लखनऊ. लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा विपक्ष के जातीय जनगणना की काट के लिए राष्ट्रवाद और विकास के मुद्दे को धार देगी. साथ ही पिछड़े व दलित वर्गों में जनाधार बढ़ाएगी. दिल्ली में हुई बैठक के बाद प्रदेश में सरकार व संगठन में पिछड़ों व दलितों की भागीदारी बढ़ाने की रणनीति बनी है. भाजपा को विभिन्न राज्यों से मिले फीडबैक में सामने आया है कि उत्तर भारत के राज्यों में जातीय जनगणना का मुद्दा पिछड़ों के बीच धीरे-धीरे जम रहा है. इसीलिए भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इस मुद्दे की काट तलाशने में जुट है.

यूपी में भाजपा अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर राम मंदिर निर्माण, वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर निर्माण, जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ति और काशी में ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे, विध्यांचल धाम कॉरिडोर, बृज तीर्थ क्षेत्र परिषद सहित अन्य राष्ट्रवाद के मुद्दों को धार देगी. सरकार की योजनाओं में पिछड़े व दलित वर्ग के लाभार्थियों को भी साधेंगे. प्रदेश में बीते साढ़े छह साल में हुए विकास के मुद्दे को भी जातीय जनगणना के खिलाफ हथियार बनाएंगे.

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भाजपा जल्द ही छह क्षेत्रों, 98 संगठनात्मक जिलों और 1819 मंडलों में फेरबदल कर पिछड़े और दलित वर्ग के लोगों की भागीदारी बढ़ाएगी. दिल्ली की बैठक में शामिल एक नेता ने बताया कि पार्टी 25 नवंबर के बाद बूथ कमेटियों और पन्ना प्रमुखों की नियुक्ति शुरू करेगी. पन्ना प्रमुख भी बड़ी संख्या में पिछड़े वर्ग से बनाए जाएंगे. उन्होंने बताया कि मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान में पिछड़े और दलित वर्ग के मतदाताओं के नाम ज्यादा से ज्यादा शामिल कराए जाएंगे.