Column By- Ashish Tiwari , Resident Editor

‘आईएएस’ पर बीजेपी की नजर

बस्तर में कांग्रेस की मजबूत सीटों की जब गिनती गिनी जाती है, तब उन सीटों में केशकाल पहले नंबर पर आता है. बीजेपी भी यह मानती है कि केशकाल विधायक संतराम नेताम की लोकप्रियता के मुकाबले पार्टी के पास कोई चेहरा नहीं. इस बीच ही यह चर्चा सुनी गई है कि संतराम नेताम के मुकाबले बीजेपी एक आईएएस को चुनावी मैदान में खड़ा कर सकती है. आईएएस जिले के कलेक्टर रह चुके हैं. स्थानीय आदिवासी हैं. कलेक्टरी के दिनों में उनका फोकस भी केशकाल इलाका ही था. जहां भी जाते, स्थानीय बोली में ही संवाद करते. कभी साइकिल पर चढ़ते, तो कभी जमीन पर बैठकर लोगों की समस्याएं सुनते. लगता है कि भविष्य की राजनीतिक महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए जमीन उपजाऊ बनाने का काम उन्होंने पहले ही शुरू कर दिया था. फिलहाल नौकरी पर हैं. चर्चा है कि आईएएस केशकाल में गुपचुप बैठक भी ले चुके हैं. नौकरी से समय निकालकर अक्सर केशकाल के दौरे पर निकल जाते हैं. चुनाव करीब आने पर वीआरएस लेकर बीजेपी प्रवेश करेंगे. बीजेपी को केशकाल में फिलहाल एक ‘टेका’ की जरुरत भी है. 

एसपी तबादला

राज्य शासन ने एक साथ छह जिलों के एसपी बदल दिए. चर्चा पहले से ही थी. दिसंबर के पहले सप्ताह ही तबादला आदेश जारी होना था, पर प्रशासनिक महकमे में कुछ एक घटनाएं ऐसी घटी कि फाइल थम गई. अब जाकर आदेश जारी हुआ है. कोरबा संभाल रहे संतोष कुमार सिंह को प्रशासनिक-राजनीतिक दृष्टिकोण से राज्य का दूसरा अहम जिला बिलासपुर सौंपा गया है. लाॅ एंड आर्डर को लेकर बिलासपुर की रिपोर्ट सरकार की नजर में निगेटिव थी. राजनीतिक रूप से भी बिलासपुर मायने रखता है. चुनावी साल है, सो संतोष सिंह भरोसे के साथ भेजे गए हैं. बिलासपुर देख रही पारुल माथुर डीआईजी प्रमोट होने के बाद एसीबी भेजी गई हैं. एसीबी चीफ डी एम अवस्थी जल्द ही रिटायर होने वाले हैं, ऐसे में मुमकिन है कि सरकार पारुल माथुर को एसीबी चीफ बना दे. सदानंद कुमार को रायगढ़ जिले की कमान मिली है. नारायणपुर में धर्मांतरण पर छिड़े विवाद में उन्होंने अपना सिर फोड़वाया था. समझा जा रहा है कि रायगढ़ जिला उन्हें इनाम में दिया गया है. इन सबके बीच एक अहम नाम उदय किरण का भी है. जहां भी रहे अपने काम के लिए जाने जाते रहे. उदय किरण की पोस्टिंग पर एक सीनियर आईपीएस ने हंसते हुए कहा कि, ”कोरबा की कप्तानी उन्हें यूं ही नहीं मिली. फ्रंट फुट खेलने के शौकीन उदय को भेजने के पीछे सरकार का खास मकसद हो सकता है. जरुर कोरबा में किसी को ठीक करना होगा. अब ठीक किसे करना है, यह कौन बताए?”. अभिषेक मीणा की रायगढ़ से विदाई तय थी. लंबे समय से क्रीम क्रीज पर कप्तानी कर रहे थे.

‘पाठक’ का पाठ

12 आईएएस अधिकारियों के तबादले हुए. एसीएस सुब्रत साहू से आवास एवं पर्यावरण लेकर जनक प्रसाद पाठक को इसका स्वतंत्र प्रभार दे दिया गया. बेमेतरा से जितेंद्र शुक्ला बुला लिए गए. उन्हें इस विभाग में संयुक्त सचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई है. अब दो ब्राह्मण विभाग चलाएंगे. पाठक का पाठ चलेगा. चर्चा है कि विभाग में कुछ बड़े फैसले लिए जाने वाले हैं. जितेंद्र शुक्ला को लेकर एक कहावत है कि वह वहां भी रास्ता बनाने का हुनर रखते हैं, जहां पगडंडी होती है. राजनांदगांव, जांजगीर के बाद तारन प्रकाश सिन्हा रायगढ़ भेजे गए हैं. चर्चा है कि सरकार ने डैमेज कंट्रोल के इरादे से उन्हें रायगढ़ भेजा है. कहते हैं कि रायगढ़ में प्रशासनिक कामकाज ठप चल रहा था. इधर रानू साहू अब कृषि संभालेंगी. नगरीय प्रशासन हैवीवेट विभाग माना जाता है, अय्याज तंबोली का कद थोड़ा बढ़ा है. पदुम सिंह एल्मा की फील्ड पर वापसी हो गई है. एल्मा बेमेतरा जिले की कलेक्टरी करेंगे. मालूम नहीं की महीने भर में ही उन्होंने कौन सी घुट्टी पिलाई कि एक दफे फिर कलेक्टरी मिल गई. नम्रता गांधी मेडिकल एजुकेशन संभालेंगी. गरियाबंद में जब कलेक्टरी करती थी, तब सुना करते थे कि अपने दफ्तर का दरवाजा हर वक्त खुला रखती थी, जिससे पारदर्शिता बनी रहे, लोग आसानी से मिल सके. मेडिकल एजुकेशन में पर्दे के पीछे बड़े खेल इसी राज्य में होते रहे हैं और अब जब मेडिकल काॅलेजों की बाढ़ आ रही है, तो जाहिर है गरियाबंद जैसी पारदर्शिता रख पाने की बड़ी चुनौती होगी. 

हड़बड़ी में गड़बड़ी

शुक्रवार की देर रात आईएएस अफसरों के तबादला आदेश जारी हुआ. कईयों को यह भान भी ना था कि तबादले की जद में उनका नाम भी आ रहा है, खैर तबादला आदेश आया, मगर हड़बड़ी में छोटी सी गड़बड़ी हो गई. रानू साहू 2010 बैच की आईएएस अधिकारी हैं, लेकिन तबादला आदेश में उन्हें 2009 बैच का अधिकारी बता दिया गया. अब नींद के आगोश में डूबने के वक्त आदेश निकालने का फरमान सुनाया जाएगा, तो ऐसी मामूली गलती होना स्वाभाविक है. 

प्राइवेट डियर पार्क

मुंगेली जिले के पथरिया में प्राइवेट डियर पार्क बनाने की योजना लाई जा रही है. फिलहाल योजना पर कागजी कार्यवाही शुरू नहीं हुई है, लेकिन मौखिक बातचीत पूरी हो गई है. पिछले दिनों दिल्ली से राजधानी के दौरे पर आए डीजी फारेस्ट से भी प्रारंभिक दौर की बातचीत हो गई है. बताते हैं कि कैम्पा संभाल रहे एक बड़े अधिकारी जल्द ही मुंगेली दौरे पर जाएंगे. डियर पार्क की जगह का मौका मुआयना करेंगे. प्राइवेट डियर पार्क के अपने नियम कायदे बनाए जाएंगे. लंबी प्रक्रिया है. वन महकमा पहले प्रस्ताव बनाकर राज्य शासन को भेजेगा. राज्य शासन से दिल्ली भेजा जाएगा, तब जाकर डियर पार्क को मंजूरी मिलेगी. मंजूरी मिलने के बाद टेंडर पर बात आएगी. खैर, शुरूआती चर्चा में यह सुना गया है कि डियर पार्क के लिए कैम्पा फंड का इस्तेमाल भी होगा. अगर कैम्पा फंड का इस्तेमाल होगा तो सवाल इन शब्दों के साथ उठेंगे ही…कौन, कितना, कैसे, कहां..? 

तेरहवीं वाला दौरा

सरकारी सिस्टम कमाल का होता है. कहीं निजी काम हो, तब भी सरकारी दौरा बनाकर रिकाॅर्ड में ले आया जाता है. दौरा का दौरा और काम का काम. एक तीर से दो निशाना साधने का यह हुनर अधिकारी सीख ही लेते हैं. अब पिछले दिनों दिल्ली से फारेस्ट के एक बड़े अधिकारी दौरे पर आए. यूं अचानक दौरा बनने से राज्य का वन महकमा भी अचंभित हुआ. बाद में पता चला कि साहब दरअसल बैठक लेने नहीं बल्कि तेरहवीं के एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंच रहे हैं. तेरहवीं में आना था, इसलिए दौरा बना लिया गया.