रायपुर। छत्तीसगढ़ समाज कल्याण बोर्ड की सदस्य कल्पना सिंह के पति प्रशांत सिंह की उत्तर प्रदेश में गिरफ्तारी के बाद अब भाजपा ने उनकी नियुक्ति को लेकर प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है. भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष शालिनी राजपूत और महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष हर्षिता पांडेय ने कल्पना सिंह की नियुक्ति को लेकर प्रदेश सरकार से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है.
शालिनी राजपूत और हर्षिता पांडेय ने कहा कि वर्ष 2019 से एनडीपीएस एक्ट के तहत मुकदमे में फरार 50 हज़ार रुपए के इनामी प्रशांत को बाराबंकी और उप्र एसटीएफ भी तलाश रही थी. इस गिरफ़्तारी के बाद कल्पना सिंह ने खुद को प्रशांत सिंह की पत्नी और छत्तीसगढ़ सरकार में राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त समाज कल्याण बोर्ड का सदस्य बताया था. इस पर दोनों भाजपा नेत्रियों ने जानना चाहा है कि क्या वास्तव में कल्पना सिंह को समाज कल्याण बोर्ड की सदस्य के तौर पर राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है? क्या कल्पना सिंह को इस तौर पर दंतेवाड़ा, जगदलपुर और राजधानी रायपुर में सरकारी आवास आवंटित किया गया है? क्या उन्हें सुरक्षा दस्ता भी मुहैया कराया गया है?
भाजपा नेत्रियों ने कहा कि कल्पना सिंह और उनकी नियुक्ति के संबंध में सारे तथ्यों का ख़ुलासा होना ज़रूरी है क्योंकि यह सीधे-सीधे प्रदेश की कांग्रेस सरकार के पाखंडपूर्ण राजनीतिक चरित्र से जुड़ा मामला है. प्रदेश में राजनीति और अपराध के इस घालमेल ने कई सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने प्रदेश सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि प्रदेश में शराब की तस्करी के मामलों का कहीं इसीलिए तो एकाएक सिलसिला नहीं चल पड़ा है? शराब की कोचिया बनी बैठी प्रदेश सरकार द्वारा राजनीतिक नियुक्तियों के सभी उच्चतम मानदंडों और लोकतांत्रिक मूल्यों को दरक़िनार कर प्रदेश को खुलेआम आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों व उनके परिजनों के हाथों में सौंपे जाने को भाजपा नेत्रियों ने बेहद निकृष्ट और शर्मनाक उदाहरण बताया है.
श्रीमती राजपूत व श्रीमती पांडेय ने सवाल किया कि कल्पना सिंह किस आधार पर ख़ुद को राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त बता रही हैं? क्या प्रदेश सरकार और कांग्रेस के कर्णधारों को पूरे छत्तीसगढ़ में समाज कल्याण बोर्ड की सदस्य बनाने के लिए अपनी ही पार्टी में कोई और महिला कार्यकर्ता नहीं मिली? साथ ही प्रशांत सिंह के विरुद्ध उप्र के अलग-अलग थानों में दर्ज मुकदमों का हवाला देते हुए सवाल किया कि क्या प्रदेश कांग्रेस और सरकार ने इस नियुक्ति के पहले इन तमाम तथ्यों पर ग़ौर नहीं किया? कहीं ऐसा तो नहीं कि कांग्रेस में राजनीतिक नियुक्ति के लिए योग्यता का यही मापदंड तय है? इस पूरे मामले में कांग्रेस का क्या रूख है, स्पष्ट करना चाहिये.