रायपुर। छत्तीसगढ़ का पारंपरिक नृत्य सुआ इतिहास रचने जा रहा है. 29 अक्टूबर को दुर्ग के रविशंकर स्टेडियम में एक साथ 10 हजार से ज्यादा महिलाएं सुआ नृत्य करेंगी. भाजपा की राष्ट्रीय महामंत्री सरोज पाण्डेय के मार्गदर्शन में गोदना सांस्कृतिक मंच द्वारा इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है.
कार्यक्रम को विश्व स्तर का बनाने के लिए व्यापक स्तर पर तैयारी की जा रही है. इसमें दुर्ग के अलावा प्रदेश भर से बड़ी संख्या में महिलाओं के हिस्सा लेने की उम्मीद की जा रही है. इसमें हिस्सा लेने के लिए बकायदा महिलाओं को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. तकरीबन 200 महिलाएं दिन-रात महिलाओं को सुआ नृत्य सिखा रही हैं. यही नहीं इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाली महिलाओं के मेकअप के लिए 200 से ज्यादा मेकअप आर्टिस्टों को बुलाया जा रहा है.
कार्यक्रम में राष्ट्रीय महासचिव सरोज पाण्डेय और छत्तीसगढ़ की मंत्री रमशीला साहू हिस्सा लेंगी. दोनों नेत्रियां खुद भी मंच में सुआ नृत्य करेंगी. सरोज पाण्डेय ने इस कार्यक्रम को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए प्रदेश की महिलाओं को आगे आने का आह्वान किया है.
सरोज पाण्डेय का दावा है कि दुर्ग में आयोजित किया जा रहे इस पारंपरिक लोक नृत्य में एक साथ 10 हजार महिलाएं नृत्य कर विश्व रिकॉर्ड बनाएंगी. हालांकि हिमाचल के कुल्लू दशहरा महोत्सव में 26 अक्टूबर 2015 को 20 हजार से ज्यादा नर्तकों ने रंग बिरंगे कुल्लू लोकनृत्य नाटी का प्रदर्शन किया था. इसमें 10 हजार महिलाओं और 10 हजार पुरुषों ने एक साथ नृत्य कर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाया था.
आपको बता दें कि सरोज पाण्डेय दुर्ग की मेयर थीं, अपने कार्यकाल के अंतिम दौर के दौरान उन्होंने कार्यक्रम के आयोजन की नींव रखी थी. जिसके बाद लगातार हर वर्ष इस कार्यकर्म का आयोजन होता रहा लेकिन पिछले 2-3 सालों से इस कार्यक्रम का आयोजन नहीं हो रहा था.
क्या है सुआ नृत्य
दीपावली के बाद होने वाला यह नृत्य धीरे-धीरे लुप्त सा होते जा रहा है. इसमें महिलाएं की टोली टोकरी में सुआ याने की तोता(Parrot) को बीच में रख कर ताली बजाते हुए उसके चारों तरफ नृत्य करती हैं. दीपावली के बाद धान की कटाई शुरु हो जाती है जिसके बाद इस नृत्य करते हुए सुआ गीत गाया जाता रहै. महिलाएं तोते के माध्यम से संदेश देते हुए सुआ नृत्य करते हुए गीत गाती है. सुआ को स्त्रियां अपने मन की बात इस विश्वास के साथ बताती हैं कि वह उनकी व्यथा को उनके प्रिय तक जरुर पहुंचाएगा. इसलिए सुआ गीत को वियोग गीत भी कहते हैं.
सुआ गीत हमेशा एक ही बोल से शुरु होता है और वह बोल हैं – “तरी नरी नहा नरी नहा नरी ना ना रे सुअना”