हेमंत शर्मा, इंदौर। जिले में सक्रिय संगठित वाहन धोखाधड़ी गिरोह का एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें सिवनी निवासी भाजपा युवा मोर्चा के नगर अध्यक्ष के साथ लाखों रुपये की ठगी की गई। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि शिकायत, सबूत और यहां तक कि सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध होने के बावजूद पुलिस ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।
पीड़ित सोहिल खान और भाजपा युवा मोर्चा नगर अध्यक्ष ऋषभ चौरसिया ने बताया कि इंदौर में फर्जी तरीके से वाहन बेचने वाले एक संगठित गिरोह ने उन्हें ठगी का शिकार बनाया। आरोप है कि अविनाश सालवी नामक ब्रोकर, तरुण, कुनाल पाटिल और उनके अन्य साथियों ने मिलकर स्कॉर्पियो एन (2024 मॉडल) बेचने के नाम पर 7 लाख 30 हजार रुपये वसूल लिए। यह राशि ऑनलाइन ट्रांसफर, यूपीआई और नकद के जरिए ली गई, जिसके डिजिटल रिकॉर्ड, वीडियो और अन्य सबूत पीड़ितों के पास मौजूद हैं।
दिनांक 1 दिसंबर 2025 को वाहन दिखाया गया और 3 दिसंबर को इंदौर में सौदा तय हुआ। आरोप है कि आरोपियों ने बताया कि वाहन फाइनेंस में है और कागजी कार्रवाई बाद में पूरी कर दी जाएगी। लेकिन सौदे के कुछ ही घंटों बाद, जब पीड़ित मी थाना क्षेत्र में रेस्टोरेंट से खाना खाकर बाहर निकले, तो वाहन गायब था। शुरुआत में चोरी की आशंका जताते हुए एमआईजी थाने में आवेदन दिया गया। जांच में सामने आया कि वाहन किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर पंजीकृत था और रेंट पर चलाया जा रहा था। यानी शुरू से ही पूरा सौदा फर्जी था।
पुलिस ने एक सप्ताह बाद एक आरोपी को पकड़ा, जिसने कबूल किया कि उसने शहबाज के साथ मिलकर वाहन चोरी किया था और इसके बदले 25-25 हजार रुपये मिले थे। इसके बावजूद न तो चोरी की विधिवत एफआईआर दर्ज की गई और न ही मुख्य ठगी के मामले में सख्त कार्रवाई हुई। पूछताछ के बाद आरोपी को छोड़ दिया गया। सबसे गंभीर आरोप यह है कि पीड़ितों ने एमआईजी थाने में धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज कराने का प्रयास किया, लेकिन थाना प्रभारी ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि मामला उनके क्षेत्राधिकार में नहीं आता और क्राइम ब्रांच का है। इस तरह एक सप्ताह तक मामला इधर-उधर घुमाया गया और ठग खुलेआम घूमते रहे।
पीड़ितों का कहना है कि यह कोई एक मामला नहीं है। इसी गिरोह द्वारा कई लोगों को इसी तरह वाहन बेचने के नाम पर ठगा गया है। आरोपियों के बार-बार छूटने से उनके हौसले बुलंद हैं और आम नागरिक लगातार शिकार हो रहे हैं। भाजपा युवा मोर्चा नगर अध्यक्ष के पास धोखाधड़ी के बाद कर चोरी से जुड़े सीसीटीवी फुटेज भी मौजूद हैं। इसके बावजूद पुलिस की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है।
पीड़ितों ने मांग की है कि इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच कराई जाए, सभी आरोपियों की भूमिका तय कर उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई हो, अन्य पीड़ितों की भी पहचान की जाए और 7.30 लाख रुपये की ठगी की रकम उन्हें वापस दिलाई जाए। अब सवाल यह है कि जब एक राजनीतिक संगठन के पदाधिकारी के साथ हुई ठगी पर भी पुलिस कार्रवाई से बच रही है, तो आम आदमी को न्याय कैसे मिलेगा? इंदौर में सक्रिय इस संगठित वाहन ठगी गिरोह पर आखिर कब कसेगा शिकंजा?
इस पूरे मामले में फरियादी ने इंदौर क्राइम ब्रांच में भी आवेदन दिया है लेकिन उस पर भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। ऐसे में उसे सीएम हेल्पलाइन का सहारा लेने पड़ा और शिकायत करनी पड़ी। फरियादी का कहना है अगर इस मामले में कार्रवाई नहीं होती तो वह मुख्यमंत्री से मिलकर इस पूरे मामले की आगे शिकायत करेंगे।
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