राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में नए चेहरों में पार्षद भी चुनाव लड़ते हुए नजर आ सकते हैं। बीजेपी की चुनावी रणनीति से इसके आसार नजर आ रहे हैं। दरअसल करीब दर्जनभर सीटों पर नए चेहरों को मौका दिया जाएगा। इस समीकरण में निकायों में पार्षदी कर रहे नेताओं की भी लाॅटरी लग सकती है। केंद्रीय मंत्री लड़े विधानसभा चुनाव और मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष के साथ प्रदेश सरकार में मंत्री बनाए गए। सांसद भी विधायक का चुनाव लड़े, लेकिन सीधी से सांसद रहते हुए विधानसभा का चुनाव जीतने वाली रीति पाठक को दूसरे सांसदों की तरह मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने ऐसे कई तरह के चैंकाने वाले फैसले किए। यही फाॅर्मूला अब लोकसभा चुनाव में भी लागू होने जा रहा है।

सूत्रों की मानें तो बीजेपी दर्जनभर से अधिक सीटों पर युवा और नए चेहरों को मौका देने जा रही है। इसमें जिला कार्यकारिणी के पदाधिकारियों के साथ पार्षदों को भी लोकसभा का टिकट मिल सकता है। भोपाल, जबलपुर, इंदौर जैसे बड़े शहरों से भी चैंकाने वाले नाम आने के समीकरण दिखाई दे रहे हैं।

विधानसभा की तर्ज पर सामंजस्य

खबर ये भी है कि लोकसभा चुनाव के टिकट वितरण में विधानसभा की तर्ज पर सामंजस्य देखने को मिलेगा। कुछ वर्तमान सांसदों के साथ प्रदेश के दिग्गज नेताओं को भी चुनाव लड़ाया जा सकता है। इसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया का चुनाव लड़ना लगभग तय माना जा रहा है। वहीं देवास सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी, शहडोल सांसद हिमाद्री सिंह का टिकट भी लगभग पक्का माना जा रहा है। मुरैना सांसद रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर विधायक बनने के बाद विधानसभा अध्यक्ष बन चुके हैं। जबलपुर सांसद रहते हुए विधायक बने राकेश सिंह, दमोह सांसद रहे प्रहलाद पटेल और होशंगाबाद सांसद रहे राव उदयप्रताप सिंह भी कैबिनेट मंत्री बन चुके हैं।

टिकट वितरण का फैसला

इन चारों सीटों पर कई नेताओं की नजर गड़ी हुई है। पार्टी के दिग्गज नेता फग्गन सिंह कुलस्ते और गणेश सिंह विधानसभा का चुनाव हार गए थे। इन दोनों की लोकसभा सीटों को लेकर फिलहाल किसी तरह की चर्चा सामने नहीं आई है। पुराने नेताओं में पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया, पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव, पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह जैसे नेताओं को भी चुनाव लड़ाया जा सकता है। बीजेपी के मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल का कहना है कि प्रदेश संगठन और केंद्रीय नेतृत्व चुनावी समीकरणों के साथ टिकट वितरण का फैसला करेगा।

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