार्यकर्ता नियमों का उल्लंघन कर आंदोलन करें तो कोई कार्रवाई नहीं होती, पर भाजपा कार्यकर्ता नियमों का पालन करें तब भी उन पर कार्रवाई और एफआईआर की जा रही है। यह हम बर्दाश्त नहीं करेंगे और ऐसी दोहरा मानसिकता वालों की ईंट से ईंट बजा देंगे।

पूर्व मंत्री और विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि यह कांग्रेस की चोर सरकार, तस्कर सरकार, लुटेरी सरकार, जुआरी सरकार के खिलाफ धरना है। देश में यदि कहीं खुले आम भ्रष्टाचार हो रहा है तो वह छत्तीसगढ़ में हो रहा है। रेत माफिया सक्रिय हैं, प्राकृतिक संसाधनों का गोरखधंधा चल रहा है। प्रदेश में कांग्रेस का कार्यकर्ता होना चोरी कर, तस्करी कर, माफियागिरी कर बचने का कोड है। श्री चंद्राकर ने प्रदेश सरकार को खुले मंच से किसानों के विषय में बात करने की चुनौती दी। सन 2019 के अपने घोषणा पत्र में कांग्रेस ने एमएसपी पर घोषणा की थी और आज भ्रम फैला रही हैं। स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट यूपीए के 10 साल के शासन में ठंडे बस्ते में क्यों पड़ी रही? शांताकुमार कमेटी की कितनी अनुशंसाओं से मुख्यमंत्री बघेल सहमत हैं, बताएं। यदि सहमत हैं तो बताएं कि छत्तीसगढ़ में कब लागू करेंगे? 25सौ रुपये में धान खरीदी की बात पूरी तरह सफेद झूठ है। पिछली फसल का भुगतान ही अभी तक नहीं किया। श्री चंद्राकर ने कहा कि नकली बीज, नकली खाद वालों के ऊपर क्या कार्रवाई हुई? एक किसान ने आत्महत्या कर ली, यह कैसी असंवेदनशील सरकार है। भाजपा का कार्यकर्ता एक-एक बटालियन के बराबर है। श्री चंद्राकर ने सवाल किया कि कर्जा-पर-कर्जा लेने वाली यह प्रदेश सरकार कब से धान खरीदी करेगी स्पष्ट करे। छत्तीसगढ़ के लिए जिन लोगों ने नाखून तक नहीं कटाया, वे सरकार में आकर लूट मचा रहे हैं। ऐसे कार्यों के लिए अटल जी ने छत्तीसगढ़ राज्य नहीं बनाया है।