पुरुषोत्तम पात्रा,गरियाबंद. भाजपा को चुनाव जीतने के लिए भले ही दूसरी पार्टियों से मुकाबला करना पड़ेगा, मगर फिलहाल हालात ऐसे है कि पार्टी के प्रत्याशियों को अपनी ही पार्टी के बागियों से मुकाबला करना पड़ रहा है. गरियाबंद जिले की दोनों विधानसभाओं से अंतर्कलह खत्म करना भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है.
भाजपा ने अपने प्रत्याशियों की जैसे ही दूसरी सूची जारी कि गरियाबंद की दोनों विधानसभा में टिकट के दावेदार बागी हो गये, राजिम हो या बिन्द्रानवागढ़ दोनों ही विधानसभा के नाराज दावेदार खुलकर मैदान में उतर आये. यही नहीं नाराज दावेदार विरोध प्रदर्शन करने के लिए अपने सैंकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ रायपुर तक पहुंच गये, राजिम के नाराज दावेदार जहॉ नये प्रत्याशी की मांग पर अडिग है. वहीं बिन्द्रानवागढ़ में पुरानी प्रत्याशी को ही टिकट देने की मांग नाराज कार्यकर्ताओं द्वारा की जा रही है. पार्टी ने राजिम से पुराने चेहरे संतोष उपाध्याय को ही मैदान में उतारा है. वहीं बिन्द्रानवागढ़ से पार्टी ने गोवर्धन मांझी का टिकट काटकर डमरुधर पुजारी पर भरोसा जताया है. दोनों ही प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल करने के पहले ही दिन जिला निर्वाचन कार्यालय पहुंचकर नामांकन फार्म लिया और विरोधियों से निपटाकर जीत का दावा किया है.
ऐसा नहीं है कि पार्टी में फैले अंतर्कलह की जानकारी पार्टी आलाकमान को ना हो, दोनों ही विधानसभा के नाराज दावेदार और उनके समर्थक अपनी आवाज पार्टी आलाकमान तक पहुंचा चुके है. हालात को देखते हुए पार्टी ने डैमेज कंट्रोल करना शुरु कर दिया है, जिले में इसकी कमान फिलहाल सांसद चंदूलाल साहू संभाल रहे है, चंदूलाल की माने तो सभी बागियों को मना लिया गया है.
भाजपा सबकुछ ठीक होने के लाख दावे करे मगर बागियों की बैठकों का दौर जिस तरह चल रहा है उसको देखकर नहीं लगता कि फिलहाल पार्टी में सबकुछ ठीक चल रहा हो, हालांकि बागियों को मनाने के लिए पार्टी ने कसरत शुरु कर दी है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि डैमेज कंट्रोल करने में पार्टी कितनी कामयाब होती है.