रायपुर। महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर आहुत विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सावरकर को लेकर की गई टिप्पणी पर हंगामा मच गया. भाजपा विधायकों ने उनके बयान को विलोपित करने की मांग की, जिस पर भूपेश बघेल ने शब्द वापस लेने से इंकार कर दिया. भारी शोरगुल के बीच बीजेपी सदस्यों ने सदन का बहिर्गमन कर बाहर वीर सावरकर के समर्थन में  नारे लगाते हुए गांधी प्रतिमा के सामने धरना दिया.

दरअसल, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने महात्मा गांधी पर चर्चा के समापन पर कहा कि आज का राष्ट्रवाद भयानक किस्म का हिंसक है. अराजक और उत्तेजित इस राष्ट्रवाद में जीवन का कोई सम्मान नहीं है. ये राष्ट्रवाद बाहर से आया हुआ है. इसकी जड़े जर्मनी और इटली से गढ़ी हुई है. भूपेश बघेल ने कहा कि मैंने पढ़ा है कि सावरकर के बुलावे पर गांधी लंदन में उनके पास गए थे. उस वक़्त दोनों ने रामायण का उदाहरण लिया. गांधी ने कहा कि रावण जैसे शक्तिशाली से सत्य ही जीतता है. दूसरी तरफ सावरकर ने कहा दुष्टता का नाश उसी तरह से होता है.

भूपेश बगेल ने कहा कि, अपने भाषण भाषण में शिवरतन शर्मा ने कहा था कि गांधी आरएसएस की शाखाओं में जाते थे. दरअसल गांधी अपने विरोधियों के पास भी जाते थे. बृजमोहन अग्रवाल और नेता प्रतिपक्ष ने अपने भाषण में कहा कि सरकार गांधी के बताए रास्ते पर नहीं चल रही. अब मैं 9 महीने का हिसाब दूं या फिर 15 सालों की समीक्षा करूँ. हम सब यहां है तो गांधी की विचारधारा की वजह से ही. हमें आजीविका का अधिकार, शिक्षा का अधिकार कांग्रेस की सरकार से सम्भव हो पाया है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि अजय चंद्राकर ने सदन में उल्लेख किया था कि महात्मा गांधी चाहते तो भगत सिंह को बचा सकते थे. उन्हें इसकी जानकारी नहीं है कि गांधी ने वायसराय को चिट्ठी लिखी थी. नेहरू जेल में जाकर मिले थे. भूपेश बघेल ने पूछा कि जरा ये बताएं कि उनके नेता कब भगत सिंह के साथ खड़े रहे. उन्होंने कहा कि सिर्फ गोडसे, सावरकर ही गांधी से असहमत नहीं थे, सुभाष चन्द्र बोस भी असहमत थे, अम्बेडकर भी असहमत थे. कई ऐसे दूसरे भी थे जो असहमत थे, लेकिन उन लोगों ने हत्या नहीं की. सुभाष चंद्र बोस ने सेना बनाई थी और सबसे पहले महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहा था.

सुभाष चंद्र बोस ने इस्तीफा दिया था. कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए थे. यहां ये भी कहा गया कि महात्मा गांधी ने सदस्यता छोड़ दी थी. अजय चंद्राकर को उस वक़्त के हालात नहीं दिखे. महात्मा गांधी को लगा कि उन्होंने कई नेता तैयार कर लिया है. जब उन्होंने देखा कि दूसरी पंक्ति के नेता कांग्रेस संभाल सकते हैं तब जाकर उन्होंने इस्तीफा दिया. सुभाष चन्द्र बोस ने इस्तीफा इसलिए दिया था क्योंकि कांग्रेस के अधिवेशन में यह प्रस्ताव पारित हुआ था कि कोई हिंसक आंदोलन नहीं होगा. तब जाकर उनका इस्तीफा हुआ था.

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी लंबी सांस्कृतिक धरोहर है. इन धरोहरों का जिक्र जरूरी था, क्योंकि इन सबने इस देश के मानस को बनाया था. बुद्ध और गांधी की करुणा में कोई अंतर नहीं था. इन सबमें गंभीर राष्ट्रवाद के तत्व छिपे हुए हैं. विरोध में ही सही आवाज उठने को सम्मान देता है. हमसे यदि गलती होती है तो शर्मिंदा होते हैं. पश्चाताप के आंसू आंखों में होते हैं.

मुख्यमंत्री ने कहा कि इतिहास गवाह है कि सावरकर छिपकर मारने से पीछे नहीं हटते थे. उन्होंने बीजेपी विधायकों की ओर इशारा करते हुए कहा कि आपके लिए सावरकर वीर है, लेकिन हमारे लिए गांधी वीर है. इतिहास में ये साक्ष्य भी है कि गोडसे सावरकर का शिष्य था. भूपेश बघेल की इस टिप्पणी पर पर भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा ने कहा कि सावरकर को बाइज्जत बरी किया गया था. अजय चंद्राकर ने भूपेश बघेल के शब्दों को विलोपित करने की मांग की. जवाब में भूपेश बघेल ने कहा मैं अपने शब्द वापस नहीं लूंगा. सदन में भारी हंगामे के बीच बीजेपी सदस्यों ने सदन की कार्यवाही से बहिर्गमन किया.

भूपेश बघेल ने अपनी बात जारी रहते हुए कहा कि सच सुनने का साहस होना चाहिए. सावरकर ने 13 बार अंग्रेजों से माफी मांगी थी. वापस लौटने के बाद सावरकर कभी किसी आंदोलन का हिस्सा नहीं बने. गांधी ने अस्पृश्यता के खिलाफ लड़ाई लड़ी, शिक्षा को लेकर लड़ाई लड़ी. समाज की कुरीतियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी. अंग्रेज उन्हें बार-बार जेल में डालते रहे, लेकिन क्या वजह है कि गोडसे ने उनकी हत्या की?  उस वक़्त जब हत्या हुई तो रेडियो में कहा जा रहा था एक पागल व्यक्ति ने हत्या कर दी. वह पागल नहीं था. एक विचारधारा से जुड़ा था. आज विचारधारा की लड़ाई चल रही है.

इसके पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि सदन में नए सदस्यों को सुनना चाहिए. विषयों पर अध्ययन किया जाना चाहिए. 4 घंटे पढ़ेंगे तो 10 मिनट बोल पाएंगे. किताब एक ही है उससे हर कोई अध्ययन कर अपने मतलब की चीजें समझता है. छत्तीसगढ़ विधानसभा को यह श्रेय जाता है कि गांधी पर दो दिनों की चर्चा बुलाई गई. यह छत्तीसगढ़ की उपलब्धि है. किसी भी सदस्य ने गांधी की विचारधारा का कोई विरोध नहीं किया ये अच्छी बात है.

बीजेपी ने दिया धरना

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की टिप्पणी से नाराज बीजेपी विधायकों ने सदन की कार्यवाही से बहिर्गमन कर दिया. बीजेपी सदस्य सदन के बाहर गांधी प्रतिमा के पास धरने पर बैठ गए और मुख्यमंत्री के विरोध में जमकर नारेबाजी की. विधायकों ने सावरकर को वीर बताते हुए समर्थन में नारे लगाए.