नई दिल्ली। लोकसभा 2024 चुनाव से ठीक पहले मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से सबसे ज्यादा नुकसान भाजपा को होने की आशंका है, क्योंकि पार्टी को 2016-2022 के बीच इस योजना के तहत 60% से अधिक दान प्राप्त हुआ था. इसे भी पढ़ें : BREAKING : इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को सुप्रीम कोर्ट ने किया रद्द, सर्वसम्मति से सुनाया फैसला…

सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्डयोजना को रद्द करते हुए अपने फैसले में कहा कि यह योजना नागरिकों के सूचना के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है. यह एक वित्तीय साधन है, जो व्यक्तियों और व्यवसायों को राजनीतिक दलों को गुमनाम दान देने की अनुमति देता है. इन्हें भाजपा सरकार ने 2018 में नकद दान के विकल्प के रूप में पेश किया था. इन्हें राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता लाने की पहल के रूप में पेश किया गया था.

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चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, 2016 से 2022 के बीच 16,437.63 करोड़ रुपए के 28,030 चुनावी बॉन्ड बेचे गए. भाजपा इन दान की प्राथमिक लाभार्थी थी, जिसे 10,122 करोड़ रुपए प्राप्त हुए, जो कुल दान का लगभग 60% था. वहीं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को इसी अवधि में 1,547 करोड़ रुपए या 10 प्रतिशत प्राप्त करके दूसरे स्थान पर रही. वहीं पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को 823 करोड़ रुपए या कुल इलेक्टोरल बांड का 8 प्रतिशत प्राप्त हुआ. चुनावी बॉन्ड के माध्यम से भाजपा को दिया गया दान सूची में शामिल अन्य सभी 30 पार्टियों से तीन गुना अधिक था.

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इलेक्टोरल बॉन्ड को काले धन पर अंकुश लगाने और राजनीतिक दान में पारदर्शिता लाने के लिए लाया गया था, सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि उद्देश्य इस योजना को उचित नहीं ठहराते हैं . इसके अतिरिक्त, इसने इस बात पर प्रकाश डाला कि वैकल्पिक तरीके इन लक्ष्यों को प्रभावी ढंग से प्राप्त कर सकते हैं.

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